"भाभी माँ "
"ओफ भाभी....! कितना ले जाऊंगी..बस हो गया" नम्रता ने कहा
"क्या हो गया....कभी-कभी तो आती है....तुम इनकी भाई होती तो आधा हिस्सा लेती कि न लेती"
"पर भाभी ,भैया इतने खर्चे में हैं....आप लोगो का इतना प्यार मिल रहा है ,वही बहुत है मेरे लिये"
ननद एक वर्ष बाद आयी थी....सपना ने उसे बेटी की तरह पाला पोसा था...हालांकि सपना की सास कभी नही चाहती थी कि बेटी अपनी भाभी के सम्पर्क में रहे पर बेटी नम्रता के व्यवहार से भाभी की बेटी ही बनकर रह गयी थी......
आज एक सप्ताह रहकर बेटी पुनः अपनी ससुराल जा रही थी......
"बहू....! जा किचन मे जा...दूध उबाल पर है" सपना की सास उनके पास आते ही बोली
"जी, मां जी " कहते हुये सपना किचन में चली गयी....बहू के किचन में जाते ही सास ने अपनी बेटी को दस हजार रुपये अपनी साड़ी के पल्लू में से निकाल कर दिया.....
"यह क्या मां..?"
"रख ले बेटी तेरे काम आयेंगे"
"पर मां, तुझे यह मिले कहां....आपकी कोई नौकरी तो है नही....अभी भैया को छुटकी के स्कुल की फीस भरनी है....उन्ही को दे दीजिये,अभी उन्हें इसकी ज्यादा जरूरत है "
"नही बेटी ..तुम्हारे पापा मुझे कंगाल छोड़कर नही गये थे, ......रख ले.."
और जबरन बेटी के हाथ में रुपियो टूंसकर चली गयीं.. ..बेटी नम्रता को पिछले महीने का भाभी का फोन याद आया.....
भाभी बहुत परेशान थीं.....भैया को सेलरी मिली थी और उसमें से दस हजार रुपये घर में से गायब हो गए बता रही थीं.....
उसने कुछ सोचा,वह होल से मुस्करायी और किचन की तरफ चल पड़ी....
"अच्छा भाभी मैं चली....और हां यह दस हजार रुपये अभी सोफे के नीचे मिला है....मेरी जूती उसके नीचे चली गयी थी..जूती तलाशने में यह भी मिला.....शायद यह वही रुपया है जिसके विषय में आपने फोन किया था "
सपना की आंखों में आंसू थे.....वह सास और ननद की बातें सुन चुकी थी....ननद को अपने आगोश में भर लिया....और धीरे से कहा "तू मेरी सबसे बड़ी बेटी है "
ननद -भाभी दोनों मुस्करा पड़ीं,सच है जीवन का यह भी एक सुन्दर रूप है
दोस्तों बदलते रिस्तो की कहानी ...कैसी लगी ...
साभार -फेसबुक
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