सुबह साढे छ:
बजे ट्रेन बारविक
स्टेशन पर रुकी
डेनवर पहुंचने से
पहले बारविक ट्रेन
का आखिरी स्टापेज
था।
ट्रेन के एक
थर्ड क्लास कम्पार्टमेंट
में बैठे राज
ने सावधानी से
खिड़की से बाहर
प्लेटफार्म पर झांका
। कहीं उसे
पुलिस के दर्शन
नहीं हुए ।
उसने शान्ति की
गहरी सांस ली
। किंग्स क्रास
स्टेशन पर पुलिस
का तगड़ा पहरा
था।
राज ने मारिट
से अपना टिकट
ले लिया था
और यार्ड का
लम्बा चक्कर लगाकर
रेलवे लाइनों में
से होता हुआ
चुपचाप ट्रेन के प्लेटफार्म
से विपरीत दिशा
में पहुंच गया
था । ट्रेन
स्टार्ट होने
पर वह चलती
गाड़ी में सवार
हुआ था ।
सारे रास्ते उसने
अपनी पलक नहीं
झपकने दी थी
। सारा सफर
उसने बड़ी सजगता
से तय किया
था | बारविक से
पहले ट्रेन पीटरबोरोह,
यार्क, डालिंगटन, डरहाम और
न्यूकैसल स्टेशनों पर रुक
चुकी थी लेकिन
कहीं उसे पुलिस
की सन्देहजनक गतिविधि
के लक्षण दिखाई
नहीं दिये थे
और न ही
ऐसा कोई खतरा
अब बारबिक
स्टेशन पर दिखाई
दे रहा था
।
उसी क्षण खिड़की
के पास से
एक अखबार वाला
गुजरा | राज ने
एक अखबार खरीदा
और उसे बिना
खोले लपेटकर बगल
में दबा लिया।
ट्रेन चल पड़ी।
वह अपने स्थान
से उठ खड़ा
हुआ |
मार्गरेट ट्रेन के अगले
डिब्बों में कहीं
थी । डेनवर
पहुंचने से पहले
राज उसे तलाश
कर लेना चाहता
था।
यात्रियों से ठसाठस
भरी गाड़ी में
राज आगे बढा
। ट्रेन के
सारे डिब्बे एक-दूसरे से मिले
हुये थे ।
डिब्बों को मिलाने
वाले गुफा जैसे
झूलते रास्तों से
होता वह आगे
बढा ।
अन्त में वह
उस कम्पार्टमेंट में
पहुंच गया जहां
एक कोने की
सीट पर मार्गरेट
बैठी थी।
मार्गरेट ने व्यग्र
नेत्रों से उसकी
ओर देखा ।
राज ने उसे
आंख से संकेत
किया और आगे
बढ गया ।
वह दो डिब्बों
को मिलाने वाले
प्लेटफार्म पर जा
खड़ा हुआ और
मारपीट की प्रतीक्षा
करने लगा।
उसने अपनी बगल
में दबा अखबार
निकाला और उसे
खोलकर पहले पृष्ठ
पर निगाह डाली
। अखबार उसके
हाथों से छूटता-छूटता बचा | पहले
ही पृष्ठ पर
उसकी तस्वीर छपी
हुई थी।
कई क्षण वह
अपलक अपनी तस्वीर
को घूरता रहा
। वह सोच
रहा था कि
उसकी तस्वीर पुलिस
के हाथ में
कैसे पड़ गई।
फिर उसने इस
तस्वीर को पहचान
लिया । वह
उसके पासपोर्ट की
तस्वीर थी।
पिछली रात को
रेडियो पर उसका
हुलिया ब्राडकास्ट किया गया
था । शायद
कैलवर्ली गैस्ट हाउस के
मैनेजर ने उस
हुलिये के दम
पर राज को
पहचान लिया था
और पुलिस को
सूचित कर दिया
था कि उस
हुलिये का आदमी
उनके गैस्ट हाउस
में ठहरा हुआ
था । पुलिस
ने गैस्ट हाउस
में उसके कमरे
पर छापा मारा
होगा और राज
का सामान अपने
अधिकार में कर
लिया होगा ।
राज के सामान
में उसका पासपोर्ट
भी था जिस
पर उसकी तस्वीर
लगी हुई थी।
अखबार में तस्वीर
छप जाने के
बाद स्थिति बड़ी
विकट हो गई
थी । हुलिया
किसी को याद
नहीं रहता था
या लोग सुनकर
भूला देते थे
लेकिन तस्वीर हर
किसी को याद
रह सकती थी।
तस्वीर के नीचे
जनता से अपील
की गई थी
कि वह तस्वीर
वाले आदमी को
पकड़वाने में पुलिस
को सहयोग दें।
"क्या है यह
?" - उसे मार्गरेट की आवाज
सुनाई दी।
राज ने देखा
वह भी अखबार
में छपी उसकी
तस्वीर को घूर
रही थी।
राज ने अखबार
मोड़ कर जेब
में रख लिया
और बोला - "मैडम,
मुझे लग रहा
है कि अब
मैं जल्दी ही
गिरफ्तार होने वाला
हूं । इसलिये
तुम मुझसे अलग
ही रहो ।"
"अलग रहूं? क्या मतलब
?"
“मतलब यह कि
लगभग आधे घण्टे
में ट्रेन डेनवर
पहुंच जायेगी ।
तुम डेनवर उतर
कर दूसरी गाड़ी
पकड़ कर वापिस
लन्दन चली जाओ
। मैं तुम्हारी
मदद के बिना
ही तुम्हारे भाई
के टापू पर
उसे तलाश कर
लूंगा ।"
"तुम ऐसा नहीं
कर पाओगे? तुम
जरूर कहीं दलदल
में फंस कर
अपनी जान से
हाथ धो बैठोगे।"
"देखा जायेगा । बहरहाल
मुझे अब तुम्हारी
मदद की जरूरत
नहीं।"
"लेकिन अब मैं
तुम्हारे साथ रहना
चाहती हूं। अगर
मेरा भाई जिन्दा
है तो मैं
उसे चेतावनी देना
चाहती हूं कि
तुम उसकी हत्या
करना चाहते हो
?"
"तुम ऐसा कर
सकती हो ?"
"शायद कर सकू
। शायद न
कर सकूँ लेकिन
मैं कोशिश जरूर
करूंगी।"
"लेकिन कल तक
तो तुम बड़ी
दृढता से यह
कह रही थीं
कि तुम्हारा भाई
मर चुका था
फिर तुम चेतावनी
किसे देना चाहती
हो?"
वह कुछ क्षण
चुप रही और
फिर धीरे से
बोली "शायद वाकई
कोई करिश्मा हो
गया हो ।"
"अगर अनिल साहनी
और रोशनी भी
डेनवर पहुंच गये
हुये तो तुम
अपनी जान से
हाथ धो सकती
हो ।”
मार्गरेट चुप रही।
"नादानी मत करो।"
- राज बोला - "जाकर
अपनी सीट पर
बैठो । डेनवर
उतर कर लन्दन
की वापिसी की
ट्रेन पकड़ लेना
।"
और राज उसको
वहीं खड़ा छोड़कर
लम्बे डग भरता
वापिस अपने कम्पार्टमेंट
की ओर बढ़
गया
अभी वह अगली
बोगी के गलियारे
के मध्य में
ही पहुंचा था
कि गलियारे के
एक कम्पार्टमेंट का
दरवाजा खुला और
एक आदमी राज
के रास्ते में
आ खड़ा हुआ
।
राज ठिठक गया
। उसकी निगाह
उस आदमी के
चेहरे पर पड़ी
और उसका दिल
धड़कने लगा वह
वही पुलिसमैन था
कि जिसके जबड़े
पर उसने मिशन
कम्पाउण्ड को पिछली
गली में चूंसा
मारा था ।
वह उस समय
यूनीफार्म के स्थान
पर सूट पहने
हुये था लेकिन
फिर भी राज
ने उसे पहचान
लिया था ।
राज ने घूमकर
देखा । उसके
पीछे एक और
आदमी खड़ा था
। उसकी कठोर
आंखें राज के
चेहरे पर टिकी
हुई थी और
उसके होंठों पर
मुस्कुराहट थी।
पुलिसमैन और उस
आदमी की निगाहें
मिलीं। पुलिसमैन ने सहमतिसूचक
ढंग से सिर
हिला दिया।
"इन्स्पेक्टर मार्श ऐट योर
सरविस, मिस्टर राज ।"
- पिछला आदमी मीठे
स्वर से बोला
और । उसने
अपना पर्स खोल
कर राज के
आगे कर दिया
।
पर्स में इन्स्पेक्टर
का पुलिस बैज
लगा हुआ था
। राज के
मुंह से बोल
नहीं फूटा ।
"भीतर तशरीफ लाइये ।"
- इन्स्पेक्टर उसे उस
कम्पार्टमेंट की ओर
धकेलता हुआ बोला,
जिसका दरवाजा खोलकर
पुलिसमैन बाहर निकला
था।
राज उस कम्पार्टमेंट
में घुस गया
। इन्स्पेक्टर और
पुलिसमैन उसके पीछे
भीतर प्रविष्ट हो
गये
"साहब की तलाशी
लो ।" - इन्स्पेक्टर
ने आदेश दिया
।
पुलिसमैन ने उसकी
तलाशी ली।
"क्लीन ।" - वह बोला।
इन्स्पेक्टर ने सन्तुष्टपूर्ण
ढंग से सिर
हिलाया ।
"आप सोच रहे
होंगे कि हम
यहां कैसे पहुंच
गये ?" - इन्स्पेक्टर बोला ।
राज चुप रहा।
"आपकी
जानकारी के लिये
यार्क स्टेशन से
एक आदमी आपके
कम्पार्टमेंट में सवार
हुआ था ।
उसने रेडियो ब्राडकास्ट
में आपका हुलिया
सुना था और
आपको फौरन पहचान
लिया था ।
डार्लिंगटन उतरकर उसने पुलिस
को रिपोर्ट कर
दी थी ।
सूचना यार्ड पहुंच
गई थी कि
आप डेनवर की
ट्रेन में सवार
थे । मैं
पुलिस हैलीकॉप्टर द्वारा
बारविक पहुंच गया और
वहीं से इस
टेन पर सवार
हो गया ।
साथ में मैं
पीटर को ले
आया था ताकि
आपकी शिनाख्त हो
सके। वैसे पीटर
का जबड़ा अभी
भी दुख रहा
है ।"
“आप चाहते क्या
हैं ?" - राज खोखले
स्वर से बोला।
"यह भी बताने
की जरूरत है!"
- इन्स्पेक्टर आश्चर्य व्यक्त करता
हुआ बोला - "यू
आर अन्डर अरैस्ट,
मिस्टर राज | आप डेनवर
उतरकर मेरे साथ
वापिस लन्दन चल
रहे हैं ।"
"किस इलजाम में अन्डर
अरैस्ट हूं मैं
?"
"इलजाम कुछ नहीं
। आप अपनी
मर्जी से मेरे
साथ चल रहे
हैं।"
"अपनी मर्जी से तो
मैं यहां से
हिलूंगा भी नहीं।"
"देखो, मिस्टर !" - इन्स्पेक्टर एकाएक बेहद
कर्कश स्वर से
बोला - "ज्यादा होशियारी दिखाने
की कोशिश मत
करो वर्ना पछताओगे
। मैं तुम्हारी
असलियत जान चुका
हं इसलिये तम्हारे
साथ इज्जत से
पेश आना चाहता
हं । तम
प्रेस रिपोर्टर हो
। यह तुम्हारा
प्रेस कार्ड और
पासपोर्ट मुझे तुम्हारे
सामान में से
मिला है ।"
- इन्स्पेक्टर अपनी जेब
से दोनों चीजें
निकाल कर राज
के सामने करता
हुआ बोला - "तुम
अपने देश के
प्रधानमंत्री की प्रेस
पार्टी के साथ
लन्दन आये हो
इसलिये तुम्हें और तुम्हारे
देश को और
तुम्हारे प्रधानमंत्री को किसी
स्कैण्डल से बचाने
के लिये मैं
तुम्हारे साथ शराफत
से पेश आ
रहा हूं वर्ना
मैं तुम्हें एक
दर्जन चार्ज लगाकर
गिरफ्तार कर सकता
हूं जिनमें से
इंगलैंड में अनाधिकार
प्रवेश
और एक पुलिस
अधिकारी पर हमला
तो बड़े मामूली
चार्ज हैं।"
राज ठण्डा पड़
गया ।
"डेनवर में हेलीकॉप्टर
हमारी प्रतीक्षा कर
रहा होगा ।
उसमें सवार होकर
हम वापिस लन्दन
जा रहे हैं
। ओके?"
“आप मुझसे चाहते
क्या हैं ?"
"मुख्यत: हम तुम्हारे
अनिल साहनी और
रोशनी नाम के
दो साथियों को
गिरफ्तार करना चाहते
हैं जिनकी वजह
से हमारे पुलिसमैनों
की जान गई
हैं और साथ
ही मैं यह
जानना चाहता हूं
कि यह
सब कुछ क्यों
हो रहा है
? इसके अलावा भी बहुत-सी बातें
हैं जो तुम
हमें बताओगे जैसे..."
उसी क्षण कम्पार्टमेंट
का द्वार खुला
।
तीनों ने घूमकर
द्वार की ओर
देखा । द्वार
पर मारिट खड़ी
थी।
राज ने एक
गुप्त दृष्टि इन्स्पेक्टर
और पुलिसमैन के
चेहरों पर डाली
।
उनकी सूरतों से
ऐसा नहीं लगता
था जैसे उन्होंने
मार्गरेट को पहचाना
हो। मार्गरेट भीतर
प्रविष्ट होने लगी।
"आई एम सॉरी,
मैडम" - इन्स्पेक्टर खेदपूर्ण स्वर
से बोला - "यह
कम्पार्टमेंट सुरक्षित है ।
आप किसी दूसरे
कम्पार्टमेंट में जगह
तलाश कीजिये ।"
"और कहीं जगह
नहीं है ।"
- मार्गरेट बोली - "और यह
कम्पार्टमेंट खाली पड़ा
है । और
फिर मुझे कहीं
लिखा तो दिखाई
दे नहीं रहा
कि यह
सुरक्षित कम्पार्टमेंट है।"
"फिर भी आप
भीतर नहीं आ
सकतीं । मैं
पुलिस अधिकारी हूं
और हमें इस
कम्पार्टमेंट की जरूरत
है
"ओह !" - मारिट निराश स्वर
से बोली- "आई
एम सॉरी।"
इन्स्पेक्टर उसके विदा
होने की प्रतीक्षा
करने लगा। \
"लेकिन अगर आप
पुलिस अधिकारी हैं
तो मैं आपसे
एक बात पूछना
चाहती हूं।" “पूछिये
।" - इन्स्पेक्टर उतावले स्वर
से बोला ।
"जिस जंजीर को खींचकर
गाड़ी रुकवाई जाती
है उस पर
लिखा है कि
जंजीर खींचने वाले
को पांच पाउण्ड
जुर्माना हो सकता
है । क्या
यह सच है?"
“बिल्कुल सच है
?"
"और अगर किसी
के पास पांच
पाउण्ड न हो
तो ?"
"तो उसे जेल
जाना पड़ सकता
है।"
"ओह । बैंक्यू
।" मारिट वहां से
चली गई।
राज का दिल
धड़कने लगा | जो ऊंट-पटांग बातें वह
इन्स्पेक्टर से करके
गई थी उनका
एक ही मतलब
हो सकता था
।
वह जंजीर खींचने
वाली थी और
वह राज को
इस बात का
स्पष्ट संकेत दे गई
थी।
राज बड़ी व्यग्रता
से ट्रेन रुकने
की प्रतीक्षा करने
लगा।
गाड़ी रुक गई।
"क्या हो गया
?" - इन्स्पेक्टर होंठों में बुदबुदाया
और खिड़की का
पल्ला खोलकर बाहर
झांकने लगा। राज
ने देखा गाड़ी
एक नदी के
पुल पर खड़ी
थी।
फिर उसने एक
लापरवाही भरी निगाह
पुलिसमैन पर डाली,
वह भी उसके
प्रति असावधान था
। राज ने
एक बार फिर
अपने और कम्पार्टमेंट
के दरवाजे के
बीच में खड़े
पुलिसमैन पर छलांग
लगा दी।
पुलिसमैन, जो कि पहले ही मिशन कम्पाउण्ड की पिछली गली में पहले राज के और फिर अनिल साहनी के आक्रमण का शिकार होकर अधमरा हो चुका था, रेत के बोरे की तरह भरभरा कर एक ओर गिर गया ।
अगले ही क्षण राज कम्पार्टमेंट से बाहर था ।
उसी क्षण इन्स्पेक्टर वापिस घूमा । जब तक उसकी समझ में आया कि वास्तव में क्या हो गया था, तब तक राज बाहर गलियारे में भागा
जा रहा था । इन्स्पेक्टर ने रिवाल्वर निकाल लिया और उसके पीछे भागा । \
कई लोग अपने-अपने कम्पार्टमेंट से बाहर गलियारे में निकल आये थे । राज उनके बीच में से रास्ता बनाता हुआ आगे बढ रहा था । उस स्थिति में राज को गोली का निशाना बना पाना
सम्भव नहीं था। और इससे पहले कि इन्स्पेक्टर राज के समीप पहुंच पाता राज बोगी के दरवाजे पर पहुंच गया और फिर उसने वहीं से नीचे नदी में छलांग लगा दी।
लगभग तभी बगल की बोगी के दरवाजे में से मार्गरेट नदी में कूद पड़ी।
सौभाग्यवश अगर वे दोनों ही दक्ष तैराक न होते तो उनके लिये इतनी ऊंचाई से छलांग लगा पाना सम्भव नहीं होता।
राज कुछ क्षण पानी के भीतर ही तैरता हुआ आगे बढता रहा फिर जब उसकी सांस टूटने लगी तो उसने पानी के ऊपर सिर निकाला | मार्गरेट भी उससे थोड़ी दूर पानी में तैर रही थी।
नदी का बहाव बहुत तेज था इसलिये वह कुछ क्षणों में ही पुल से इतनी दूर निकल आये थे कि इन्स्पेक्टर का उन्हें गोली का निशाना बना पाना सम्भव नहीं था।
मार्गरेट और राज नदी के बहाव के साथ-साथ तैरने लगे । शीघ्र ही पुल और उस पर खड़ी रेलगाड़ी उनसे काफी दूर हो गई । फिर राज ने रेलगाड़ी को अपने स्थान से रेंगते देखा।
कुछ देर वे यूं ही पूरी शक्ति से नदी के बहाव के साथ तैरते रहे फिर वे दोनों किनारे पर आ गये और नदी के किनारे पर बैठकर हांफने लगे। उनके कपड़े भीगकर उनके शरीर से चिपक गये थे।
"तुमने नदी में छलांग क्यों लगाई
?" - सांस व्यवस्थित हो जाने पर राज ने पूछा ।
"एक ही सवाल बार-बार मत पूछो ।"
- वह बोली -
"मैं पहले ही बता चुकी हूं कि अगर मेरा भाई जिन्दा है तो मैं उसे चेतावनी देना चाहती हूं कि तुम उसकी हत्या करना चाहते हो ।"
"इतनी ऊंचाई से नदी में कूदने से तुम्हारी गरदन टूट सकती थी।"
"तुम्हारी गरदन भी टूट सकती थी लेकिन गरदन न मेरी टूटी है और न तुम्हारी ।"
"तुमने खामखाह अपने आपको झमेले में फंसा दिया ।"
"अब फिजूल बातें करना बंद करो और शुक्र मनाओ कि मेरी वजह से तुम पुलिस के हाथों में पड़ने से बच गये हो ।"
"तुम्हारे लिये तो मेरा पुलिस के हाथों पड़ना ही अच्छा था । फिर मैं तुम्हारे भाई की हत्या कैसे कर पाता?"
"तुम अपने बाकी दो साथियों को भूल रहे हो।"
राज चुप हो गया । वह सोच रहा था कि क्या रोशनी और अनिल साहनी डेनवर पहुंच पायेंगे ।
मार्गरेट अपने शरीर पर हाथ फेर-फेर कर अपने गीले कपड़ों में से पानी निकालने का प्रयत्न करने लगी।
"तुम्हें तो इस इलाके की जानकारी होगी !" - राज भी वही क्रिया दोहराता हुआ बोला । मारिट ने सहमतिसूचक ढंग से सिर हिला दिया |
"यहां डेनवर कितनी दूर हैं ?"
"बीस मील ।" - मार्गरेट बोली - "डेनवर उन पहाड़ियों के पीछे है ।"
- मारिट दूर उन पहाड़ियों की ओर, जिनके पीछे से सूर्य उदय हो रहा था, संकेत करती बोली।
"और हम वहां तक पहुंचेंगे कैसे
?"
“पैदल चलने के सिवाय कोई चारा दिखाई नहीं देता लेकिन पैदल चलने से भी बड़ी समस्या है कपड़े सुखाने की और पेट भरने की ।"
"उसका भी इन्तजाम हो जायेगा ।"
- राज अनिश्चित स्वर से बोला।
"और यह भी सम्भव है कि इन्स्पेक्टर भी पुल पर ही ट्रेन से उतर गया हो और अब हमारे पीछे आ रहा हो ।"
"मुझे यह कम सम्भव दिखाई देता है । मेरे ख्याल से वह ट्रेन द्वारा डेनवर पहुंचेगा और फिर वहां से पुलिस की सहायता से हमारी तलाश करवायेगा।"
"यह भी हो सकता है।" - मार्गरेट ने स्वीकार किया।
"मार्गरेट, एक बात बताओ?"
"पूछो।" “
क्या तुम्हें वाकई विश्वास है कि जार्ज टेलर मर चुका है ?"
“पहले था लेकिन अब तुम लोगों की बातें सुन कर नहीं रह है । अब मैं वाकई सोचने लगी हूं कि शायद मेरे देश के विदेश मन्त्रालय ने मेरे भाई की शिनाख्त में गलती की हो ।"
"तुम्हारा भाई न केवल जिन्दा है बल्कि वह हाल ही में पांच आदमियों की हत्या भी कर चुका है। और मेरा खुद उससे सामना हो चुका है । उसने मेरी भी हत्या करने की कोशिश की थी।"
"लेकिन तुमने उसकी सूरत नहीं देखी थी । केवल आवाज सुनी थी।"
"वह नि:संदेह जार्ज टेलर था । वह जार्ज टेलर की ही आवाज थी । वह आवाज उसके सिवाय किसी और की हो ही नहीं सकती थी।"
"देखो मिस्टर"
- एकाएक मारिट तनिक उच्च स्वर से बोली- "मेरा भाई जिन्दा है या नहीं, इस बारे में मुझे कोई संदेह नहीं है कि मेरा भाई दगाबाज नहीं है, नहीं था । वह अपने साथियों
को धोखा नहीं दे सकता ।"
राज ने जान-बूझकर उस बात का विरोध नहीं किया ।
***
 
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