खेत में हल जोतते हुए एक किसान को एक चमकीला कांच का टुकड़ा मिला। उसकी चमक को देख कर किसान ने उसे बैल के गले में लटका दिया।
सन्देश : ज्ञान का न होना अभिशाप है।
कुछ दिन बाद उसका एक मित्र एक पर्चुनिया उसके घर आया। किसान ने उससे कुछ मदद मांगी। लाला दयालु था उसने उसे 500 /- की मदद करदी और जब जाने लगा तो बैल के गले में चमकीला कांच का टुकड़ा देख के बोला ये कितने का है। किसान ने उसे बैल के गले से निकाल कर लाला को देते हुए कहा ....... तेरे अहसान से मंहगा नहीं।
सन्देश : दान या अहसान के बदले प्रभु कब आपको क्या दे दे कोई नहीं जानता पर ये व्यर्थ नहीं जाता।
लाला ने वो कांच का टुकड़ा तराजू में बांध दिया।
एक दिन एक जौहरी वहाँ से गुजरा और उस कांच को देखकर समझ गया की ये तो एक बेशकीमती हीरा है।
उसने लाला से जब उसकी कीमत पूँछी तो लाला ने कहा 500 /-का है 1000 /- में बेच दूंगा।
लाला बोला दिमांग ख़राब है इस कांच के तुझे कौन हज़ार देगा 700 /- लेता हो तो बता। लाला ने भी फिल्मी स्टाइल में कह दिया हाहाहा रंगा जो बोलता है उस से इकन्नी भी कम नहीं करता। जोहरी ऐठ के चला गया सोचा कल ले लूंगा।
सन्देश ज्ञान होने पर भी लालच होना ज्ञान के अस्तित्व को ख़त्म कर देता है।
थोड़ी देर बाद ही एक जोहरी उसे खरीद कर ले गया।जब पहला जोहरी अगले दिन आया तो हीरा न देख कर बेहोश हो गया 
 हीरा खरीदने वाले जोहरी ने वो हीरा ५६ लाख में बेच दिया और घर पर लक्ष्मी ला कर रख दी। फिर वो सोचने लगा इस पैसे से ये करूँगा  वो करूँगा  यहाँ लगाउँगा वहाँ लगाउँगा और वो परेशान रहने लगा नींद गायब चार दिन तक गोलिया खा खा के भी जब उसे नींद नहीं आई तो उसकी पत्नी ने कहा तुम्हे नींद इसलिए नहीं आ रही की तुम्हारे मन में गिल्टी कॉन्शियस है कि तुमने उस लाला से बेईमानी की। ये खुदा का तोहफा तुम अकेले हज़म नहीं कर पाओगे लिहाज़ा आधा उसे भी देदो। जोहरी ने उसकी बात को सिरे से नकार दिया पर जब उसे दो दिन और नींद नहीं आई तो वो पागल सा हो गया।
संदेश : झटके से आया ज़रूरत से ज्यादा पैसा भी दुखदायी होता है
सुबह होते ही उसने 28 लाख़ बैग में डाले और लाला के घर जा कर बैग पटक दिया। और हाथ जोड़ कर बोला लाला ये तेरा हिस्सा तू रख मुझे मेरी नींद देदे। लाला को गश आने ही वाला था की उसकी पत्नी ने उसे सम्हाला और कहा हम ये पैसे नहीं ले सकती। जौहरी हाथ जोड़ कर बोला मेरी माँ मुझे बचाले और चला गया। ,,,,,,,,,संदेश: सुकून जिस भाव भी मिले खरीद लो।
और अब लाला की हालत ख़राब नींद गायब और चैन हहहहहह पर जौहरी उस रात सच में बहुत गहरी नींद सोया।
लाला ने भी दो दिन बाद दुखी होकर १४ लाख किसान को दे दिए और रो कर बोला मुझे नहीं पता था तुझ पर किये गए अहसान की खुदा मुझे इतनी बड़ी कीमत देगा। ,,,,,
सन्देश: दया धर्म ममता करुणा प्रार्थना इन सब की कब तुम्हे क्या कीमत मिल जाये तुम कभी सोच भी नहीं  सकते
किसान स्थितप्रज्ञ था उसने स्थिर भाव से सब कुछ देखा और अगले दिन उस पैसे से खेत खरीदे बैलो का जोड़ा लिया और दुगनी मेहनत से काम पर लग गया। वो आज भी इसे अपनी मेंहनत का भगवान द्वारा दिया गया प्रसाद समझता है।
शेष अनालसिस आप स्वयं करे .......... क्या सही था क्या गलत था उसे ये करना चाहिए था उसे वो करना चाहिए था आप सब का नज़रिया है।
मोनिका
मित्रो इस ब्लॉग में आप हिंदी में कहानियाँ और उपन्यास पढ़ सकते हैं । ये कहानियाँ और उपन्यास मेने अंतर्जाल के विभिन्न स्थानों से संकलित किये हैं ।
Wednesday, September 26, 2018
नजरिया
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