Wednesday, August 29, 2018

एक चोरी, एक फरेब

एक चोरी, एक फरेब

तकरीबन दस बजे
राजनगर की जबरन चमकाई नजर आने वाली ये बिल्डिंग असल में संपूर्णानंद बैंकर का दफ्तर है. बिल्डिंग के बाहर पुलिस की गाड़ियों की कतार लगी है, जो इस बात की चुगली बिना पूछे कर रही है कि जरूर कोई बड़ी वारदात हुई है. बाहर खड़े सिपाही अंदर गए साहब लोगों का इंतजार कर रहे थे. अंदर गए साहब लोग अमूमन वारदात की जगह पर अंदर जाते हैं... फिर कुछ देर बाद तेजी से बाहर निकलकर अपनी-अपनी जीप में बैठकर अलग-अलग डायरेक्शन में दौड़ पड़ते हैं. मानो अभी मुल्जिम को पकड़कर अंदर हवालात कर देंगे. कुछ साहब लोग बाहर निकलकर मीडिया को बताते हैं. वही रटे-रटाए डायलाग... सुराग मिल गए हैं. जल्द गिरफ्तारी होगी. घटना संदिग्ध है. या फिर पुलिस की इतनी टीम लगा दी गई हैं. अगले दिन पोर्टर टाइप के रिपोर्टर खबरों को कुछ यूं लिख देते हैं कि मानो वारदात का खुलासा बस होने वाला है. और हां, उसमें पीड़ित की पीड़ा दिखाई दे न दे, वर्जन देने वाले अफसर की या मौके पर मौजूद आला अधिकारियों की तस्वीरें जरूर होती हैं. फिंगर प्रिंट टीम अभी पहुंची है. इस टीम का नाम सुनकर हॉलीवुड स्टाइल हाइटेक टीम की तस्वीर दिमाग में न बना लीजिएगा. टीम के नाम पर दो लोग हैं, जो कंधे पर एक लगातार लटकने और इस्तेमाल होने के कारण बदरंग हो चुका बैग लेकर पहुंचते हैं. जब तक ये पहुंचते हैं, थाना, अफसर घटनास्थल पर इतने फिंगरप्रिंट छोड़ चुका होता है कि मुल्जिम के निशान ढूंढना भूसे के ढेर में सुई ढूंढने जैसा है



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sourse-hindivicharmanch 


Monday, August 27, 2018

अगिया वेताल





जून 1988

शाम का अंधेरा तेजी से गहराता जा रहा था । आजकल कृष्ण पक्ष होने से अंधेरे की कालिमा और भी अधिक होती थी । चलते चलते अचानक रूपा ने कलाई घङी में समय देखा । सुई आठ के नम्बर से आगे सरकने लगी थी । पर कोई चिन्ता की बात नहीं थी । उसे सिर्फ़ दो किमी और जाना था ।
भले ही यह रास्ता वीरान सुनसान छोटे जंगली इलाके के समान था । पर उसका पूर्व परिचित था । अनेकों बार वह अपनी सहेली बुलबुल शर्मा के घर इसी रास्ते से जाती थी । इस रास्ते से उसके और बुलबुल के घर का फ़ासला सिर्फ़ चार किमी होता था । जबकि सङक के दोनों रास्ते 11 किमी दूरी वाले थे । अतः रूपा और बुलबुल दोनों इसी रास्ते का प्रयोग करती थी ।
यह रास्ता पंजामाली के नाम से प्रसिद्ध था । पंजामाली एक पुराने जमाने की विधि अनुसार ईंटो का भट्टा था । जिसमें कुम्हार के बरतन पकाने की विधि की तरह ईंटों को पकाया जाता था । इसी भट्टे के मालिक से पंजामाली कहा जाता था । और इसी भट्टे के कारण इस छोटे से वीरान क्षेत्र को पंजामाली ही कहा जाता था । पंजामाली भट्टे से डेढ किमी आगे नदी पङती थी । और उससे एक किमी और आगे रूपा का घर था ।
हांलाकि बरसात का मौसम शुरू हो चुका था । पर पार उतरने वाले घाट पर अभी नदी में घुटनों तक ही पानी था । नदी के पानी को लेकर रूपा को कोई चिंता नहीं थी । क्योंकि वह भली भांति तैरना जानती थी ।
खेतों के बीच बनी पगडण्डी पर लम्बे लम्बे कदम रखती हुयी रूपा तेजी से घर की ओर बङी जा रही थी । उसे घर पहुँचने की जल्दी थी । तेज अंधेरे के बाबजूद स्थान स्थान पर लगे बल्ब उसको रास्ता दिखा रहे थे । हालांकि चलते समय बुलबुल ने उसे टार्च दे दी थी । पर रूपा को उसकी कोई आवश्यकता महसूस नहीं हो रही थी ।
अचानक रूपा का दिल धक से रह गया । उसकी कल्पना के विपरीत लाइट चली गयी । और तेजी से बादल के गङगङाने की आवाज सुनाई दी । लाइट के जाते ही चारों तरफ़ घुप अंधेरा हो गया ।



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समाप्त

by Rajeev shreshtha
Credit- hindivicharmunch/xman

Thursday, August 23, 2018

खजाने-की-तलाश (Khazane ki Talash)

खजाने की तलाश
    उन तीनों के बीच उस वक्त से गहरी दोस्ती थी जब वे लंगोटी भी नही पहनते थे.उनमें से शमशेर सिंह अपने नाम के अनुरूप भारी भरकम था. लेकिन दिल का उतना ही कमज़ोर था. कुत्ता भी भौंकता था तो उसके दिल की धड़कनें बढ़ जाया करती थीं. हालांकि दूसरों पर यही ज़ाहिर करता था जैसे वह दुनिया का सबसे बहादुर आदमी है. बाप मर चुके थे और ख़ुद बेरोजगार था. यानि तंगहाल था.
    दूसरा दुबला पतला लम्बी कद काठी का रामसिंह था. इनके भी बाप मर चुके थे. और मरने से पहले अपने पीछे काफी पैसा छोड़ गए थे. जिन्हें जल्दी ही नालाएक बेटे ने दोस्तों में उड़ा दिया था. यानी इस वक्त रामसिंह भी फटीचर था.
    और तीसरा दोस्त देवीसिंह, जिसके पास इतना पैसा रहता था कि वह आराम से अपना काम चला सकता था. लेकिन वह भी अपनेशौक के कारण हमेशा फक्कड़ रहता था. उसे वैज्ञानिक बनने का शौक था. अतः वह अपना सारा पैसा लाइब्रेरी में पुराणी और नई साइंस की किताबें पढने में और तरह तरह के एक्सपेरिमेंट पढने में लगा देता था. वह अपने को प्रोफ़ेसर देव कहलाना पसंद करता था. यह दूसरी बात है कि उसके एक्सपेरिमेंट्स को अधिकतर नाकामी का मुंह देखना पड़ता था. मिसाल के तौर पर एक बार इन्होंने सोचा कि गोबर कि खाद से अनाज पैदा होता है जिसे खाकर लोग तगडे हो जाते हैं. क्यों नडायरेक्ट गोबर खिलाकर लोगों को तगड़ा किया जाए. एक्सपेरिमेंट के लिए इन्होंने मुहल्ले के एक लड़के को चुना और उसे ज़बरदस्ती ढेर साराभैंस का गोबर खिला दिया. बच्चा तो बीमार होकर अस्पतालपहुँचा और उसके पहलवान बाप ने प्रोफ़ेसर को पीट पीट कर उसी अस्पताल में पहुँचा दिया.
    प्रोफ़ेसर देव उर्फ़देवीसिंह को एक शौक और था. लाइब्रेरी में ऐसी पुरानी किताबों की खोज करना जिससे किसी प्राचीन छुपे हुए खजाने का पता चलता हो. इस काम में उनके दोनों दोस्त भी गहरी दिलचस्पी लेतेथे. कई बार इन्हें घरके कबाड़खाने से ऐसे नक्शे मिले जिन्हें उनहोंने किसी पुराने गडे हुए खजाने का नक्शा समझा. बाद में पता चला कि वह घर में बिजली की वायेरिंग का नक्शा था.


    एक दिन शमशेर सिंह और रामसिंह बैठे किसी गंभीर मसले पर विचार विमर्श कर रहे थे. मामले की गंभीरता इसी से समझी जा सकती थी की दोनों चाये के साथ रखे सारे बिस्किट खा चुके थे लेकिन प्यालियों में चायेज्यों की त्यों थी. उसी वक्त वहां देवीसिंह ने प्रवेशकिया. उसके चेहरे से गहरी प्रसन्नता झलकरही थी."क्या बात है प्रोफ़ेसर देव, आज काफी खुश दिखाई दे रहे हो. क्या कोई एक्सपेरिमेंट कामयाब हो गया है?" रामसिंह ने पूछा."शायेद वो वाला हुआ है जिसमें तुम बत्तख के अंडे से चूहे का बच्चा निकालने की कोशिश कर रहे हो." शमशेर सिंह ने अपनी राय ज़ाहिर की."ये बात नहीहै. वो तो नाकाम हो गया. क्योंकि जिस चुहिया को अंडा सेने के लिए दिया था उसने उसको दांतों से कुतर डाला. अब मैंने उस नालायेक को उल्टा लटकाकर उसके नीचे पानी से भरी बाल्टी रख दी है. क्योंकि मैं ने सुना है कि ऐसा करने पर चूहे एक ख़ास एसिड उगल देते हैं जिसको चांदी में मिलाने पर सोना बन जाता है."
    "फिर तुम दांत निकालनिकाल कर इतना खुश क्यों हो रहे हो?" शमशेर सिंह ने पूछा.
    "
    बात ये है कि इस बारमैं ने छुपा खजाना ढूंढ लिया है."
    "
    क्या?" दोनों ने उछालने की कोशिश में प्यालियों कि चाए अपने ऊपर उँडेल ली. अच्छा ये हुआ कि चाए अब तक ठंडी हो चुकी थी.
    "
    हाँ. मैं ने एक ऐसा खजाना ढूँढ लिया है जो आठ सौ सालों से दुनिया की नज़रों से ओझल था. अब मैं उसको ढूँढने का गौरव हासिल करूंगा." प्रोफ़ेसर अपनी धुन में पूरे जोश के साथ बोल रहा था.
    "
    करूंगा? यानी तुमनेअभी उसे प्राप्त नही किया है." शमसेर सिंह ने बुरा सा मुंह बनाया.
    "
    समझो प्राप्त कर हीलिया है. क्योंकि मैं ने उसके बारे में पूरी जानकारी नक्शे समेत हासिल कर ली है."
    "
    कहीं वह शहर के पुराने सीवर सिस्टमका नक्शा तो नही है?"रामसिंह ने कटाक्ष किया.
    "
    ऐसे नक्शे तुम ही को मिलते होंगे." प्रोफ़ेसर ने बुरा मानकर कहा, "यह नक्शा मुझे एक ऐसी लाइब्रेरी से मिला है जहाँ बहुत पुरानी किताबें रखीहैं. पहले तुम ये किताब देख लो, फिर आगे मैं कुछ कहूँगा."कहते हुए देवीसिंह ने एक किताब उसकी तरफ़ बढ़ा दी. किताब बहुत पुरानी थी. उसके पन्ने पीले होकर गलने की हालत में पहुँच गए थे.
    "
    यह किताब तो किसी अनजान भाषा में लिखी है."


    --------
    समाप्त----------
    credit- hindivichar 




Wednesday, August 22, 2018

ई-लव्ह ( E-Love)



अन्तरजाल से संकलित

Funny quotes -
An archaeologist is the best husband any woman can have; the older she gets, the more interested he is in her.         -- Agatha Christie
सुबहका वक्त. कांचके ग्लासेस लगाई इमारतोंके जंगलमें एक इमारत और उस इमारतके चौथे मालेपर एक एक करके एक आयटी कंपनीके कर्मचारी आने लगे थे. दस बजनेको आए थे और कर्मचारीयोंकी भीड अचानक बढने लगी. सब कर्मचारी ऑफीसमें जानेके लिए भीड और जल्दी करने लगे. कारण एकही था की देरी ना हो जाए. सब कर्मचारीयोंके आनेका वक्त दरवाजेपरही स्मार्ट कार्ड रिडरपर दर्ज कीया जाता था. सिर्फ जानेका वक्तही नही तो उनकी पुरी अंदर बाहर जानेकी गतिविधीयां उस कार्ड रिडरपर दर्ज किई जाती था. कंपनीका जो कांचसे बना मुख्य दरवाजा था उसे मॅग्नेटीक लॉक लगाया था और दरवाजा कर्मचारीयोंने अपना कार्ड दिखानेके सिवा खुलता नही था. उस कार्ड रिडरकी वजहसे कंपनीकी सुरक्षा और नियमितता बरकरार रखी जाती थी. दसका बझर बज गया और तबतक कंपनीके सारे कर्मचारी अंदर पहूंच गए थे. कंपनीकी डायरेक्टर और सिईओ अंजलीभी.
अंजलीने बी.ई कॉम्प्यूटर किया था और उसकी उम्र जादासे जादा 23 होगी. उसके पिता, कंपनीके पुर्व डायरेक्टर और सिईओ, अचानक गुजर जानेसे, उम्रके लिहाजसे कंपनीकी बहुत बडी जिम्मेदारी उसपर आन पडी थी. नही तो यह तो उसके हंसने खेलनेके और मस्ती करनेके दिन थे. उसकी आगेकी पढाई यु.एस. में करनेकी इच्छा थी. लेकिन उसकी वह इच्छा पिताजी गुजर जानेसे केवल इच्छाही रह गई थी. वहभी कंपनीकी जिम्मेदारी अच्छी तरहसे निभाती थी और साथमें अपने मस्तीके, हंसने खेलनेके दिन मुरझा ना जाए इसका खयाल रखती थी.हॉलमें दोनो तरफ क्यूनिकल्स थे और उसके बिचमेंसे जो संकरा रास्ता था उससे गुजरते हूए अंजली अपने कॅबिनकी तरफ जा रही थी. वैसे वह ऑफीसमें पहननेके लिए कॅजुअल्स पहनावाही जादा पसंद करती थी - ढीला सफेद टी शर्ट और कॉटनका ढीला बादामी पॅंन्ट. कोई बडा प्रोग्रॅम होनेपर या कोई स्पेशल क्लायंट के साथ मिटींग होनेपर ही वह फॉर्मल ड्रेस पहनना पसंद करती थी. ऑफीसके बाकी स्टाफ और

डेव्हलपर्सकोभी फॉर्मल ड्रेसकी कोई जबरदस्ती नही थी. वे जिन कपडोमें कंफर्टेबल महसूस करे ऐसा पहनावा पहननेकी उन सबको छूट थी. ऑफीसके कामके बारेमें अंजलीका एक सूत्र था. की सब लोग ऑफीस का कामभी ऍन्जॉय करनेमें सक्षम होना चाहिए. अगर लोग कामभी ऍन्जॉय कर पाएंगे तो उन्हे कामकी थकान कभी महसूसही नही होगी. उसने ऑफीसमेंभी काम और विश्राम या हॉबी इसका अच्छा खासा तालमेंल बिठाकर कर उसके कंपनीमें काम कर रहे कर्मचारीयोंकी प्रॉडक्टीव्हीटी बढाई थी. उसने ऑफीसमें स्विमींग पुल, झेन चेंबर, मेडीटेशन रुम, जीम, टी टी रुम ऐसी अलग अलग सुविधाए कर्मचारीययोंको मुहय्या कराकर उनका ऑफीसके बारेमें अपनापन बढानेकी कोशीश की थी. और उसे उसके अच्छे परिणामभी दिखने लगे थे.
उसके कॅबिनकी तरफ जाते जाते उसे उसके कंपनीके कुछ कर्मचारी क्रॉस हो गए. उन्होने उसे अदबके साथ विश किया. उसनेभी एक मीठे स्माईलके साथ उनको विश कर प्रतिउत्तर दिया. वे सिर्फ डरके कारण उसे विश नही करते थे तो उनके मनमें उसके बारेमें उसके काबीलीयतके बारेमें एक आदर दिख रहा था. वह अपने कॅबिनके पास पहूंच गई. उसके कॅबिनकी एक खासियत थी की उसकी कॅबिन बाकि कर्मचायोंसे भारी सामानसे ना भरी होकर, जो सुविधाएँ उसके कर्मचारीयोंको थी वही उसके कॅबिनमेंभी थी. 'मै भी तुममेंसे एक हूँ.' यह भावना सबके मनमें दृढ हो, यह उसका उद्देश्य होगा.
वह अपने कॅबिनके पास पहूँचतेही उसने स्प्रिंग लगाया हूवा अपने कॅबिनका कांचका दरवाजा अंदरकी ओर धकेला और वह अंदर चली गई.. . .  .
अंजलीने ऑफीसमें आयेबराबर रोजके जो महत्वपुर्ण काम थे वह निपटाए. जैसे महत्वपुर्ण खत, ऑफीशियल मेल्स, प्रोग्रेस रिपोर्ट्स इत्यादी. कुछ महत्वपुर्ण मेल्स थी उन्हे जवाब भेज दिया, कुछ मेल्सके प्रिंट लिए. सब महत्वपुर्ण काम निपटनेके बाद उसने अपने कॉम्प्यूटरका चॅटींग सेशन ओपन किया. कामकी थकान महसूस होनेसे या कुछ खाली वक्त मिलनेपर वह चॅटींग करती थी. यह उसका हर दिन कार्यक्रम रहता था. यूभी इतनी बडी कंपनीकी जिम्मेदारी संभालना कोई मामूली बात नही थी. कामका तणाव, टेन्शन्स इनसे छूटकारा पानेके लिए उसने चॅटींगके रुपमें बहुत अच्छा विकल्प चुना था. तभी फोनकी घंटी बजी. उसने चॅटींग विंडोमें आये मेसेजेस पढते हूए फोन उठाया. हुबहु कॉम्प्यूटरके पॅरेलल प्रोसेसिंग जैसे सारे काम वह एकही वक्त कर सकती थी






समाप्त
credit - hindinovels.net, Google

मेरे लड्डू गोपाल



 भगवन कृष्णा के बालस्वरूप लड्डूगोपाल की मनमोहक छवि, जो दिल को अत्यंत सुख प्रदान करती है 

काले जादू की दुनिया




 काले जादू की दुनिया



फ्रेंड्स मैं कोई राइटर नही हूँ पर कोई कहानी अच्छी लगती है तो उसे पोस्ट कर देता हूँ दोस्तो ये कहानी सेक्सी होने के साथ काले जादू पर आधारित है ..........16+.

अर्जुन………बचाओ मुझे……मैं यहाँ इस अंधेरी खौफनाक गुफा मे बंद हू…मेरे बेटे बस एक तुम ही हो जो मुझे यहाँ से बाहर निकाल सकते हो………”
एक ऐसा ही सपना उसके दिमाग़ के अंधेरे गलियारो मे आता है जिस से अर्जुन की नींद खुल गयी.
माआआआ……………” अर्जुन हड़बड़ा के उठ गया. उसके चेहरे पर पसीने की बूंदे सॉफ दिखाई दे रही थी.
पिच्छले दो महीनो से मुझे यह अजीबो ग़रीब सपने आ रहे है. लगता है जैसे कि मेरी माँ मुझे पुकार रही हो. पर यह कैसे हो सकता है, मेरी माँ तो बारह साल पहले ही मर चुकी है. लेकिन उनकी यह दर्द भरी पुकार अभी भी मेरे कानो मे मंदिर की घंटियों की तरह गूँज रही है. आख़िर इन सपनो का अचानक आने का क्या मतलब हो सकता है.”
अर्जुन अपने इन्ही ख़यालो मे खोया हुआ था कि बाहर दरवाज़े की घंटी बज गयी. बाहर शाम हो चुकी थी पर अभी भी आसमान मे घने काले बादल छाए हुए थे, हल्की हल्की ठंडी हवा चल रही थी जो दिन मे हुए बारिश के होने का सबूत थी. साइट पर बहुत काम होने की वजह से अर्जुन जो वहाँ का चीफ इंजिनियर था, थोड़ा थक गया था जिसकी वजह से उसे हल्की नींद आ गयी थी.
अर्जुन तौलिया लपेट कर जम्हाई लेते हुए दरवाज़े तक पहुचा, “कौन है…?” उसने पूछा.
अरे कौन है भाई...अब बोलो भी...” उसने फिर दोहराया.
तुम्हे मैं भाई दिखती हू...” बाहर से एक लड़की की मीठी आवाज़ आई.
जैसे ही अर्जुन ने दरवाज़ा खोला तो सामने एक खूबसूरत लड़की टाइट सफेद पंजाबी सूट मे खड़ी थी. “अरे सलमा...तुम यहाँ...व्हाट आ सर्प्राइज़ बेब...” कहते हुए अर्जुन ने उस सुंदर सी लड़की को कमर से पकड़ कर अंदर खीच लिया और अंदर से दरवाज़ा बंद कर लिया.

ह्म्‍म्म.....मिस्टर. अर्जुन आज आप बड़े नॉटी मूड मे लग रहे हो...क्या बात है, मैM मिली नही इतने दिनो से तो इतने बेकरार हो गये...” सलमा अर्जुन की बाँहो मे झूमते हुए बोली.
अर्जुन ने सलमा को धक्का दे कर दीवाल के सहारे झुका दिया और उसे पकड़ कर अपने से कस कर चिपका लिया, फिर पीछे से उसकी एक कान को हल्के से चूस्ते हुए बुद्बुदाया, “तू जो नही मिली मुझे इतने दिनो से...”
आह....उम्म्म....छोड़ो अर्जुन जब देखो तब तुम्हे सिर्फ़ सेक्स ही सेक्स दिखता है...तुम जानते हो ना मुझे यह सब करना बिल्कुल पसंद नही है... अब तो कभी कभी लगता है कि तुम मुझसे नही सिर्फ़ मेरे जिस्म से प्यार करते हो.”
अर्जुन ने सलमा की बातों पर ध्यान नही दिया और अपने जिस्म को उसके पीछे से रगड़ने लगा. सलमा को यह एहसास हो चुका था कि उसकाआशिक़ आज उसे नहीं छोड़ेगा
सलमा बचने के लिए जैसे ही आगे की ओर झुकी वैसे ही अर्जुन भी उसके साथ आगे बढ़ गया और  कमर के चारो तरफ हाथो का शिकंजा बना कर, सलमा के कानो को बड़ी शिद्दत से चूसने लगा. फिर वो हौले से नीचे आया और बड़े प्यार से सलमा की गोरी पीठ और गर्दन को चूमने लगा.
अर्जुन को पता था कि कान और गर्दन चूसने और चूमने से सलमा बहुत ज़्यादा और बहुत जल्दी गरम हो जाती है, पर फिर भी अभी तक सलमा ने उसे अपने साथ सेक्स करने नही दिया था.
पर फिलहाल सलमा भी लगातार अपनी पीठ और गर्दन पर अर्जुन की गरम सांसो को महसूस कर रही थी जो उसे बहुत ही ज़्यादा उत्तेजित कर रहा था.
उम्म्म्म......आहह.....ओह्ह्ह्ह....प्लीईईईईईज...अर्जुंन्ं...तुमने मुझसे वादा किया था कि हम शादी से पहले कभी सेक्स नही करेंगे...” सलमा की आवाज़ मे विरोध से ज़्यादा समर्थन था
 समाप्त




credit - rajsharmastories

राह मिल गई

#कहानी- राह मिल गई सामान से लदे थैलों के साथ रितु हांफने लगी थी, लेकिन रिक्शा था कि मिलने का नाम ही नहीं ले रहा था. थक-हारकर रितु पास ही के ...