*प्रभु की गोद* 
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एक व्यक्ति बहुत नास्तिक था... उसको भगवान पर विश्वास नहीं था... 
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एक बार उसके साथ दुर्घटना घटित हुई.. वो रोड पर पड़ा पड़ा सब की ओर कातर निगाहों से मदद के लिए देख रहा था, 
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पर कलियुग का इंसान - किसी इंसान की मदद जल्दी नहीं करता,
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मालूम नहीं क्यों, वो यही सोच कर थक गया... तभी उसके नास्तिक मन ने अनमने से प्रभु को गुहार लगाई... 
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उसी समय एक ठेलेवाला वहां से गुजरा उसने उसको गोद में उठाया और चिकित्सा हेतु ले गया 
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उसने उनके परिवार वालो को फ़ोन किया और अस्पताल बुलाया 
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सभी आये उस व्यक्ति को बहुत धन्यवाद दिया... उसके घर का पता भी लिखवा लिया 
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जब यह ठीक हो जायेगा तो आप से मिलने आयेंगे -
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वो सज्जन सही हो गए... कुछ दिन बाद वो अपने परिवार के साथ उस व्यक्ति से मिलने का इरादा बनाते है और निकल पड़ते है मिलने |
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वो बाँके बिहारी का नाम पूछते हुए उस पते पर जाते है
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उनको वहा पर प्रभु का मंदिर मिलता है, वो अचंभित से उस भवन को देखते है, और उसके अन्दर चले जाते जाते है |
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अभी भी वहा पर पुजारी से नाम लेकर पूछते है की यह बाँके बिहारी कहा मिलेगा -
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पुजारी हाथ जोड़ मूर्ति की ओर इशारा कर के कहता है की यहाँ यही एक बाँके बिहारी है | 
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खैर वो मंदिर से लौटने लगते है तो उनकी निगाह एक बोर्ड पर पड़ती है उसमे एक वाक्य लिखा दिखता है - कि 
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*इंसान ही इंसान के काम आता है, उस से प्रेम करते रहो मै तो तुम्हे स्वयं मिल जाऊंगा...*🙏🏼
Source- facebook 
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Monday, October 1, 2018
*प्रभु की गोद*
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