उनकी तकदीर अच्छी थी
। रास्ते में
एक किसान के
घर में उन्हें
शरण मिल गई
जहां उन्हें कपड़े
सुखाने की सुविधा
तो प्राप्त हुई
ही, साथ ही
वहां उनके भोजन
का भी प्रबन्ध
हो गया ।
फिर उसी किसान
के सब्जी के
ट्रक पर बैठकर
वे डेनवर
पहुंच गये ।
जब तक वे
समुद्र के किनारे
पहुंचे तब तक
अंधेरा हो चुका
था |
मार्गरेट उसे समुद्र
के पानी में
बने एक स्टील
और लकड़ी के
शैड में ले
आई।
शैड में एक
लगभग बीस फुट
लम्बी मोटरबोट खड़ी
थी। '
मार्गरेट मोटरबोट के केबिन
में प्रविष्ट हो
गयी। उसने अपना
बैग खोला और
उसमें से एक
चाबी छांट कर
इग्नीशन में लगाई
। मोटरबोट के
शक्तिशाली इंजन की
घरघराहट से वातावरण
गूंज उठा।
"आओ।" - मार्गरेट ने राज
को आवाज दी
।
राज ने पैर
आगे बढाया ही
था कि उसे
अपने पीछे हल्की-सी आहट
की आवाज सुनाई
दी ।
उसने घूमकर पीछे
देखा ।
अन्धकार में उसे
कुछ दिखाई नहीं
दिया ।
"कौन है?" - वह जोर
से बोला ।
भूत की तरह
रोशनी उसके सामने
आ खड़ी हुई
।
राज ने देखा
उसके होंठ भिंचे
हुये थे और
चेहरा राख की
तरह सफेद था
।
"हल्लो !" - राज बोला
।
"जार्ज टेलर के
टापू पर जा
रहे हो?" - रोशनी
का स्वर ऐसा
था जैसे किसी
कुयें में से
निकल रहा हो।
"हां । यह
मोटरबोट जार्ज टेलर की
है । मारिट
हमें टापू तक
ले जायेगी।"
"अन्धकार में वह
हमें भटका तो
नहीं देगी ?"
"अगर वह खुद
भटक जाये तो
दूसरी बात है
वर्ना वह जानबूझ
कर ऐसा करे,
इसकी मुझे संभावना
नहीं दिखाई देती
।"
"चलो।" - रोशनी बोली और
मोटरबोट की ओर
बढी।
“अनिल साहनी कहां
है ?" - राज ने
पूछा ।
"मोटरबोट में चलो
। मैं सब
बताती हूं।" दोनों
मोटरबोट में सवार
हो गये और
केबिन में
आ गये।
मार्गरेट ने मोटरबोट
की हैड लाइट
ऑन कर दी
और इन्जन स्टार्ट
कर दिया ।
मोटरबोट समुद्र की छाती
को चीरती हुई
आगे बढी ।
राज कुछ क्षण
केबिन के प्रकाश
में रोशनी के
वीरान चेहरे को
देखता रहा और
फिर बोला "अनिल
साहनी..."
"मर चुका है
।" - रोशनी धीरे से
बोली ।
"कैसे?" - राज हैरानी
से बोला - "क्या
हुआ था ? क्या
पुलिस..."
"वह भी जार्ज
टेलर का शिकार
बन गया ।"
मार्गरेट के होंठों
से सिसकारी निकल
गई ।
"कैसे ?" - राज ने
पूछा।
"बताती हूं।" - रोशनी यूं बोली
जैसे नींद में
बोल रही हो
- "मैं और अनिल
साहनी लन्दन से
चुपचाप एक मालगाड़ी
में सवार होने
में सफल हो
गये थे ।
अनिल बुरी तरह
घायल था ।
पुलिस की एक
गोली उसके कन्धे
को फाड़ती हुई।
निकल गयी थी
। जख्म की
मुनासिब ड्रेसिंग करवाने का
कोई साधन नहीं
था । मैंने
किसी प्रकार बांधकर
खून रोक दिया
था लेकिन अनिल
की हालत खराब
होती जा रही
थी । रात
में उसको बुखार
भी हो गया
। सारी रात
वह भयंकर तकलीफ
में तडपता रहा
। प्यास से
उसका बरा हाल
था लेकिन कहीं
पानी नहीं था
। सवेरा होने
पर गाड़ी एक
स्थान पर खेतों
के बीच में
रुकी। मुझे दूर
खेतों में एक
ट्यूबवैल दिखाई दिया ।
मैं मालगाड़ी से
उतर कर अनिल
के लिये पानी
लेने चली गयी
। अभी मैं
थोड़ी ही दूर
गयी थी कि
अनिल की चीख
सुनायी दी ।
मैंने घूमकर देखा
और..."
एकाएक रोशनी चुप
हो गई ।
उसकी मुट्ठियां भिंच
गई । उसके
होंठ एक-दूसरे
के साथ कस
गये । उसकी
आंखें सिकुड़ गयी
।
"फिर क्या हुआ
?" - राज ने व्यग्र
स्वर से पूछा।
"फिर क्या हुआ
?" - राज ने व्यग्र
स्वर से पूछा।
"मैंने देखा, अनिल मालगाड़ी
के डिब्बे से
आधा बाहर लटक
रहा था ।
जार्ज टेलर ने
उसकी गरदन दबोची
हुई थी। अनिल
बुरी तरह उसकी
पकड़ में छटपटा
रहा था ।
फिर मेरे देखते-ही देखते
जार्ज टेलर ने
अनिल को डिब्बे
से बाहर धकेल
दिया । अनिल
बगल की रेल
की पटरी पर
जाकर गिरा ।
उसी समय उस
पटरी पर विपरीत
दिशा से एक
ट्रेन आ रही
थी । मैं
बहुत दूर थी।
मैं कुछ कर
नहीं सकती थी
। अनिल में
पटरी से उठ
पाने की हिम्मत
नहीं थी ।
नतीजा यह हुआ
कि वह विपरीत
दिशा से आती
ट्रेन के नीचे
आ गया और
कट कर मर
गया । जैसे
जार्ज टेलर ने
जे सिहांकुल को
चलती गाड़ी के
आगे धक्का देकर
मार डाला था
वैसे ही उसने
अनिल साहनी की
भी जान ले
ली।"
"यानी कि तुमने
अपनी आंखों से
मेरे भाई को
देखा था ?" - मार्गरेट
तीव्र स्वर से
बोली।
"हां!"
मार्गरेट ने विचित्र
नेत्रों से राज
की ओर देखा
।
"तुमसे जार्ज टेलर को
पहचानने में गलती
तो नहीं हुई
?" - राज बोला।
"डोंट टाक नानसैंस
।" - रोशनी बोली- "मेरा
और जार्ज टेलर
का बरसों का
साथ था ।
मुझसे उसे पहचानने
में गलती नहीं
हो सकती ।"
"अनिल साहनी के मरने
के बाद क्या
हुआ ?"
"मैं मालगाड़ी की ओर
भाग रही थी
। जब तक
मैं पटरियों के
समीप पहुंची, विपरीत
दिशा से आती
हुई रेलगाड़ी वहां
से गुजर चुकी
थी। अनिल साहनी
की कटी हुई
लाश पटरियों पर
पड़ी थी और
मालगाड़ी भी अपने
स्थान पर रेंगने
लगी थी ।
मैं जल्दी से
मालगाड़ी में सवार
हो गई ।
मैंने गाड़ी से
बाहर दोनों ओर
दूर तक देखा।
जार्ज टेलर मुझे
कहीं दिखाई नहीं
दिया । मुझे
विश्वास था कि
वह
मालगाड़ी के ही
डिब्बे में छुपा
हुआ था ।
मालगाड़ी डेनवर पहुंच गई,
गाड़ी स्टेशन के
आउटर सिग्नल पर
रुकी और फिर
एकाएक मेरी निगाह
एक डिब्बे से
निकल कर भागते
हुये जार्ज टेलर
पर पड़ी ।
मैं भी गाड़ी
से उतर कर
उसके पीछे भागी
। समुद्र तट
तक मैंने उसका
पीछा किया ।
वहां से वह
एक मोटरबोट पर
सवार होकर भाग
निकला । मुझे
विश्वास है कि
वह जरूर अपने
टापू की ओर
गया था ।"
"लेकिन मेरे भाई
की मोटरबोट तो
यह है ।"
- मार्गरेट तीव्र विरोधपर्ण स्वर
से बोली- "अपनी
मोटरबोट छोड़कर वह किसी
दूसरी मोटरबोट पर
सवार होकर टापू
की ओर क्यों
गया ?"
"यह सब मुझे
नहीं मालूम ।"
- रोशनी बोली "लेकिन मैंने
उसे मोटरबोट पर
सवार होकर टापू
की ओर जाते
देखा है।"
"और तुमसे जार्ज टेलर
को पहचानने में
कोई गलती नहीं
हुई है ?" - राज
ने पूछा ।
"सवाल ही नहीं
पैदा होता ।"
- रोशनी दृढ स्वर
से बोली।
"आल राइट ।"
- राज पटाक्षेप करता
हुआ बोला - "हम
जार्ज टेलर के
टापू की ओर
जा ही रहे
हैं । अगर
वह टापू पर
है तो हम
उसे जरूर
खोज निकालेंगे।" '
फिर कोई कुछ
नहीं बोला ।
***
टापू राज की
कल्पना से ज्यादा
बड़ा निकला ।
वहां तेज हवायें
चल रही थीं
और वह गहरी
धुंध की चादर
से ढक हुआ
था । डेनवर
के समुद्र तट
पर स्थिति शैड
जैसा ही एक
शैड वहां भी
बना हुआ था,
जिसमें मार्गरेट ने बड़ी
सावधानी से लाकर
मोटरबोट खड़ी कर
दी। “कोई और
मोटरबोट यहां नहीं
है ।" - राज
बोला।
"शायद जार्ज टेलर ने
मोटरबोट कहीं और
खड़ी की हो
!" - रोशनी बोली।
"तुमने उसे समुद्र
तट से मोटरबोट
पर रवाना होते
देखा था ।
सम्भव है वह
यहां आया ही
न हो ।"
"वह जरूर यहीं
आया होगा ।"
- रोशनी दृढ स्वर
में बोली। '
"तुम ऐसा दावा
कैसे कर सकती
हो?"
"मेरा दिल कहता
है ।"
"लेकिन..."
"अगर मेरा भाई
टापू पर मौजूद
है" - एकाएक मार्गरेट बीच
में बोल पड़ी
- "तो वह टापू
पर मौजूद मकान
के अतिरिक्त और
कहीं नहीं हो
सकता।"
"तुम हमें वहां
का रास्ता दिखाओ।"
- रोशनी अधिकारपूर्ण स्वर से
बोली ।
मार्गरेट ने एक
उपेक्षापूर्ण निगाह रोशनी पर
डाली और फिर
उसने राज को
मोटरबोट से उतरने
का संकेत किया।
राज और रोशनी
मोटरबोट से नीचे
उतर आये
राज ने मारिट
की मोटरबोट को
किनारे से बांधने
में सहायता की
। फिर मार्गरेट
भी मोटरबोट से
उतर आई।
मार्गरेट एक अंधेरी
पगडण्डी पर चलने
लगी। उसके पीछे
रोशनी और सबसे
पीछे राज चलने
लगा।
"आप लोग मेरे
एकदम पीछे चलिये
।" - मारिट चेतावनी भरे
स्वर से बोली
- "वर्ना कहीं दलदल
में पांव पड़
जायेगा ।"
कोई कुछ नहीं
बोला।
अन्धकार में वे
थोड़ी दूर आगे
बढे । फिर
सामने चट्टानों में
से काटकर बनाई
गई सीढियां दिखाई
देने लगीं ।
वे सीढिया चढने
लगे।
लगभग दो सौ
सीढियां तय करने
के बाद एकाएक
एक विशाल इमारत
उनके सामने आ
गई । इमारत
दोमंजिली थी और
चट्टानों में ही
काटे हुए लम्बे-चौड़े प्लेटफार्म पर
बनी हुई थी।
उसकी दीवारें भारी
पत्थरों की बनी
हुई थीं।
इमारत के पिछवाड़े
से और ऊंचाई
की ओर सीढियां
जा रही थीं।
मार्गरेट मुख्यद्वार की ओर
बढी ।
"ठहरो।" - राज ने
उसकी बांह थाम
ली "शायद भीतर
कोई हो !"
"भीतर कोई नहीं
है ।" - मार्गरेट
बोली - "यह औरत
खामखाह अनाप-शनाप
बक रही है
।"
"फिर भी रिस्क
लेने की जरूरत
नहीं ।"
"मुझे दरवाजे के पास
तक जाने दो
। मैं दरवाजा
देखकर ही बात
दूंगी कि भीतर
कोई है या
नहीं
"कैसे?"
"हम टापू छोड़ने
से पहले दरवाजे
को हमेशा सील
कर जाते हैं
। अगर सील
ठीक हुई तो
इसका मतलब है
कि भीतर कोई
नहीं गया ।"
"आई सी ।"
"तुम्हारे पास माचिस
है ?"
राज ने सिगरेट
लाइटर निकालकर जलाया
। लाइटर का
प्रकाश द्वार पर पड़ा
। जहां द्वार
के दोनों पल्ले
मिलते थे वहां
लाख की सील
लगी हुयी थी
जो एकदम सही
सलामत मौजूद थी।
साफ जाहिर था
कि हाल ही
मैं दरवाजे को
खोला नहीं गया
था ।
"क्या भीतर घुसने
का कोई और
भी रास्ता है
?" - राज ने पूछा।
"कोई नहीं ।"
- मार्गरेट बोली - "भीतर घुसने
का यही एक
रास्ता है ।"
"शायद कोई खिड़की
खुली हो!" - रोशनी
बोली
"खिड़की के रास्ते
कोई भीतर नहीं
घुस सकता। हर
खिड़की में मोटी-मोटी सलाखें
लगी हुई हैं
और अगर खिड़की
के रास्ते भीतर
घुसा जा भी
सकता हो तो
भी मेरे भाई
को अपने ही
मकान में खिड़की
के रास्ते घुसने
की क्या जरूरत
है ?" रोशनी कुछ नहीं
बोली।
मार्गरेट ने अपने
पर्स में से
एक चाबी निकाली
और उसकी सहायता
से मुख्य द्वार
का ताला खोला
। उसने द्वार
को धक्का देकर
खोल दिया ।
तीनों भीतर प्रविष्ट
हो गये।
मार्गरेट ने बिजली
का स्विच ऑन
कर दिया ।
राज ने लाइटर
बुझाकर जेब में
रख लिया ।
उसने देखा वे
एक विशाल हॉल
में खड़े थे।
उसी क्षण बगल
के कमरे के
द्वार से उसकी
सी धम्म की
आवाज आई।
बिजली की फुर्ती
से रोशनी ने
अपने कोट की
जेब से मोजर
रिवाल्वर निकाल ली।
"कौन है ?" - वह आतंकित
स्वर से बोली
।
"कोई नहीं है,
रोशनी ।" - राज
तनिक उपहासपूर्ण स्वर
से बोला - "केवल
एक चूहा है
बगल के द्वार
के समीप एक
चूहा बैठा था
और गोल-गोल
आंखों से उनकी
ओर देख रहा
था । राज
ने अपना एक
पांव जोर से
फर्श पर मारा
| चूहा पलक झपकते
ही दृष्टि से
ओझल हो गया
रोशनी ने रिवाल्वर
वापिस जेब में
रख ली ।
"तुम दोनों यहीं ठहरो
।" - राज बोला
- "मैं इमारत में देखकर
आता हूं।"
"कोई फायदा नहीं ।"
- मार्गरेट बोली- "इमारत में
कोई नहीं है
। इमारत में
कोई नहीं हो
सकता
"फिर भी देखने
में क्या हर्ज
है ?" अगले दस
मिनटों में राज
ने इमारत का
चप्पा चप्पा छान
मारा।
कहीं कोई नहीं
था।
"वह कहीं टापू
पर छुपा हो
सकता है ।"
- रोशनी बोली। "नानसैंस ।"
- मार्गरेट मुंह बिचकाकर
बोली ।
"तुम अपना थोबड़ा
बंद रखो ।"
- रोशनी गर्ज कर
बोली। मार्गरेट दूसरी
ओर देखने लगी।
"लेकिन इतनी रात
गये हम टापू
पर उसे तलाश
नहीं कर सकते
।" - राज अपनी
कलाई पर बन्धी
घड़ी पर दृष्टिपात
करता हुआ बोला
-
"ग्यारह बजने वाले
हैं । टापू
बहुत बड़ा है
और इस पर
जगह-जगह पलक
झपकते ही इन्सान
को निगल जाने
वाली दलदल हैं
और धुंध की
वजह से अंधेरे
में कुछ देख
पाना भी संभव
नहीं है ।
ऐसे वातावरण में
किसी को तलाश
करने के चकर
में हमें अपनी
जान खो बैठेंगे।"
रोशनी चुप रही
। उसके चेहरे
पर उलझन के
भाव थे।
"मेरी राय में
रात हम इस
इमारत में गुजारते
हैं" - राज बोला
- "कल सुबह हम
टापू पर जार्ज
टेलर को तलाश
करेंगे।" |
रोशनी ने बड़ी
अनिच्छा से सहमतिसूचक
ढंग से सिर
हिला दिया।
"यहां सोने का
क्या इन्तजाम है
सकता है ?" - राज
ने मार्गरेट से
पूछा । "यहां
चार बैडरूम हैं
।" - मार्गरेट ने बताया
-
आखिरी शिकार
"दो पहली मंजिल
पर और दो
नीचे ।"
"मुझे नीचे का
बैडरूम दिखाओ।" - रोशनी जल्दी से
बोली।
मार्गरेट ने राज
की ओर देखा
। राज ने
सहमतिसूचक ढंग से
सिर हिला दिया
। हाल के
सामने एक दरवाजा
था जिसके आगे
एक लम्बा गलियारा
था | मार्गरेट रोशनी
का लेकर उस
गलियारे में चली
गई।
राज मुख्य द्वार
के पास पहुंचा
। उसने मुख्य
द्वार को मजबूती
से भीतर से
बंद कर लिया
और वापिस हाल
में आ खड़ा
हुआ । उसने
एक सिगरेट सुलगा
लिया और मार्गरेट
के लौटने की
प्रतीक्षा करने लगा।
कुछ देर बाद
मारिट वापिस लौटी
।
"वह तो जाते
ही बिस्तर में
घुस गई।" - मारिट
बोली - "मैंने उससे भोजन
के लिये बहुत
आग्रह किया लेकिन
उसने साफ मना
कर दिया ।"
"तुम्हारा मतलब है
यहां भोजन का
इंतजाम है ?" - राज बोला।
"क्यों नहीं है
? इस इमारत में
दस आदमियों के
लिये एक महीने
के लिये पर्याप्त
रसद मौजूद है
"वैरी गुड ! तुम रोशनी
को छोड़ो ।
वह लन्दन से
डेनवर तक बहुत
यातनापूर्ण सफर तय
करके आई है
। उसे सोने
दो ।"
"ठीक है फिर
। तुम ऊपर
चले जाओ ऊपर
दो बैडरूम हैं
। उसमें से
एक तुम्हारे लिये
है । मैं
भोजन का प्रबन्ध
करती हूं।" "मैं
कोई मदद कर
सकता हूं?"
"जरूरत नहीं।"
"ओके देन ।"
राज सीढियां चढकर
पहली मंजिल पर
पहुंच गया ।
वहां निचले गलियारे
के ऊपर वैसा
ही एक गलियारा
था । राज
ने टटोल कर
गलियारे की बत्ती
जलाई । उसने
दाई ओर का
पहला दरवाजा खोला
। वह बैडरूम
था । उसने
उस कमरे की
भी बत्ती जला
दी । बैडरूम
के मध्य में
एक विशाल सुसज्जित
पलंग था ।
राज ने जूते
उतार दिये और
बाकी कपड़ों सहित
पलंग पर लेट
गया । उसने
अपने ऊपर कम्बल
खींच लिया
उसने एक नया
सिगरेट सुलगा लिया।
बाहर टापू पर
सांय-सांय करती
हवा चल रही
थी और धुंध
गहरी होती जा
रही थी ।
राज जार्ज टेलर
के बारे में
सोच रहा था
।
क्या जार्ज टेलर
जिन्दा था ? और
अगर वह जिन्दा
था तो क्या
वह टापू पर
मौजूद था ?
फिर उसके कोनों
में जार्ज टेलर
का भर्राया हुआ
स्वर गूंजने लगा
- वह विशिष्ट स्वर
जो उसने मिलर
के मकान पर
सुना था ।
उसी क्षण कमरे
की बत्ती बुझ
गई ।
राज तत्काल उठकर
बैठ गया ।
कमरे में घुप्प
अंधेरा छा गया
था ।
मार्गरेट ने बिजली
का स्विच ऑन
कर दिया ।
राज ने लाइटर
बुझाकर जेब में
रख लिया ।
उसने देखा वे
एक विशाल हॉल
में खड़े थे।
उसी क्षण बगल
के कमरे के
द्वार से उसकी
सी धम्म की
आवाज आई।
बिजली की फुर्ती
से रोशनी ने
अपने कोट की
जेब से मोजर
रिवाल्वर निकाल ली।
"कौन है ?" - वह आतंकित
स्वर से बोली
।
"कोई नहीं है,
रोशनी ।" - राज
तनिक उपहासपूर्ण स्वर
से बोला - "केवल
एक चूहा है
बगल के द्वार
के समीप एक
चूहा बैठा था
और गोल-गोल
आंखों से उनकी
ओर देख रहा
था । राज
ने अपना एक
पांव जोर से
फर्श पर मारा
| चूहा पलक झपकते
ही दृष्टि से
ओझल हो गया
रोशनी ने रिवाल्वर
वापिस जेब में
रख ली ।
"तुम दोनों यहीं ठहरो
।" - राज बोला
- "मैं इमारत में देखकर
आता हूं।"
"कोई फायदा नहीं ।"
- मार्गरेट बोली- "इमारत में
कोई नहीं है
। इमारत में
कोई नहीं हो
सकता
"फिर भी देखने
में क्या हर्ज
है ?" अगले दस
मिनटों में राज
ने इमारत का
चप्पा चप्पा छान
मारा।
कहीं कोई नहीं
था।
"वह कहीं टापू
पर छुपा हो
सकता है ।"
- रोशनी बोली। "नानसैंस ।"
- मार्गरेट मुंह बिचकाकर
बोली ।
"तुम अपना थोबड़ा
बंद रखो ।"
- रोशनी गर्ज कर
बोली। मार्गरेट दूसरी
ओर देखने लगी।
"लेकिन इतनी रात
गये हम टापू
पर उसे तलाश
नहीं कर सकते
।" - राज अपनी
कलाई पर बन्धी
घड़ी पर दृष्टिपात
करता हुआ बोला
-
"ग्यारह बजने वाले
हैं । टापू
बहुत बड़ा है
और इस पर
जगह-जगह पलक
झपकते ही इन्सान
को निगल जाने
वाली दलदल हैं
और धुंध की
वजह से अंधेरे
में कुछ देख
पाना भी संभव
नहीं है ।
ऐसे वातावरण में
किसी को तलाश
करने के चकर
में हमें अपनी
जान खो बैठेंगे।"
रोशनी चुप रही
। उसके चेहरे
पर उलझन के
भाव थे।
"मेरी राय में
रात हम इस
इमारत में गुजारते
हैं" - राज बोला
- "कल सुबह हम
टापू पर जार्ज
टेलर को तलाश
करेंगे।" |
रोशनी ने बड़ी
अनिच्छा से सहमतिसूचक
ढंग से सिर
हिला दिया।
"यहां सोने का
क्या इन्तजाम है
सकता है ?" - राज
ने मार्गरेट से
पूछा । "यहां
चार बैडरूम हैं
।" - मार्गरेट ने बताया
-
आखिरी शिकार
"दो पहली मंजिल
पर और दो
नीचे ।"
"मुझे नीचे का
बैडरूम दिखाओ।" - रोशनी जल्दी से
बोली।
मार्गरेट ने राज
की ओर देखा
। राज ने
सहमतिसूचक ढंग से
सिर हिला दिया
। हाल के
सामने एक दरवाजा
था जिसके आगे
एक लम्बा गलियारा
था | मार्गरेट रोशनी
का लेकर उस
गलियारे में चली
गई।
राज मुख्य द्वार
के पास पहुंचा
। उसने मुख्य
द्वार को मजबूती
से भीतर से
बंद कर लिया
और वापिस हाल
में आ खड़ा
हुआ । उसने
एक सिगरेट सुलगा
लिया और मार्गरेट
के लौटने की
प्रतीक्षा करने लगा।
कुछ देर बाद
मारिट वापिस लौटी
।
"वह तो जाते
ही बिस्तर में
घुस गई।" - मारिट
बोली - "मैंने उससे भोजन
के लिये बहुत
आग्रह किया लेकिन
उसने साफ मना
कर दिया ।"
"तुम्हारा मतलब है
यहां भोजन का
इंतजाम है ?" - राज बोला।
"क्यों नहीं है
? इस इमारत में
दस आदमियों के
लिये एक महीने
के लिये पर्याप्त
रसद मौजूद है
"वैरी गुड ! तुम रोशनी
को छोड़ो ।
वह लन्दन से
डेनवर तक बहुत
यातनापूर्ण सफर तय
करके आई है
। उसे सोने
दो ।"
"ठीक है फिर
। तुम ऊपर
चले जाओ ऊपर
दो बैडरूम हैं
। उसमें से
एक तुम्हारे लिये
है । मैं
भोजन का प्रबन्ध
करती हूं।" "मैं
कोई मदद कर
सकता हूं?"
"जरूरत नहीं।"
"ओके देन ।"
राज सीढियां चढकर
पहली मंजिल पर
पहुंच गया ।
वहां निचले गलियारे
के ऊपर वैसा
ही एक गलियारा
था । राज
ने टटोल कर
गलियारे की बत्ती
जलाई । उसने
दाई ओर का
पहला दरवाजा खोला
। वह बैडरूम
था । उसने
उस कमरे की
भी बत्ती जला
दी । बैडरूम
के मध्य में
एक विशाल सुसज्जित
पलंग था ।
राज ने जूते
उतार दिये और
बाकी कपड़ों सहित
पलंग पर लेट
गया । उसने
अपने ऊपर कम्बल
खींच लिया
उसने एक नया
सिगरेट सुलगा लिया।
बाहर टापू पर
सांय-सांय करती
हवा चल रही
थी और धुंध
गहरी होती जा
रही थी ।
राज जार्ज टेलर
के बारे में
सोच रहा था
।
क्या जार्ज टेलर
जिन्दा था ? और
अगर वह जिन्दा
था तो क्या
वह टापू पर
मौजूद था ?
फिर उसके कोनों
में जार्ज टेलर
का भर्राया हुआ
स्वर गूंजने लगा
- वह विशिष्ट स्वर
जो उसने मिलर
के मकान पर
सुना था ।
उसी क्षण कमरे
की बत्ती बुझ
गई ।
राज तत्काल उठकर
बैठ गया ।
कमरे में घुप्प
अंधेरा छा गया
था ।
राज ने देखा
इमारत का मुख्य
द्वार खुला था
। दोनों रोशनी
के बैडरूम में
पहुंचे । रोशनी
गायब थी।
मार्गरेट के चेहरे
पर गहरी उलझन
के भाव उभर
आये।
राज बेहद शांत
था ।
दोनों हाल में
वापिस लौट आये
।
"मेरा बैग !" - एकाएक मार्गरेट बोली
।
"क्या हुआ तुम्हारे
बैग को ?" - राज
ने तीव्र स्वर
से पूछा।
"मैंने उस मेज
पर" - मारिट हाल में
द्वार के समीप
रखी एक गोल
मेज की ओर
संकेत करती हुई
बोली - "अपना बैग
रखा था ।
बैग गायब है
"बैग में क्या
मोटरबोट के इग्नीशन
की चाबी भी
थी?"
"नहीं । बैग
में बाकी चाबियां
थी लेकिन मोटरबोट
की चाबी नहीं
थी । वह
चाबी मैं बैग
में
डालना भूल गयी
थी । वह
चाबी मैंने अनजाने
में अपनी पतलून
की जेब में
डाल ली थी।"
“वैरी गुड ।"
- राज सन्तुष्ट स्वर
में बोला ।
राज मुख्य द्वार
की ओर बढा
।
अभी उसने दरवाजा
बन्द करने के
लिये हाथ बढाया
ही था कि
उसे बाहर अंधकार
में एक साया
दिखाई दिया ।
राज ने जल्दी
से द्वार बन्द
करने की कोशिश
की लेकिन साया
उससे ज्यादा फुर्तीला
था । साया
एक छलांग मारकर
दरवाजे
के दोनों पल्लों
के बीच पहुंच
गया ।
राज दो कदम
पीछे हट गया
।
वह साया इन्स्पेक्टर
मार्श का था
। उसके पीछे
दो ब्रेनगनों से
लैस पुलिसमैन थे
। इन्स्पेक्टर के
अपने हाथ में
रिवाल्वर थी।
"सो वी मीट
अगेन ।" - इन्स्पेक्टर
मार्श अन्दर हाल
में कदम रखता
हुआ बोला ।
"आप यहां कैसे
टपक पड़े, इन्स्पेक्टर
साहब ?" - राज निराशापूर्ण
स्वर से बोला
।
इन्स्पेक्टर ने उसके
प्रश्न का उत्तर
नहीं दिया ।
"एण्ड हाउ आर
यू, मैडम ?" - इन्स्पेक्टर
मार्गरेट को सम्बोधित
करता हुआ बोला
"आपने ट्रेन रोक कर
एक अपराधी को
भगाने में मदद
की थी लेकिन
फिर भी मैं
आपकी हिम्मत की
दाद देता हूं।"
मार्गरेट चुप रही।
"इन्स्पेक्टर साहब" - राज फिर
बोला - "लेकिन आप यहां
पहुंचे कैसे? बाई गॉड,
मैं हैरानी से
मरा जा रहा
हूं | मेरी निगाह
में तो आपके
पास यह जानने
का कोई साधन
ही नहीं था
कि हम यहां
आये हैं ?"
"लेकिन तुम्हारे अनिल साहनी
नाम के लम्बे-चौड़े साथी को
मालूम था कि
तुम लोग यहां
आने वाले थे।"
“अनिल साहनी ! लेकिन
वो तो मर
चुका है ।"
“कब मर चुका
है ।" - इन्स्पेक्टर
कब शब्द पर
विशेष जोर देता
हुआ बोला ।
"क्या मतलब ?" - राज ने
पूछा |
"तुम्हें कैसे मालूम
कि वह मर
चुका है?"
"है मालूम मुझे ।
वह ट्रेन के
नीचे आकर मरा
है
"तुम्हें यह बात
जरूर रोशनी नाम
की लड़की ने
बताई है।"
राज ने तनिक
हिचकिचाते हुये सहमतिसूचक
ढंग से हिला
दिया ।
"रोशनी कहां है?"
"पहले आप मेरी
बात का तो
जवाब दीजिये ?"
इन्स्पेक्टर कुछ क्षण
चुप रहा और
फिर बोला "अनिल
साहनी चलती ट्रेन
की चपेट में
जरूर आ गया
था लेकिन फौरन
मरा नहीं था
। मरने से
पहले उसने हमे
बताया था कि
उसे उसकी सहयोगिनी
रोशनी ने मालगाड़ी
के डिब्बे में
से दूसरी पटरी
पर विपरीत दिशा
से आती चलती
गाड़ी के सामने
धक्का दे दिया
था ।"
मार्गरेट बुरी तरह
चौंकी लेकिन राज
के चेहरे पर
हल्के से आश्चर्य
के भाव भी
नहीं उभरे ।
"अनिल साहनी ने ही
मरने से पहले
हमें यह बताया
था कि रोशनी
और तुम लोग
इस टापू पर
जरूर जाओगे ।"
- इन्स्पेक्टर फिर बोला
।
"अनिल साहनी ने यह
नहीं बताया कि
रोशनी ने उसे
धक्का क्यों दिया
?" - राज ने पूछा
।
"नहीं ।"
"और क्या कहा
था उसने ?"
"कुछ नहीं ।
और कुछ कह
पाने से पहले
ही उसके प्राण
निकल गये थे
। ...
वह लड़की कहां
आखिरी शिकार है?"
"कौन-सी लड़की
?"
"रोशनी । मैं
उसे अनिल साहनी
की हत्या के
इल्जाम में गिरफ्तार
करना चाहता हूं।"
 
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