दोस्तों
ये कहानी अंतर्जाल से ली गई
है
16
June 2007, 63 वर्षीय
साहिब सिंह वर्मा मजबूत कद
काठी वाले धनाडय व्यक्ति थे
। 42
सदस्यों
वाले साहिब सिंह का संयुक्त
परिवार और उनका अमीरी रहन सहन
पुराने जमाने के किसी जमीदार
की याद दिलाता था ।साहिब सिंह खुद लेखपाल पद पर सरकारी नौकरी कर चुके थे । और उनके आठ पुत्र भगवान की कृपा से पुलिस । इनकम टेक्स । इंजीनियर जैसे पदों पर नौकरियां कर रहे थे । कुल मिलाकर पैसा उनके यहां आता नहीं था । बल्कि बरसता था । नौकरी के अलावा खेती । ट्रेक्टर और ट्रकों से उन्हें अतिरिक्त आमदनी होती थी ।
साहिब सिंह से मेरी मुलाकात । मानसी विला । पर कुछ ही देर पहले शाम तीन बजे हुयी थी । पांच हजार वर्ग मीटर जगह में बना मानसी विला चार मंजिला महल के जैसा था । जिसके ऊपर की तीन मंजिले आफ़िस के उद्देश्य से किराये पर उठी हुयी थी ।
और ग्राउंड फ़्लोर पर दो हजार वर्ग मीटर में बना सेपरेट पोर्शन नीलेश दी ग्रेट के निजी प्रयोग के लिये था । शेष तीन हजार वर्ग मीटर की भूमि आफ़िसों के वाहन आदि के उद्देश्य से बनी थी ।
नीलेश मेरा मित्र और एक अच्छा साधक था । मानसी उसकी प्रेमिका का नाम था । मानसी विला में नीलेश के परिवार का कोई भी सदस्य नहीं रहता था । उसकी देखभाल के लिये महादेव और ऊषा नामक दम्पत्ति नियुक्त थे । जो आसाम के रहने वाले थे ।
मानसी विला की उपरली तीन मंजिलो से ढाई लाख रुपया मंथली किराया आता था । जो नीलेश दी ग्रेट की पाकेट मनी के काम आता था । इस सबके बाबजूद मानसी विला पर मेरा या नीलेश का मिलना ईद के चांद जैसा ही था ।
SOURSE- HINDIVICHARMUNCH
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