सन्यासी
इसमें लिखे गए सभी वृतांत काल्पनिक है और केवल मेरे मित्रो के मनोरंजन के उद्देश्य से लिखे गए है
रात
के सवा बारह का समय था। अमावश्या
की काली रात थी। सुनसान सड़क
पर हमारी हार्ड टॉप जिप्सी
फर्राटे भरती हुवी यमुना के
किनारे की सड़क पर भागी जा रही
थी। सड़क पर निशाचर जीव जन्तुवो
का भी नामो निशान नहीं था।
शायद दिन भर मई की धुप के थपेड़े
खा के सभी अपने रेन बसेरो में
आराम कर रहे थे। जिप्सी की
हेडलाइट में कुछ कीट अवश्य
अपनी उपस्थित दर्ज करके मानो
ये इंगित करने की कोशिश कर रहे
थे की हम इलाहाबाद का शहरी
इलाका छोड़ अब बियावान के
हवाले है। बुजुर्ग ड्राइवर
प्रह्लाद सिंह यादव जी की चौकस
निगाहे सड़क पे जमी हुवी थी।
६२ साल की उम्र में भी वो बुजुर्ग
फौजी दम ख़म और हिम्मत में आज
के सामान्य जवानों को मात देते
लगते थे।
शहरी छेत्र में सड़क थोड़ी अच्छी थी तो मैंने और दमन सिंह ने थोड़ी झपकी ले ली थी। बस अब तो खुली आँखों से सड़क के गड्ढों के हवाले थे ! कुछ अपने मित्र दमन सिंह के बारे में बता दू। मेरे हम उम्र , हम प्याला हम निवाला मेरे जिगरी दोस्त। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के पढ़ाई के दौरान शुरू हुवी दोस्ती कब प्रगाढ़ होती चली गई, पता ही न चला। उन्होंने इतिहास से MA किया फिर कुछ और करने को न था तो पीएचडी भी कर डाली। अभी भारत के पुरततव विभाग ने बड़े अफसर है। प्राचीन इतिहास के सम्बन्द में खोज का अच्छा अनुभव रखते है.! परा मानवीय विषयों में खासी दिलचस्पी रखते है।
दमन सिंह , पूरा नाम श्री रिपुदमन सिंह , अपने नाम के अनुरुप थोड़ा गुसैल स्वाभाव के है। हा मूड में हुवे तो हँसा हँसा के पेट में दर्द पैदा कर दे। बस ईश्वर ने दुनिया पर एक ही उपकार किया। वो कहते है न , भगवन गंजे को नाख़ून नहीं देता। महाशय एक दम सिकिया पहलवान के सगे भाई प्रतीत होते है. गुसैल स्वाभाव। किसी की बात सहन करना आता ही नहीं महोदय को। वो तो अपनी हेल्थ से मात खा जाते है नहीं तो क्रुद्ध हो गए तो जलजला ही ला दे सरकार।
दमन सिंह ने ही मुझे काशी से बुलाया था। उन्हें खबर मिली थी की मिल्कीपुर के शमशान के आस पास एक सिद्ध बाबा को भटकता देखा गया है। पैरानॉर्मल विषय में दिलचस्पी और उनकी जिज्ञासा उन्हें मुझे फ़ोन करने पर मजबूर कर गई । तंत्र मंत्र के मेरे शोध की दिशा में कुछ ज्ञानार्जन की अभिलाषा में में भी भागा चला आया। इन विषयों पे दमन कभी अकेले आगे नहीं बढ़ाते। में भी अपंने तंत्र मंत्र के शोध सम्बंधित अभियानों पर सदा उनका साथ चाहता हु।
शहरी छेत्र में सड़क थोड़ी अच्छी थी तो मैंने और दमन सिंह ने थोड़ी झपकी ले ली थी। बस अब तो खुली आँखों से सड़क के गड्ढों के हवाले थे ! कुछ अपने मित्र दमन सिंह के बारे में बता दू। मेरे हम उम्र , हम प्याला हम निवाला मेरे जिगरी दोस्त। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के पढ़ाई के दौरान शुरू हुवी दोस्ती कब प्रगाढ़ होती चली गई, पता ही न चला। उन्होंने इतिहास से MA किया फिर कुछ और करने को न था तो पीएचडी भी कर डाली। अभी भारत के पुरततव विभाग ने बड़े अफसर है। प्राचीन इतिहास के सम्बन्द में खोज का अच्छा अनुभव रखते है.! परा मानवीय विषयों में खासी दिलचस्पी रखते है।
दमन सिंह , पूरा नाम श्री रिपुदमन सिंह , अपने नाम के अनुरुप थोड़ा गुसैल स्वाभाव के है। हा मूड में हुवे तो हँसा हँसा के पेट में दर्द पैदा कर दे। बस ईश्वर ने दुनिया पर एक ही उपकार किया। वो कहते है न , भगवन गंजे को नाख़ून नहीं देता। महाशय एक दम सिकिया पहलवान के सगे भाई प्रतीत होते है. गुसैल स्वाभाव। किसी की बात सहन करना आता ही नहीं महोदय को। वो तो अपनी हेल्थ से मात खा जाते है नहीं तो क्रुद्ध हो गए तो जलजला ही ला दे सरकार।
दमन सिंह ने ही मुझे काशी से बुलाया था। उन्हें खबर मिली थी की मिल्कीपुर के शमशान के आस पास एक सिद्ध बाबा को भटकता देखा गया है। पैरानॉर्मल विषय में दिलचस्पी और उनकी जिज्ञासा उन्हें मुझे फ़ोन करने पर मजबूर कर गई । तंत्र मंत्र के मेरे शोध की दिशा में कुछ ज्ञानार्जन की अभिलाषा में में भी भागा चला आया। इन विषयों पे दमन कभी अकेले आगे नहीं बढ़ाते। में भी अपंने तंत्र मंत्र के शोध सम्बंधित अभियानों पर सदा उनका साथ चाहता हु।
यह कहनी आपको कैसी लगी कृपया अपने विचार व्यक्त करे
prem-sagar
No comments:
Post a Comment