दोस्तों
ये कहानी अंतर्जाल से ली गई
है
ये बात लगभग बीस साल पुरानी होगी । संजय मेरा दोस्त था । हम दोनों एक ही कालेज में थे । पर मैं उससे एक क्लास आगे था ।इसके बाबजूद मेरी उससे मित्रता थी । संजय और उसका परिवार किसी अन्य प्रदेश से थे ।और नौकरी की वजह से उत्तर प्रदेश में रहने के लिये आ गये थे ।
जाने क्या वजह थी । संजय मुझे बहुत दिनों से दिखायी नहीं दिया था । शायद इसकी एक वजह ये भी हो सकती थी कि मैं स्वयं कालेज के बाद अपने शोध हेतु वन क्षेत्र के एक निर्जन और गुप्त स्थान पर चला जाता था । और प्रायः घर और शहर में कम ही रहता था । लेकिन उस दिन जब मैं बाजार में था । मुझे संजय की मम्मी रजनी आंटी की आवाज सुनायी दी - हेय प्रसून ! क्या ये तुम
हो..जरा सुनो । मैंने स्कूटर रोक दिया । रजनी आंटी मेरे करीब आ गयी । वे
बेहद उदास नजर आ रही थी । - संजय कैसा है । और आजकल दिखायी नहीं देता ? मैंने
आंटी से पूछा । - मैंने उसी के बारे में बात करने के लिये तुझे रोका है । तुमने एक बार बताया था कि तुम वनखन्डी गुफ़ा में रहने वाले बाबा से परिचित हो । और अक्सर वहाँ आते जाते भी रहते हो ।
प्लीज प्रसून ! मैं बाबाजी से मिलना चाहती हूँ । तुम्हारे दोस्त
की खातिर । अपने बेटे की खातिर । मामला सीरियस था । आंटी डरी हुयी सी प्रतीत होती थी ।
मुझे आश्चर्य था कि आज वे बाबाजी के बारे पूछ रही थी । और कभी इस पूरे परिवार ने मेरी हंसी इस बात को लेकर बनायी थी कि दृश्य जगत के अलावा भी कोई अदृश्य जगत है ।
- आप मुझे कुछ तो हिंट दें । मैंने कहा - बाबा.. यूं एकाएक किसी से नहीं मिलते । और आप जिस वजह से बाबा से मिलना चाहती हैं । वह उचित है भी । या नहीं ?
आंटी ने मुझे भीङ से हटकर एक तरफ़ आने का इशारा किया । और एकान्त में आते ही बोली - प्रसून ! तीन महीने से संजय कुछ अजीब......मेरे बेटे को किसी तरह उससे बचा लो ?मामला वाकई गम्भीर था । मैंने पूछा - संजय अक्सर कहाँ मिलता है ?
थी कि दृश्य जगत के अलावा भी कोई अदृश्य जगत है ।
- आप मुझे कुछ तो हिंट दें । मैंने कहा - बाबा.. यूं एकाएक किसी से नहीं मिलते । और आप जिस वजह से बाबा से मिलना चाहती हैं । वह उचित है भी । या नहीं ?
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by Rajeev shreshtha
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