फिर जान फ्रेडरिक के संकेत पर वे अपनी कुर्सियों से उठ खड़े हुए।
"हम अभी हाजिर होते हैं ।" - जान फ्रेडरिक बोला।
तीनों कमरे से बाहर निकल गये ।
राज अकेला कमरे में बैठा रहा ।
थोड़ी देर बाद वे वापिस लौट । इस बार मिलर भी उनके साथ आया था ।
“मिस्टर राज ।" - जान फ्रेडरिक उसकी ओर एक कागज बढाता हुआ बोला - "इस कागज पर इस इमारत का पता लिखा हुआ है । अपने कहे अनुसार कल रात आप यहां तशरीफ ले आइयेगा । मिलर आपको हमारे पास पहुंचा देगा।"
"आप लोग यहां नहीं होंगे?"
"नहीं । हम यहां नहीं रहते । यह निवास स्थान मिलर का है ।"
“और आप लोग कहां रहते हैं ?"
"फिलहाल यह प्रश्न महत्वपूर्ण नहीं है । कल रात हम आपके आगमन की प्रतीक्षा करेंगे । मिलर आपको वापिस अपने होटल तक छोड़
आयेगा ।"
"जरूरत नहीं।" - राज जल्दी से बोला - "मुझे बाहर का रास्ता दिखाइये ।
होटल तक मैं खुद पहुंच जाऊंगा।"
"ओके । मिलर आपको बाहर तक छोड़ आयेगा |
गुड नाइट ।"
"गुड नाइट ।" - राज बोला।
"दिस वे, मिस्टर राज ।" - मिलर बोला ।
राज मिलर के साथ हो लिया । मिलर उसे गली से पार मुख्य सड़क पर छोड़ गया।
एक टैक्सी पर सवार होकर राज अपने होटल पहुंचा।
रिसैप्शन से उसने अपने कमरे की चाबी ली और लिफ्ट के रास्ते अपने फ्लोर पर पहुंच गया ।
वह अपने कमरे के सामने पहुंचा ।
उसने दरवाजे का ताला खोला और दरवाजे को भीतर धकेला।
उसने कमरे में कदम रखा और एकदम ठिठक गया ।
कमरे में से जलते हुये सिगार की गन्ध आ रही थी।
इससे पहले कि वह कमरे से बाहर निकलने के बारे में सोच भी पाता, कमरे की बत्ती जल उठी ।
कमरे में उससे केवल दो कदम दूर एक लाल चेहरे वाला लम्बा तडंगा अंग्रेज खड़ा था । उसके चेहरे पर चेचक के दाग थे, माथे पर एक चोट का लम्बा निशान था और नाक जरूरत से ज्यादा बड़ी थी । उसके मुंह में एक जलता हुआ सिगार दबा हुआ था । उसके हाथ में एक रिवाल्वर थी, जिसकी नाल राज की ओर तनी हुई थी । वह पुलिस इन्स्पेक्टर की यूनीफार्म पहने हुये था
"प्लीज कम इन ।" - इन्स्पेक्टर मधुर स्वर से बोला।
राज अनिश्चित-सा कमरे में प्रविष्ट हो गया ।
उसी क्षण एक दूसरा आदमी बाथरूम में से निकला । उसने आगे बढकर कमरे का द्वार बन्द कर दिया । दूसरा एक हैट और एक लम्बा ओवरकोट पहने हुये था ।
राज ने कमरे में दृष्टि दौड़ाई ।
उसका सूटकेस पलंग पर खुला पड़ा था । सूटकेस का सारा सामान पलंग पर फैला हुआ था । वैसी ही हालत में उसका ब्रीफकेस भी था । ब्रीफकेस में मौजूद एक-एक कागज पलंग पर बिखरा पड़ा था।
"इस हरकत का क्या मतलब हुआ ?" - राज ने क्रोधित स्वर से पूछा।
इन्स्पेक्टर ने अपना रिवाल्वर वाला हाथ नीचे झुका लिया और पूर्ववत् मधुर स्वर से बोला - "मेरा नाम इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड है ।"
"मैंने नाम नहीं पूछा ।"
"फिर भी मुझे बताना तो था ही । आप मिस्टर राज है न?"
"हां, लेकिन..." "हमें विश्वस्त सूत्रों से पता लगा है कि आप स्मगलिंग का धन्धा करते हैं और अपने देश से अपने साथ चरस लाये हैं ।"
"आपका दिमाग तो नहीं खराब हो गया है ?" - राज चिल्लाकर बोला - "आप..."
"धीरे बोलिये ।" - इन्सपेक्टर डांट कर बोला । '
"क्यों धीरे बोलूं ?" - राज और ज्यादा चिल्लाकर बोला - "आप जानते हैं, मैं कौन हूं? मैं प्रेस प्रतिनिधि के रूप में अपने देश के प्रधानमन्त्री के साथ यहां कामनवैल्थ प्रीमियर्स की कांफ्रेंस कवर करने के लिये आया हूं और आप मुझे चरस का स्मगलर सिद्ध कर रहे हैं
"प्रेस प्रतिनिधि होने के साथ-साथ आप स्मगलर भी हो सकते हैं।"
"लेकिन मैं स्मगलर नहीं हूं।"
"हमारी सूचना यही कहती है ।"
"आपकी सूचना गलत है और आपने मेरी गैरहाजिरी में मेरे कमरे में घुसकर और मेरे सामान की तलाशी लेकर एक अनाधिकार चेष्टा की है । मैं इसकी रिपोर्ट अपने देश के हाई कमिश्नर से करूंगा।"
"आप ऐसा कुछ नहीं करेंगे ।" - इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड शान्त स्वर में बोला।
"क्यों नहीं करूंगा? कौन रोकेगा मुझे?"
"आपको रोकेगा कोई नहीं लेकिन आपके पास वक्त नहीं है।"
"क्या मतलब?"
"कल सुबह के प्लेन से आप लन्दन से भारत के लिये प्रस्थान कर रहे हैं ।"
“मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा हूं । आप मुझे जबरदस्ती यहां से नहीं निकाल सकते । मेरे पास लीगल पासपोर्ट और वीसा है और मैं अपने देश के प्रधानमन्त्री के साथ आया हूं | आप मेरे साथ किसी प्रकार की जबरदस्ती नहीं कर सकते ।"
"जबरदस्ती कौन कर रहा है, साहब ! आप अपनी मर्जी से कल सुबह यहां से रवाना हो रहे है
"मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा हूं | और मैं अभी तुम्हारी रिपोर्ट करता हूं।"
राज लम्बे डग भरता टेलीफोन की ओर बढा ।
उसी क्षण लम्बे ओवरकोट वाले का हाथ हवा में घूमा ।
कोई भारी चीज राज की खोपड़ी के पृष्ठ भाग से टकराई।
राज की आंखों के आगे अंधेरा छा गया । उसके घुटने मुड़ गये और उसके हाथों ने अपने आप उठकर सिर को थाम लिया ।
इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड अपनी रिवाल्वर को नाल की ओर से पकड़े उसकी ओर बढा ।
राज ने अपने सिर को झटका दिया । फिर उसने उस अधबैठी स्थिति में ही टेलीफोन की ओर छलांग लगा दी। उसने जल्दी से रिसीवर को क्रेडल से खींचा और हांफता हुआ माउथपीस में बोला - "हैल्प ! हैल्प !!"
राज ने इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड का रिवाल्वर वाला हाथ अपनी खोपड़ी की ओर घूमता देखा । वह नीचे झुक कर वार बचा गया ।
लम्बे ओवरकोट वाला भी हाथ में छोटा-सा डन्डा लिये उसकी ओर बढ़ रहा था ।
लम्बे ओवरकोट वाला भी हाथ में छोटा-सा डन्डा लिये उसकी ओर बढ़ रहा था ।
राज ने टेलीफोन को रिसीवर सहित उठा लिया एक झटके से उसने टेलिफोन के प्लग को साकेट से निकाल दिया । उसने टेलीफोन को दुबारा
अपने पर वार करने को तत्पर इन्स्पेक्टर के ऊपर खींच मारा।
टेलीफोन भड़ाक से इन्स्पेक्टर के चेहरे पर से टकराया । उसके हाथ से रिवाल्वर निकल कर जमीन पर जा गिरी।
राज रिवाल्वर पर झपटा ।
उसी क्षण काले ओवरकोट वाला उसके सिर पर पहुंच गया। उसके हाथ में थमे डन्डे का भरपूर प्रहार फिर राज के सिर पर पड़ा। उसके बाद क्या हुआ, राज को पता नहीं लगा
उसकी चेतना लुप्त हो चुकी थी।
***
जब राज की आंख खुली तो उसने अपने आप को अस्पताल के एक कमरे में पाया ।
उसके जिस्म का जोड़-जोड़ दुख रहा था और उसके सिर पर पट्टी बंधी हुई थी।
उसने सिर घुमाकर कमरे में चारों ओर देखा । कमरा खाली था ।
फिर उसे पलंग के साथ काल बैल का पुश लटका दिखाई दिया । उसने पुश का बटन दबाया और
उस पर से हाथ हटाना भूल गया ।
एक आदमी भागता हुआ कमरे में घुसा । वह एक सफेद कोट पहने हुये था और उसके गले में स्टेथस्कोप लटक रहा था ।
"क्या करते हो, मिस्टर ?" - वह जल्दी से बोला
राज ने पुश पर से हाथ हटा लिया ।
"तुम डॉक्टर हो ?" - राज बोला ।
"हां ।" - उत्तर मिला। “
मैं कहां हूं?"
"तुम सिल्वर जुबली अस्पताल में हो ।" - डॉक्टर ने बताया ।
"मैं यहां कैसे पहुंचा ?"
"तुम एक दुर्घटना के शिकार हो गये थे ।"
"कैसे?"
"तुम्हें नहीं मालूम ?" - डॉक्टर तनिक हैरानी भरे स्वर में बोला।
राज ने नकारात्मक ढंग से सिर हिला दिया । "हद से ज्यादा शराब पीने का यही अन्जाम होता है।" - डॉक्टर धीरे से बोला ।
"किसने पी थी शराब ?" - राज तीव्र स्वर से बोली।
"तुमने और किसने ? तभी तो सड़क पर चलते हुये कार से जा टकराये थे ।"
"कहां?"
"प्रिंस एल्बर्ट रोड पर | जब तुम अस्पताल में लाये गये थे, तब भी तुम्हारे मुंह से शराब के भभूके छूट रहे थे।"
"लेकिन कल मैंने शराब नहीं पी थी । बल्कि शराब को चखा तक नहीं था ।"
"तुम शराब नहीं पीते ?"
"पीता तो हूं लेकिन..." '
"तो क्या रात को किसी ने शराब जबरदस्ती तुम्हारे हलक में उड़ेल दी थी ?"
"हां, यह हो सकता है।" डाक्टर विचित्र नेत्रों से उसकी ओर देखने लगा |
"मेरी हालत कैसी है ?"
"खुशकिस्मत हो तुम | कोई हड्डी नहीं टूटी है और बाकी जिस्म पर भी थोड़ी बहुत खरोचें ही आई हैं । सिर्फ सर में ज्यादा चोट आई है।"
"मैं यहां कैसे पहुंचा ?"
"किसी भले आदमी ने तुम्हें सड़क पर पड़ा पाया था । वह तुम्हें यहां अस्पताल में छोड़ गया था ।"
"किसी ने मुझे कार से टकराते देखा था ?"
"उसी आदमी ने देखा था जो तुम्हें यहां छोड़ने आया था ।"
"उसके अलावा ?"
"मुझे खबर नहीं।"
"और वह भला आदमी जो मुझे यहां छोड़कर गया था, इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड था ।"
"इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड !" - डॉक्टर उलझनपूर्ण स्वर से बोला।
"हां | लाल चेहरे वाला लम्बा-तगड़ा आदमी । चेहरे पर चेचक के दाग, माथे पर एक चोट का लम्बा निशान..."
"नहीं, नहीं वह आदमी तो..." “एक लम्बा ओवरकोट पहने हुए था और उसके सिर पर हैट था ।"
"तुम्हें कैसे मालूम ? तुम तो बेहोशी की हालत में यहां लाये गये थे।"
"डॉक्टर साहब, आपकी जानकारी के लिये न मैंने शराब पी थी और न मैं किसी एक्सीडेन्ट का शिकार हआ था । जो लम्बे ओवरकोट वाला आदमी मझे यहां छोडकर गया था, उसने और इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड ने मेरे कमरे में मेरी यह हालत बनाई थी।"
"क्यों ?" - डॉक्टर संदिग्ध स्वर से बोला ।
"मालूम नहीं।"
डॉक्टर के चेहरे पर से अविश्वास के भाव झलकने लगे।
"मुझे मालूम था, तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं आयेगा।"
"तुमने घण्टी क्यों बजाई थी ?"
"मैं पुलिस को रिपोर्ट करना चाहता हूं । नहीं... यहां के पुलिस वालों ने ही तो मेरी यह हालत बनाई है । उन्हें रिपोर्ट करने का क्या फायदा ? मैं अपने देश के हाई कमीशन के किसी अधिकारी से बात करना चाहता हूं।"
उस समय रात के बारह बजे थे लेकिन फिर भी डॉक्टर ने राज की भारतीय हाई कमीशन के एक अधिकारी से उसकी बात करवा दी ।
राज ने अधिकारी को अपनी दास्तान सुनाई । अधिकारी ने फौरन एक्शन लेने का वादा किया और टेलीफोन बन्द कर दिया ।
रात को दो बजे उसी अधिकारी से उसकी फिर टेलीफोन पर बात हुई।
"मिस्टर राज" - अधिकारी बोला - "मैंने सार मामले की खुद छानबीन की है और मुझे खेद के साथ सूचित करना पड़ता है कि मुझे आपकी कहानी एकदम तथ्यहीन लगी है । मैंने अस्पताल के एमरजेन्सी वार्ड के डॉक्टर से बात की है। उसके कथनानुसार आप मोटर दुर्घटना के ही शिकार हुये हैं। आपके शरीर पर जिस प्रकार की
चोट आई है, उससे जाहिर होता है कि आप किसी चलती कार की साइड से टकराये थे । कार ने आपको फुटपाथ पर उछाल दिया था और आपका सिर एक बिजली के खम्भे से जा टकराया था। और यह बात हर किसी ने नोट की थी कि आपके मुंह से शराब के भभूके छूट रहे थे..."
"लेकिन..." - राज ने प्रतिवाद करना चाहा । "सुनते रहिये । मैं आपके होटल के कमरे में भी गया था । वहां मुझे ऐसा की सूत्र नहीं मिला था जिससे यह जाहिर होता हो कि वहां लड़ाई
झगड़ा हुआ था । वहां न टेलीफोन टूटा हुआ था
और न ही आपका सामान बिखरा हुआ था । हर चिज उसी तरतीब में थी जैसी में कि वह होनी चाहिये थी । और आपकी जानकारी के लिये लन्दन पुलिस फोर्स में क्राफोर्ड नाम का कोई इन्स्पेक्टर नहीं है और न ही उस हुलिये का कोई
आदमी पुलीस में है जो कि आपने इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड का सहकारी बताता था ।"
आखिरी शिकार
"हम अभी हाजिर होते हैं ।" - जान फ्रेडरिक बोला।
तीनों कमरे से बाहर निकल गये ।
राज अकेला कमरे में बैठा रहा ।
थोड़ी देर बाद वे वापिस लौट । इस बार मिलर भी उनके साथ आया था ।
“मिस्टर राज ।" - जान फ्रेडरिक उसकी ओर एक कागज बढाता हुआ बोला - "इस कागज पर इस इमारत का पता लिखा हुआ है । अपने कहे अनुसार कल रात आप यहां तशरीफ ले आइयेगा । मिलर आपको हमारे पास पहुंचा देगा।"
"आप लोग यहां नहीं होंगे?"
"नहीं । हम यहां नहीं रहते । यह निवास स्थान मिलर का है ।"
“और आप लोग कहां रहते हैं ?"
"फिलहाल यह प्रश्न महत्वपूर्ण नहीं है । कल रात हम आपके आगमन की प्रतीक्षा करेंगे । मिलर आपको वापिस अपने होटल तक छोड़
आयेगा ।"
"जरूरत नहीं।" - राज जल्दी से बोला - "मुझे बाहर का रास्ता दिखाइये ।
होटल तक मैं खुद पहुंच जाऊंगा।"
"ओके । मिलर आपको बाहर तक छोड़ आयेगा |
गुड नाइट ।"
"गुड नाइट ।" - राज बोला।
"दिस वे, मिस्टर राज ।" - मिलर बोला ।
राज मिलर के साथ हो लिया । मिलर उसे गली से पार मुख्य सड़क पर छोड़ गया।
एक टैक्सी पर सवार होकर राज अपने होटल पहुंचा।
रिसैप्शन से उसने अपने कमरे की चाबी ली और लिफ्ट के रास्ते अपने फ्लोर पर पहुंच गया ।
वह अपने कमरे के सामने पहुंचा ।
उसने दरवाजे का ताला खोला और दरवाजे को भीतर धकेला।
उसने कमरे में कदम रखा और एकदम ठिठक गया ।
कमरे में से जलते हुये सिगार की गन्ध आ रही थी।
इससे पहले कि वह कमरे से बाहर निकलने के बारे में सोच भी पाता, कमरे की बत्ती जल उठी ।
कमरे में उससे केवल दो कदम दूर एक लाल चेहरे वाला लम्बा तडंगा अंग्रेज खड़ा था । उसके चेहरे पर चेचक के दाग थे, माथे पर एक चोट का लम्बा निशान था और नाक जरूरत से ज्यादा बड़ी थी । उसके मुंह में एक जलता हुआ सिगार दबा हुआ था । उसके हाथ में एक रिवाल्वर थी, जिसकी नाल राज की ओर तनी हुई थी । वह पुलिस इन्स्पेक्टर की यूनीफार्म पहने हुये था
"प्लीज कम इन ।" - इन्स्पेक्टर मधुर स्वर से बोला।
राज अनिश्चित-सा कमरे में प्रविष्ट हो गया ।
उसी क्षण एक दूसरा आदमी बाथरूम में से निकला । उसने आगे बढकर कमरे का द्वार बन्द कर दिया । दूसरा एक हैट और एक लम्बा ओवरकोट पहने हुये था ।
राज ने कमरे में दृष्टि दौड़ाई ।
उसका सूटकेस पलंग पर खुला पड़ा था । सूटकेस का सारा सामान पलंग पर फैला हुआ था । वैसी ही हालत में उसका ब्रीफकेस भी था । ब्रीफकेस में मौजूद एक-एक कागज पलंग पर बिखरा पड़ा था।
"इस हरकत का क्या मतलब हुआ ?" - राज ने क्रोधित स्वर से पूछा।
इन्स्पेक्टर ने अपना रिवाल्वर वाला हाथ नीचे झुका लिया और पूर्ववत् मधुर स्वर से बोला - "मेरा नाम इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड है ।"
"मैंने नाम नहीं पूछा ।"
"फिर भी मुझे बताना तो था ही । आप मिस्टर राज है न?"
"हां, लेकिन..." "हमें विश्वस्त सूत्रों से पता लगा है कि आप स्मगलिंग का धन्धा करते हैं और अपने देश से अपने साथ चरस लाये हैं ।"
"आपका दिमाग तो नहीं खराब हो गया है ?" - राज चिल्लाकर बोला - "आप..."
"धीरे बोलिये ।" - इन्सपेक्टर डांट कर बोला । '
"क्यों धीरे बोलूं ?" - राज और ज्यादा चिल्लाकर बोला - "आप जानते हैं, मैं कौन हूं? मैं प्रेस प्रतिनिधि के रूप में अपने देश के प्रधानमन्त्री के साथ यहां कामनवैल्थ प्रीमियर्स की कांफ्रेंस कवर करने के लिये आया हूं और आप मुझे चरस का स्मगलर सिद्ध कर रहे हैं
"प्रेस प्रतिनिधि होने के साथ-साथ आप स्मगलर भी हो सकते हैं।"
"लेकिन मैं स्मगलर नहीं हूं।"
"हमारी सूचना यही कहती है ।"
"आपकी सूचना गलत है और आपने मेरी गैरहाजिरी में मेरे कमरे में घुसकर और मेरे सामान की तलाशी लेकर एक अनाधिकार चेष्टा की है । मैं इसकी रिपोर्ट अपने देश के हाई कमिश्नर से करूंगा।"
"आप ऐसा कुछ नहीं करेंगे ।" - इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड शान्त स्वर में बोला।
"क्यों नहीं करूंगा? कौन रोकेगा मुझे?"
"आपको रोकेगा कोई नहीं लेकिन आपके पास वक्त नहीं है।"
"क्या मतलब?"
"कल सुबह के प्लेन से आप लन्दन से भारत के लिये प्रस्थान कर रहे हैं ।"
“मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा हूं । आप मुझे जबरदस्ती यहां से नहीं निकाल सकते । मेरे पास लीगल पासपोर्ट और वीसा है और मैं अपने देश के प्रधानमन्त्री के साथ आया हूं | आप मेरे साथ किसी प्रकार की जबरदस्ती नहीं कर सकते ।"
"जबरदस्ती कौन कर रहा है, साहब ! आप अपनी मर्जी से कल सुबह यहां से रवाना हो रहे है
"मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा हूं | और मैं अभी तुम्हारी रिपोर्ट करता हूं।"
राज लम्बे डग भरता टेलीफोन की ओर बढा ।
उसी क्षण लम्बे ओवरकोट वाले का हाथ हवा में घूमा ।
कोई भारी चीज राज की खोपड़ी के पृष्ठ भाग से टकराई।
राज की आंखों के आगे अंधेरा छा गया । उसके घुटने मुड़ गये और उसके हाथों ने अपने आप उठकर सिर को थाम लिया ।
इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड अपनी रिवाल्वर को नाल की ओर से पकड़े उसकी ओर बढा ।
राज ने अपने सिर को झटका दिया । फिर उसने उस अधबैठी स्थिति में ही टेलीफोन की ओर छलांग लगा दी। उसने जल्दी से रिसीवर को क्रेडल से खींचा और हांफता हुआ माउथपीस में बोला - "हैल्प ! हैल्प !!"
राज ने इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड का रिवाल्वर वाला हाथ अपनी खोपड़ी की ओर घूमता देखा । वह नीचे झुक कर वार बचा गया ।
लम्बे ओवरकोट वाला भी हाथ में छोटा-सा डन्डा लिये उसकी ओर बढ़ रहा था ।
लम्बे ओवरकोट वाला भी हाथ में छोटा-सा डन्डा लिये उसकी ओर बढ़ रहा था ।
राज ने टेलीफोन को रिसीवर सहित उठा लिया एक झटके से उसने टेलिफोन के प्लग को साकेट से निकाल दिया । उसने टेलीफोन को दुबारा
अपने पर वार करने को तत्पर इन्स्पेक्टर के ऊपर खींच मारा।
टेलीफोन भड़ाक से इन्स्पेक्टर के चेहरे पर से टकराया । उसके हाथ से रिवाल्वर निकल कर जमीन पर जा गिरी।
राज रिवाल्वर पर झपटा ।
उसी क्षण काले ओवरकोट वाला उसके सिर पर पहुंच गया। उसके हाथ में थमे डन्डे का भरपूर प्रहार फिर राज के सिर पर पड़ा। उसके बाद क्या हुआ, राज को पता नहीं लगा
उसकी चेतना लुप्त हो चुकी थी।
***
जब राज की आंख खुली तो उसने अपने आप को अस्पताल के एक कमरे में पाया ।
उसके जिस्म का जोड़-जोड़ दुख रहा था और उसके सिर पर पट्टी बंधी हुई थी।
उसने सिर घुमाकर कमरे में चारों ओर देखा । कमरा खाली था ।
फिर उसे पलंग के साथ काल बैल का पुश लटका दिखाई दिया । उसने पुश का बटन दबाया और
उस पर से हाथ हटाना भूल गया ।
एक आदमी भागता हुआ कमरे में घुसा । वह एक सफेद कोट पहने हुये था और उसके गले में स्टेथस्कोप लटक रहा था ।
"क्या करते हो, मिस्टर ?" - वह जल्दी से बोला
राज ने पुश पर से हाथ हटा लिया ।
"तुम डॉक्टर हो ?" - राज बोला ।
"हां ।" - उत्तर मिला। “
मैं कहां हूं?"
"तुम सिल्वर जुबली अस्पताल में हो ।" - डॉक्टर ने बताया ।
"मैं यहां कैसे पहुंचा ?"
"तुम एक दुर्घटना के शिकार हो गये थे ।"
"कैसे?"
"तुम्हें नहीं मालूम ?" - डॉक्टर तनिक हैरानी भरे स्वर में बोला।
राज ने नकारात्मक ढंग से सिर हिला दिया । "हद से ज्यादा शराब पीने का यही अन्जाम होता है।" - डॉक्टर धीरे से बोला ।
"किसने पी थी शराब ?" - राज तीव्र स्वर से बोली।
"तुमने और किसने ? तभी तो सड़क पर चलते हुये कार से जा टकराये थे ।"
"कहां?"
"प्रिंस एल्बर्ट रोड पर | जब तुम अस्पताल में लाये गये थे, तब भी तुम्हारे मुंह से शराब के भभूके छूट रहे थे।"
"लेकिन कल मैंने शराब नहीं पी थी । बल्कि शराब को चखा तक नहीं था ।"
"तुम शराब नहीं पीते ?"
"पीता तो हूं लेकिन..." '
"तो क्या रात को किसी ने शराब जबरदस्ती तुम्हारे हलक में उड़ेल दी थी ?"
"हां, यह हो सकता है।" डाक्टर विचित्र नेत्रों से उसकी ओर देखने लगा |
"मेरी हालत कैसी है ?"
"खुशकिस्मत हो तुम | कोई हड्डी नहीं टूटी है और बाकी जिस्म पर भी थोड़ी बहुत खरोचें ही आई हैं । सिर्फ सर में ज्यादा चोट आई है।"
"मैं यहां कैसे पहुंचा ?"
"किसी भले आदमी ने तुम्हें सड़क पर पड़ा पाया था । वह तुम्हें यहां अस्पताल में छोड़ गया था ।"
"किसी ने मुझे कार से टकराते देखा था ?"
"उसी आदमी ने देखा था जो तुम्हें यहां छोड़ने आया था ।"
"उसके अलावा ?"
"मुझे खबर नहीं।"
"और वह भला आदमी जो मुझे यहां छोड़कर गया था, इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड था ।"
"इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड !" - डॉक्टर उलझनपूर्ण स्वर से बोला।
"हां | लाल चेहरे वाला लम्बा-तगड़ा आदमी । चेहरे पर चेचक के दाग, माथे पर एक चोट का लम्बा निशान..."
"नहीं, नहीं वह आदमी तो..." “एक लम्बा ओवरकोट पहने हुए था और उसके सिर पर हैट था ।"
"तुम्हें कैसे मालूम ? तुम तो बेहोशी की हालत में यहां लाये गये थे।"
"डॉक्टर साहब, आपकी जानकारी के लिये न मैंने शराब पी थी और न मैं किसी एक्सीडेन्ट का शिकार हआ था । जो लम्बे ओवरकोट वाला आदमी मझे यहां छोडकर गया था, उसने और इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड ने मेरे कमरे में मेरी यह हालत बनाई थी।"
"क्यों ?" - डॉक्टर संदिग्ध स्वर से बोला ।
"मालूम नहीं।"
डॉक्टर के चेहरे पर से अविश्वास के भाव झलकने लगे।
"मुझे मालूम था, तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं आयेगा।"
"तुमने घण्टी क्यों बजाई थी ?"
"मैं पुलिस को रिपोर्ट करना चाहता हूं । नहीं... यहां के पुलिस वालों ने ही तो मेरी यह हालत बनाई है । उन्हें रिपोर्ट करने का क्या फायदा ? मैं अपने देश के हाई कमीशन के किसी अधिकारी से बात करना चाहता हूं।"
उस समय रात के बारह बजे थे लेकिन फिर भी डॉक्टर ने राज की भारतीय हाई कमीशन के एक अधिकारी से उसकी बात करवा दी ।
राज ने अधिकारी को अपनी दास्तान सुनाई । अधिकारी ने फौरन एक्शन लेने का वादा किया और टेलीफोन बन्द कर दिया ।
रात को दो बजे उसी अधिकारी से उसकी फिर टेलीफोन पर बात हुई।
"मिस्टर राज" - अधिकारी बोला - "मैंने सार मामले की खुद छानबीन की है और मुझे खेद के साथ सूचित करना पड़ता है कि मुझे आपकी कहानी एकदम तथ्यहीन लगी है । मैंने अस्पताल के एमरजेन्सी वार्ड के डॉक्टर से बात की है। उसके कथनानुसार आप मोटर दुर्घटना के ही शिकार हुये हैं। आपके शरीर पर जिस प्रकार की
चोट आई है, उससे जाहिर होता है कि आप किसी चलती कार की साइड से टकराये थे । कार ने आपको फुटपाथ पर उछाल दिया था और आपका सिर एक बिजली के खम्भे से जा टकराया था। और यह बात हर किसी ने नोट की थी कि आपके मुंह से शराब के भभूके छूट रहे थे..."
"लेकिन..." - राज ने प्रतिवाद करना चाहा । "सुनते रहिये । मैं आपके होटल के कमरे में भी गया था । वहां मुझे ऐसा की सूत्र नहीं मिला था जिससे यह जाहिर होता हो कि वहां लड़ाई
झगड़ा हुआ था । वहां न टेलीफोन टूटा हुआ था
और न ही आपका सामान बिखरा हुआ था । हर चिज उसी तरतीब में थी जैसी में कि वह होनी चाहिये थी । और आपकी जानकारी के लिये लन्दन पुलिस फोर्स में क्राफोर्ड नाम का कोई इन्स्पेक्टर नहीं है और न ही उस हुलिये का कोई
आदमी पुलीस में है जो कि आपने इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड का सहकारी बताता था ।"
आखिरी शिकार
 
No comments:
Post a Comment