"जय श्री कृष्ण "एक प्रसिद्ध नगर मे भगवान श्री कृष्ण का मंदिर था वही पास मे एक बहुत बडा बाजार भी था मंदिर मे भगवान को मक्खन मिश्री का ही भोग लगता था उसी बाजार मे एक जलेबी वाले ने दुकान खोली ओर सबसे पहले वो जलेबिया बनाकर भगवान को भोग लगाने के लिए ले गया मगर पुजारी ने ये कहकर मना कर दिया कि भगवान को सिर्फ मक्खन मिश्री का ही भोग लगाया जाता हे दुखी मन से जलेबी वाला बाहर आकर गरीबों मे सारी जलेबिया बांट देता हे भगवान श्री कृष्ण भी बालक रूप धारण करके जलेबी लेकर खाते हे उन्हें जलेबी बहुत अच्छी लगती हे शाम को मदिर के कपाट बंद हो जाने के बाद भगवान बालक रुप धारण करके बाजार मे जलेबी वाले के पास पहुंच जाते हे औऱ जलेबी मांगते हे जलेबी वाला पूछता हे कितने पैसों की दू तो बालक श्री कृष्ण कहते हे मेरे पास तो पैसे नही हे जलेबी वाला कहता है तो जलेबी नही मिलेगी इस पर बालक श्री कृष्ण अपने हाथ का कंगन जोकि सोने का होता हे कहकर कि जलेबी तो मे जरूर खाऊगा ये रख लो जलेबी वाला सोने के कंगन को देखकर बोला पर इस बदले कितनी जलेबी दू बालक श्री कृष्ण बोले ये थाली भर दे दो जलेबी वाले ने पूरा थाल भर कर जलेबी दे दी बालक श्री कृष्ण बोले मे ये जलेबी वहाँ बैठकर खालू जलेबी वाला बोला जाओ खालो इसके बाद जलेबी वाला जलेबी बानाने मे बिजी हो गया और बालक वहाँ से आलोप हो गया अगले दिन जब सुबह पुजारी मंदिर मे भगवान की पुजा के लिए आऐ तो देखा कि भगवान के हाथ का कंगन गायब हे मंदिर के सभी लोग भगवान के कंंगन को ढूढने मे लग गये कंगन तो मिला नही जलेबी वाले कि थाली मिल गई जिस पर उसका नाम लिखा था पुजारी अपने सभी साथियों सहित जलेबी वाले के पास पहुंचे ओर उससे पूछा कि तुमहारा थाल मंदिर मे कैसा आया जलेबी वाले ने उन्हें सारी बात बता दी औऱ वो कंगन भी दिखाया जो बालक बने श्री कृष्ण ने उन्हें दिया था पुजारी ने अपने दोनों हाथ ऊपर करके कहा भगवान मैंने आपकी इतनी सेवा की मगर आपके दर्शन नही हूऐ ओर आप ने इस जलेबी वाले को अपने बालक रूपी दर्शन करा दिऐ तभी वहाँ आकाश वाणी हुई भगवान बोले मे हे पुजारी ...मे तो सिर्फ श्रद्धा भाव का भूखा हू मे तो अपने भक्तों के बस मे हू तुम ने इस जलेबी वाले का मन ये कहकर दुखाया कि मे सिर्फ मकखन मिश्री खाता हूं जबकि मे तो अपने भक्त के प्यार का भूखा हूं..कहकर आवाज लुप्त हो गई मित्रों सचमुच प्रभु प्यार और भाव के भूखे होते है और हम सभी उन्हें दिखावे के जरिये रिझाने की कोशिश मे रहते है अपने प्रभु से मन से श्रद्धा भाव से प्रेम कीजिए उन्हें पाने का एक यही उपाय है 
जय श्री कृष्ण
मित्रो इस ब्लॉग में आप हिंदी में कहानियाँ और उपन्यास पढ़ सकते हैं । ये कहानियाँ और उपन्यास मेने अंतर्जाल के विभिन्न स्थानों से संकलित किये हैं ।
Tuesday, September 25, 2018
जय श्री कृष्ण
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