फिर अनिल साहनी
ने पर्दा जरा-सा हटाकर
बाहर झांका ।
तत्काल क्षण उसने
परदे को यथास्थान
कर दिया।
"पुलिस पहुंच गयी है
।" - वह वापिस
जान फ्रेडरिक और
रोशनी के पास
आकर बोला ।
"कितने आदमी हैं
?" - जान फ्रेडरिक ने पूछा
।
"मैंने गिने नहीं
लेकिन कई हैं।"
- अनिल साहनी बोला - "हम
उनका मुकाबला नहीं
कर सकते ।"
"एक मिनट यहीं
ठहरो ।" - जान
फ्रेडरिक बोला | वह तेजी
से काटेज के
बैकयार्ड की ओर
भागा | अपने एक
ही हाथ की
सहायता से वह
किसी प्रकार बैकयार्ड
को पिछली दीवार
पर चढ गया
।
उसने सावधानी से
गली में झांका
।
उसे दो सशस्त्र
पुलिसमैन गली में
उस ओर दिखाई
दिये । उसके
देखते-देखते वे
बाई ओर की
एक गली में
घूमकर गायब हो
गये ।
जान फ्रेडरिक दीवार
से हटा और
भागता हुआ वापिस
सामने के कमरे
में आ गया।
"फिलहाल पिछली गली खाली
है" - वह जल्दी
से बोला - "लेकिन
वहां भी किसी
भी क्षण पुलिस
आ सकती है
। मैंने दो
पुलिस वालों को
बायीं ओर की
गली में भागते
देखा है ।
वे भी वापिस
लौट सकते हैं
। तुम दोनों
पिछवाड़े से निकल
जाओ।" "हम दोनों
!" - अनिल साहनी हैरानी से
बोला - "और तुम
?"
एकाएक जान फ्रेडरिक
बेहद शान्त दिखाई
देने लगा ।
उसने अपना दायां
हाथ अपनी जेब
में डाला और
राज की दी
हुई रिवाल्वर निकाल
ली।
"मैं यहीं रहूंगा
।" - वह धीरे
से बोला - "मैं
तुम लोगों को
कवर करूगा ।
मैं बाहर कम्पाउन्ड
में मौजूद पुलिस
का ध्यान अपनी
ओर आकर्षित
कर लूंगा | इससे
तुम्हें भागने में सहूलियत
होगी
"लेकिन तुम्हारा क्या होगा
?" - रोशनी व्यग्र स्वर से
बोली - "वे लोग
तुम्हें भून कर
रख देंगे।"
"जाहिर है" - जान फ्रेडरिक
शांति से बोला
- "लेकिन बजाय इसके
कि हम तीनों
मारे जायें, अच्छा
है कि एक
ही आदमी मारा
जाये ।"
"लेकिन..."
"बहस मत करो
। वक्त भी
बरबाद मत करो
। जैसा मैं
कहता हूं, करो।"
"तुम हमारी खातिर जान
दे रहे हो?"
"मैं तो वैसे
ही एक मरा
हुआ इन्सान हूं।"
- जान फ्रेडरिक अपने
दांये हाथ में
थमी रिवाल्वर की
नाल से अपने
बांये कन्धे को
उस स्थान पर
टटोलता हुआ बोला
जहां से आगे
बांह गायब थी
- "और फिर मैं
अपनी जान पार्टी
की खातिर भी
तो दे रहा
हूं । अगर
हम तीनों मारे
गये तो जार्ज
टेलर की खबर
कौन लेगा? मुझ
जैसे अपाहिज आदमी
के मुकाबले में
तुम लोग उस
काम को बेहतर
अन्जाम दे सकते
हो ।"
रोशनी और अनिल
साहनी में से
किसी ने हिलने
की कोशिश नहीं
की।
"जल्दी करो ।"
- जान फ्रेडरिक उन्हें
जबरदस्ती पिछवाड़े की ओर
धकेलता हुआ बोला
।
अनिल साहनी और
रोशनी भारी कदमों
से पिछवाड़े की
ओर बढ़ चले
।
जान फ्रेडरिक द्वार
से आगे नहीं
बढा ।
"अलविदा !" - वह होंठों
में बुदबुदाया - "अलविदा
मेरे दोस्तो ।"
अनिल साहनी और
रोशनी भारी कदमों
से चलते हुये
वहां से विदा
हो गये। जान
फ्रेडरिक अकेला रह गया
। उसने कमरे
की बत्ती बुझा
दी। वह खिड़की
के समीप पहुंचा।
उसने रिवाल्वर की
नाल से खिड़की
पर पड़ा परदा
एक ओर सरका
दिया ।
पुलिस बड़ी तत्परता
से काटेज पर
घेरा डाल रही
थी।
जान फ्रेडरिक ने
खिड़की के एक
पल्ले को धक्का
दिया । खिड़की
खुल गई। फिर
जन फ्रेडरिक ने
बिना अन्जाम की
परवाह किये पुलिस
पर गोलियां बरसानी
शुरू कर दी।
सारा मिशन कम्पाउण्ड
फायरिंग की आवाज
से गूंज उठा।
***
राज और मारिट
प्रिन्स एल्बर्ट रोड के
इलाके से सुरक्षित
निकल आये ।
वे लोग टैक्सी
पर बैठे और
सोहो के एक
गन्दे से रेस्टोरेंट
में पहुंच गये।
नौ बजे के
न्यूज ब्राडकास्ट में
मिशन कम्पाउण्ड में
घटित घटनाओं का
बड़ा गर्मागर्म वर्णन
था । उस
न्यूज ब्राडकास्ट को
सुनकर ही राज
को मालूम हुआ
कि पीछे रह
गये जान फ्रेडरिक,
अनिल साहनी और
रोशनी पर क्या
गुजरी।
न्यूज ब्राडकास्ट के
अनुसार हावर्ड नाम के
एक व्यक्ति ने
स्काटलैंड यार्ड में फोन
किया था कि
प्रिंस एल्बर्ट रोड पर
स्थित मिशन कम्पाउन्ड
के तीन नम्बर
काटेज में कुछ
ऐसे व्यक्ति छुपे
हुये हैं जिनकी
पुलिस को पहले
से ही तलाश
थी और हावर्ड
स्वयं उन व्यक्तियों
द्वारा उसके अपने
ही काटेज में
गिरफ्तार करके रखा
गया था और
वह किसी प्रकार
चुपचाप अपने बन्धन
खोलकर वहां से
भाग निकलने में
सफल हो गया
था ।
यह पुलिस का
दुर्भाग्य था कि
उनकी भरपूर तत्परता
के बावजूद किसी
प्रकार अपराधियों को उनकी
खबर लग गई
थी और अपने
एक साथी को
छोड़कर वे सब
वहां से भाग
निकलने में सफल
हो गये थे
। अपराधियों
का एक साथी,
जो कि एक
अंग्रेज था और
जिसकी एक आंख
और एक बांह
गायब थी, हावर्ड
के काटेज में
से पुलिस पर
गोलियां चलाता रहा था
। स्वयं पुलिस
की गोलियां का
शिकार होने से
पहले वह एक
पुलिसमैन की हत्या
और दो पुलिसमैनों
को सख्त घायल
करने में सफल
हो गया था
। मृत के
दो साथी हावर्ड
के काटेज के
पिछवाड़े से भागे
थे । पिछवाड़े
में मौजूद एक
पुलिसमैन ने उन्हें
रोकने की कोशिश
की थी लेकिन
वे दोनों पुलिसमैन
को सख्त घायल
करके वहां से
भाग निकलने में
सफल हो गये
थे।
घायल पुलिसमैन के
बयान के अनुसार
वे दोनों काले
थे और उनमें
से एक युवती
थी और दूसरा
एक देव जैसा
लम्बा चौड़ा व्यक्ति
था। उससे केवल
तीन मिनट पहले
उसी पुलिसमैन ने
दो अन्य व्यक्तियों
को भी रोकने
की कोशिश की
थी। उन दोनों
में भी एक
युवक था और
दूसरी युवती थी
। गली में
--
प्रकाश की कमी
के बावजूद पुलिसमैन
उस युवक की
सूरत देखने में
सफल हो गया
था। वह युवक
भी काला था
और वह उसके
जबड़े पर चूंसा
जमा कर उसे
धराशायी करके भागने
में सफल हो
गया था ।
उस युवक की
साथी युवती की
सूरत वह नहीं
देख पाया था।
अन्त में एनाउन्सर
ने अनिल साहनी,
रोशनी
और राज का
हुलिया बयान किया
और लन्दन की
जनता के सामने
पुलिस की यह
अपील दोहराई कि
जो कोई भी
उन तीन अपराधियों
में से किसी
को देखे, वह
फौरन पुलिस को
सूचित करे। न्यूज
ब्राडकास्ट समाप्त हो गया।
राज ने मार्गरेट
को उठने का
संकेत किया ।
दोनों रेस्टोरेंट से
बाहर निकल आये
।
राज को चिन्ता
थी कि रेडियो
पर ब्राडकास्ट किये
गये उसके हुलिये
के दम पर
कोई उसे पहचान
न ले। न्यूज
ब्राडकास्ट से जाहिर
था कि जान
फ्रेडरिक पुलिस के हाथों
मारा गया था
लेकिन रोशनी और
अनिल साहनी भाग
निकलने में सफल
हो गये थे
और यह कि
मारिट के बारे
में पुलिस को
कोई जानकारी नहीं
थी | अगर हावर्ड
ने पुलिस को
यह बताया भी
हो कि मार्गरेट
अपराधियों के बन्धन
में थी तो
भी पुलिस को
मार्गरेट की वर्तमान
स्थिति का ज्ञान
नहीं था ।
"अब?" - बाहर आकर
मारिट ने पूछा।
"अब तुम मेरे
साथ डेनवर चलोगी
।" - राज बोला
- "मैं अनिल साहनी
और रोशनी को
डेनवर के समीप
स्थित तुम्हारे भाई
के टापू के
बारे में पहले
ही बता चुका
हूं । मुझे
पूरा विश्वास है
कि वे लोग
वहां जरूर पहुंचेंगे
। वे तुम्हारे
भाई की हत्या
करने के लिये
पूर्णतया दृढप्रतिज्ञ हैं।"
मार्गरेट ने कुछ
कहने के लिये
मुंह खोला लेकिन
फिर उसने अपना
इरादा बदल दिया
।
"और हमें फौरन
लन्दन से निकल
जाना है ।
मेरा हुलिया रेडियो
पर ब्राडकास्ट किया
जा चुका है।
लन्दन में मेरी
मौजूदगी मेरी लिए
बहुत खतरनाक सिद्ध
हो सकती है
। तुम्हें डेनवर
की ओर जाने
वाली गाड़ियों के
समय की कोई
जानकारी है?"
"ग्यारह बजे किंग्स
क्रास स्टेशन से
एक घड़ी डेनवर
की ओर जाती
है।"
"डेनवर कितने बजे पहुंचती
है वह ?"
"अगले दिन दस
बजे ।"
"ठीक है ।"
- राज सन्तुष्टपूर्ण ढंग
से सिर हिलाता
हुआ बोला - "और
टिकट वगैरह तुम
खरीदना । हो
सकता है स्टेशन
पर भी पुलिस
मेरी तलाश कर
रही हो ।
तुम्हारी ओर किसी
को ध्यान नहीं
जायेगा । मैं
ट्रेन चलने से
एक-दो। मिनट
पहले किसी प्रकार
चुपचाप ट्रेन में सवार
हो जाऊंगा।"
मार्गरेट चुप रही।
वे एक टैक्सी
पर सवार हुये
और किंग्स क्रास
स्टेशन की ओर
रवाना हो गये।
***
अनिल साहनी और रोशनी एक बनती हुई इमारत की तीसरी मंजिल पर छुपे हुये थे । वह इमारत प्रिंस एल्बर्ट रोड के बहत समीप थी । इमारत ग्यारह मंजिलों तक उठाई जा चुकी थी और अभी और ऊंची बन रही थी । यह उनका सौभाग्य था कि वे लोग इस इमारत की तीसरी मंजिल पर पहुंचकर छुपने में सफल हो गये थे । बहुत-सी घटनायें थीं जिनका जिक्र नौ बजे के न्यूज ब्राडकास्ट में नहीं था । जैसे मिशन कम्पाउन्ड के पिछवाडे की गली में जिस पलिसमैन को घायल करके वे दोनों भागे थे, वह अपनी सीटी बजाने में सफल हो गया था और जो दो पुलिसमैन राज और मार्गरेट के पीछे भाग रहे थे उनमें से एक सीटी की आवाज सुनकर वापिस आ गया था । उसने अनिल साहनी और रोशनी को भागते देखा था और उन पर अपनी सर्विस रिवाल्वर से फायर झोंकने आरम्भ कर दिये थे।
उस पुलिसमैन की एक गोली अनिल साहनी के बायें कन्धे को फाड़ती हुई गुजर गई थी।
फायरिंग और सीटी की आवाज सुनकर कई और पुलिसमैन उस गली में पहुंच गये थे और उनकी बाकायदा तलाश शुरू हो गई थी। अगर उस बनती हुई इमारत में उन्होंने शरण न ली होती तो वे जरूर पुलिस के हाथों में पड़ जाते
बड़ी कठिनाई से अनिल साहनी ने अपने शरीर से अपना कोट अलग किया । उसके कन्धे से इतना खून बह चुका था और अभी भी बह रहा था कि उसकी कमीज का बाई बांह कलाई तक खून से तर हो गयी थी ।
रोशनी के मुंह से सिसकारी निकल गई ।
"तुम्हारा चाकू कहां है?"
- एकाएक वह बोली ।
"कोट की जेब में ।" - अनिल साहनी क्षीण स्वर से बोला - "क्यों?"
रोशनी ने कोई उत्तर नहीं दिया । उसने उसके कोट की जेब से चाकू निकाल लिया । उसने अनिल साहनी की कमीज की खून से तर बांह को कन्धे से काटकर अलग कर दिया । इसी प्रकार उसने कमीज की दूसरी बांह भी कन्धे से काट दी।
उसने अपना रूमाल निकालकर उसके कन्धे के जख्म पर बांधा और फिर जख्म को मजबूती से कमीज की बांह से बांध दिया । खून बहना बन्द हो गया।
"थैक्यू ।"
- अनिल साहनी भर्राये स्वर से बोला -
"थैक्यू ।"
रोशनी ने ऊपर से उसे उसका कोट पहना दिया ।
दोनों प्रतीक्षा करने लगे।
रात के दस बज गये।
"राज और मारिट का क्या हुआ होगा?" - एकाएक अनिल साहनी बोला |
"वे लोग भाग निकलने में सफल हो गये होंगे।" - रोशनी आशापूर्ण स्वर से बोली । "या शायद वे पुलिस की पकड़ में आ चुके हों !"
"हो सकता है।"
"शायद मामले की पेचीदगियां बढती देखकर राज हमारी मदद से हाथ खींच ले ?"
"मुझे वह ऐसा आदमी तो नहीं लगता था ।"
"लेकिन अगर ऐसा हो भी गया तो क्या हम दोनों जार्ज टेलर की तलाश करके उसका काम तमाम करने में सफल हो पायेंगे?"
"हमें सफल होना ही है ।"
- रोशनी दृढ स्वर में बोली - "राज हो या न हो ।"
"वह लड़की कहती थी कि जार्ज टेलर मर चुका था ।"
"वह बकती है । वे ऐसा इसलिए कहती है कि हम उसके भाई को मरा समझदार उसका पीछा छोड़ दें।"
- रोशनी कुद्ध स्वर से बोली ।
अनिल साहनी चुप रहा।
"हमें हर हालत में जार्ज टेलर को टापू पर पहुंचना है ।"
- रोशनी बोली -
"रास्ता साफ होते ही हमें डेनवर के लिये रवाना हो जाना है । मुझे उम्मीद है कि वहीं हमारी राज से भी मुलाकात हो जायेगी।"
"डेनवर कैसे पहुंचेंगे हम
?"
"हमें किसकी प्रकार किंग्स क्रास रेलवे स्टेशन पर पहुंचना है । डेनवर के लिये गाड़ियां वहां से जाती हैं।"
"लेकिन क्या हम रेलवे स्टेशन जैसी जगह पर पुलिस की निगाहों से बच पायेंगे? ऐसी जगहों पर तो हमारी विशेष रूप से तलाश हो रही होगी
"हमें कोई साधन निकालना ही पड़ेगा।"
- रोशनी दृढ स्वर से बोली - "हमें हर हालत में डेनवर पहुंचना है।"
"कोई साधन सोचा है तुमने ?"
"हां । हम चुपचाप मालगाड़ी पर सवार होकर डेनवर की ओर रवाना हो सकते हैं । मालगाड़ी में हम रेलवे यार्ड से ही सवार हो सकते हैं । इस प्रकार हम रेलवे स्टेशन पर पुलिस की या किसी की भी निगाहों में आने से बचे रह सकते हैं।"
"किंग्स क्रास स्टेशन कहां है ?"
"ग्रेज इन रोड के समीप ।"
“
वहां तक कैसे पहुंचेंगे हम ?"
"पैदल चल कर ।"
"लेकिन मैं पैदल नहीं चल सकता।"
- अनिल साहनी क्षीण स्वर से बोला -
"मेरे शरीर में से बहुत ज्यादा खून बह चुका है । मुझमें पैदल चलने की हिम्मत नहीं है ।"
"तो फिर हमें टैक्सी पर सवार होने का खतरा उठाना पड़ेगा ।"
- रोशनी बोली ।
अनिल साहनी चुप रहा।
***
 
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