महक
को बचपन से ही माँ बनने का बड़ा
शौक था.
बचपन
में भी जब वो अपने बहनो या पड़ोस
के बच्चो के साथ घर घर खेलती
तो हमेशा मम्मी बनती थी.
उसका
माँ बनने का ये पागलपाल ही इस
बात कीवजह थी के उसने तीनो
बहनो में सबसे पहले शादी कर
ली पर शादी को 5
साल
हो चुके थे पर कोईबच्चा नही
हुआ था.अपने
पति के साथ उसने सब कुच्छ
ट्राइकिया,
हर
रात सेक्स किया,
रात
में 3-4
बार
किया,
हर
पोज़िशन ट्राइ की पर कुच्छ
नतीजा नही निकला.
थक
हार कर जब वो डॉक्टर के पास
पहुँचे तो पता चला के उसका पति
बाप बनने के क़ाबिल ही नही था.
वो
महक को बिस्तर पर खुश तो रख
सकता था पर उसको माँ नही बनासकता
था.उसके
उपेर उस दिन जैसे बिजली सी गिर
पड़ी थी.
कुदरत
ने अजीब मज़ाक किया था उसके
साथ.
अपने
पति से वो बहुत प्यार करती थी
इसलिए उसे छ्चोड़ने का ख्याल
दूर दूर तक उसके दिमाग़ मेंकहीं
नही था.
अगले
एक साल तक वो जाने कितने डॉक्टर्स,
कितने
हकीम,
कितने
वेद्यो को पास अपने पति को
लेकर गयी पर जो उसको चाहिए था
वो नही मिला.और
यही पागल पन था के जब प्रेरणा
ने उसे उस टोटके के बारे में
बताया तो वो फ़ौरन राज़ी हो
गयी.उसका
पति अब भी शहर से बाहर था इसलिएउसे
अब भी इस बात का पता नही चला
था के उसका वो ठीक हुआ या नही.ठीक
एक हफ़्ता पहले देर रात घर में
एक आहट हुई तो उसकी आँख खुली.
वो
आधी नींद में अपने बेडरूम से
निकल कर बाहर आई.
ड्रॉयिंग
रूम की लाइट्स अब भी ऑफ थी.
इस
डर से के कहीं किचन में बिल्ली
ना घुस आई हो,
वो
किचन की तरफ बढ़ी ही थी के 2
हाथों
ने उसको पिछे से जाकड़ लिया.
वो
कुल मिला कर कितने थे ये महक
को पहले पता नही चल पाया था.
जब
उसको पिछे से अचानक यूँ पकड़ा
गया तो उसनेछूटने की पूरी
कोशिश की.
एक
हाथ उसके मुँह पर था जिसकी वजह
से वो चिल्ला नही सकी पर इस
छिना झपटी में उसका सरपास के
एक दरवाज़े से जा लगा और वो
अपने होश खो बैठी.उसके
बाद बहुत देर तक उसके शरीर को
अच्छी तरह से इस्तेमाल किया
गया.
उसके
साथ वो सब किया गया जो उसने
अपने पति के साथ भी नही किया
था.सर
पर लगी चोट की वजह से वो ना तो
होशमें थी पर पूरी तरह बेहोश
भी नही थी.
उसके
साथ क्या हो रहा है ये वो अच्छीतरह
जानती थी पर उस सबको रोकने की
हिम्मत उसके शरीर में बिल्कुल
भी नही थी."क्या
कर रहा है?""थोड़ी
सी ऐश""अबे
इतना टाइम नही है.
माल
उठा और निकल""अर्रे
जब आ ही गये हैं तो चोरी के साथ
साथ थोड़ी सी अय्याशि भी कर
लें"ऐसी
कुच्छ आवाज़ें उसे सुनाई दे
रही थी.
जिस्म
पर ठंडी हवा महसूस हुई तो उसे
अपने नंगेपन का एहसास हुआ.
उसके
कपड़े जाने कब के उतार दिए गये
थे.फिर
उसके मुँह पर एक रुमाल बाँध
दियागया और सामने रखी एक टेबल
पर झुका दिया गया.
पता
नही कितने देर तक पिछे से लग
रहे धक्को का उसको एहसास होता
रहा पर जैसे उस थोड़े से टाइम
में हीकितनी सदिया गुज़र
गयी.पता
नही एक,
पता
नही 2,
पता
नही 3
या
जाने कितने,
एक
एक करके उसके पिछे आते रहे और
उसके शरीर को भोगते रहे.
जब
होश आया तो सुबह हो चुकी थी.
वो
पूरी तरह नंगी अब भी ड्रॉयिंग
रूम में पड़ी थी.
सर
दर्द के मारे फटा जा रहा था और
उससे कहीं ज़्यादा दर्द उसकी
टाँगो के बीच हो रहा था.
मुश्किल
से वो उठी और कमरे का जायज़ालिया.घर
की हर कीमती चीज़ गायब थी.अगले
कुच्छ दिन तक उसके घर में
पोलीसका आना जाना लगा रहा.
उसका
पति भी वापिस आ गया.
लाख
चाहते हुए भी वो अपने पति से
बलात्कार की बात का ज़िक्र
नही कर सकी.
सदमे
से वो बीमार पड़ गयी थी इसलिए
बिस्तर पकड़ लिया था.
डॉक्टर्स
आए और उसको दवाई लिख कर दे
गये.अचानक
फोन की घंटी बजी तो वो अपने
ख्यालो से बाहर आई."हेलो"
फोन
उठा कर वो बोली"हेलो
मिसेज़.
सिंग"
दूसरी
तरफ से उसके फॅमिली डॉक्टर
की खुशी से भरी आवाज़ आई
"कंग्रॅजुलेशन.
आपको
कुच्छनही हुआ है बल्कि न्यूज़
तो खुश होनेवाली है.
यू
आर प्रेग्नेंट"फिर
डॉक्टर ने क्या बोला ये महक
ने सुना ही नही.
टोटके
से 3
महीने
पहले से उसका पति शहर से बाहर
था और टोटकेके बाद भी अब तक वो
उसके साथ सोया नही था."आइ
आम प्रेग्नेंट"
उसने
दिल ही दिल में सोचा और बलात्कार
की पूरी घटना जैसे फिर उसके
दिमाग़ में घूमने लगी.उस
रात को गुज़रे एक हफ़्ता हो
चुका था जब तीनो बहनो ने मिलकर
उस टोटके को अंजाम दिया था पर
प्रेरणा को अब तक वो चीज़ हासिल
नही हुई थी जिसके लिए उसने
इतना सब किया था,
यानी
उसका पति अकरम जो अब उससे तलाक़
लेकर किसीऔर औरत के साथ रह रहा
था.अकरम
को वो स्कूल से जानती थी और जी
जान से उससे प्यार भी करती थी.
दोनो
स्कूल और कॉलेज में साथ रहे
और फिर शादी कर ली.
जितना
वो अकरम को चाहती थी,
उतना
वो भी उससे प्यार करता था.पर
वो प्यार जो शादी से पहले उन
दोनोकी ज़िंदगी था अकरम की
लिए शादी के बाद जैसे एक परेशानी
बन गया था.
प्रेरणा
हद से कहीं ज़्यादा पस्सेसिव
थी जो अपने पति को हर वक़्तअपने
पल्लू से बाँध कर रखना चाहती
थीऔर ये बात अकरम को शायद मंज़ूर
नही थी.
शादी
से पहले वो हर वक़्त उसे फोन
करती ये जानने के लिए वो कहाँ
है,
उसने
खाना खाया या नही,
किस
रंग के कपड़े उसने आज पहने
हैं,
उसकी
तबीयत कैसी है वगेरह वगेरह
और इन सारी बातों की वजह से
अकरम भी उसका दीवानाथा.पर
फिर शादी के बाद प्रेरणा का
अकरम के लिए पागल पन जैसे और
बढ़ गया.जाने
कहाँ से उसके दिमाग़ में ये
बातआ गयी के वो उसको धोखा दे
रहा है.
उसके
दिमाग़ ने जाने कहाँ से ये
कहानी गढ़ ली के क्यूंकी वो
इतने सालों से अकरम के साथ सो
रही है इसलिए अब उसका दिल भर
गया है और वो दूसरी औरतों के
पास जाता है.
वो
अपने पति की हर चीज़ को बड़ी
बारीकी से देखा करती.कहीं
कोई लंबा बाल तो उसके कपड़ो
पर नही.कहीं
उसके जिस्म पर कोई लिपस्टिक
का निशान तो नही.कहीं
उसके कपड़ो से किसी औरत की
खुश्बू तो नही आ रही.वो
दिन में 50
बार
अकरम को फोन करती ये जानने के
लिए के वो कहीं किसी लड़की के
साथ तो नही.और
फिर जब हद बढ़ गयी तो अकरम ने
परेशान होकर उससे तलाक़ ले
लिया और प्रेरणा अपने घर में
अकेली रह गयी.
बिजली
उसपर तब गिरी जब उनके तलाक़
के1
साल
बाद अकरम ने किसी और औरत से
शादी कर ली.उनके
तलाक़ की सबसे बड़ी वजह उनका
धर्म भी था.
अकरम
मुस्लिम था और उसके घरवाले
चाहते थे के वो किसी मुस्लिम
लड़की से शादी करे पर जब उनकी
मर्ज़ीके खिलफ़्फ़ उसने
प्रेरणा से शादी की तो उन्होने
अकरम से अपने सारे रिश्ते तोड़
दिए थे.तलाक़
के बाद अब अकरम को अपने घरवालेभी
वापिस मिल गये थे और उनकी मर्ज़ी
के मुताबिक उसने एक मुस्लिम
लड़की से शादी भी कर ली थी.
प्रेरणा
ने हर कोशिश की के अकरम लौट कर
उसके पास आ जाए पर ऐसा हुआ नही.
उसने
उसके आगे हाथ पावं जोड़े,
मिन्नत
की,
अपना
बर्ताव बदलने के वादे किए पर
वो फिर लौट कर नही आया.दिन
हफ़्तो में बदल गये और हफ्ते
महीनो मे पर प्रेरणा लाख कोशिश
के बाद भी अकरम को भूल नही
सकी.और
एक दिन उसने अख़बार में एक आड्
देखी."बेंगाली
बाबा ...
हर
समस्या का निवारण मिंटो में"जब
और कोई तरीका काम नही आया तो
प्रेरणा ने तन्त्र मन्त्र का
सहारा लिया.
कभी
बाबा के पास गयी,
कई
टोटके किए पर फिर भी कामयाबी
नही मिली.और
फिर एक तांत्रिक ने उसे एक और
टोटका बताया जिसके ज़रिए वो
अकरम को हासिल कर सकती थी.
अगर
टोटके के सारे नियमो का पालन
किया जाए,
पूरी
क्रियाको ढंग से अंजाम दिया
जाए तो प्रेत-राज
खुद उसकी मुराद पूरी करेंगे.और
प्रेरणा को जैसे मुँह माँगी
मुराद मिल गयी थी.
टोटके
के लिए उसे 2
लड़कियाँ
और चाहिए थी,
उसकी
दोनो बहने,
टोटके
के लिए उसे प्रेत को रिझाने
के लिए रास लीला करनी थी और
साक्षी के साथ वो ऐसा पहले भी
कर चुकी थी.महक
को तो उसने बड़ी आसानी से मना
लिया पर साक्षी इतनी जल्दी
नही मानी.पर
आख़िर में प्रेरणा की ज़िद
के आगेउसने भी घुटने टेक ही
दिए थे.टोटके
के मुताबिक अगर आख़िर में बाहर
रखे नींबू का रंग लाल हो जाए
तोसमझो के टोटका पूरा हो गया
और करने वालो की इच्छा पूरी
हो जाएगी पर अब तक ऐसा हुआ नही
था.
अकरम
अब भी प्रेरणा की ज़िंदगी में
नही आया था.प्रेरणा
ने घड़ी पर नज़र डाली.
रात
के 10
बज
रहे थे.
जिस
इलाक़े में वो रहती थी वो शहर
से बहुत बाहर था इसलिए 9
बजने
तक बाहर काफ़ी सुनसान हो जाता
था. 
उसने
उठकर कुच्छ खाने के लिए बनाया
और खाकर सोने के लिए जा ही रही
थी के फोन की घंटी बजी."हेलो"
फोन
उठाकर वो बोली"मैं
बोल रही हूँ"
दूसरी
तरफ से एक औरत की आवाज़ आई.
प्रेरणा
उसको जानतीथी.
उसका
नाम असमा था,
अकरम
की दूसरी बीवी."प्लीज़
फोन मत रखना"
दूसरी
तरफ से आवाज़ आई"टाइम
देखा है?
रात
के 12
बजने
वाले हैं"
प्रेरणा
ने कहा"जानती
हूँ पर तुम्हें कुच्छ बताना
था.
पता
नही तुम्हें पता चला या नही
पर अकरम अब नही रहे"
प्रेरणा
को जैसे धक्का सा लगा.
अपने
कानो पर जैसे यकीन ही नही हुआ.
नही,
ये
बात उसको पता नही थी.
अकरम
या उसकेकिसी जानने वाले से
बात हुए प्रेरणा को 6
महीने
से ज़्यादा हो गये थे.
सच
तो ये था के वो अब खुद किसी से
भी बातनही करती थी अपनी बहनो
के सिवा ना किसी से मिलने जाती
थी.
कोई
हैरानी नही कि अकरम की मौत की
खबर उसको नही लगी."कब?"
उसने
अटकती हुई आवाज़ में पुछा"2
हफ्ते
पहले.
रोड
आक्सिडेंट"
दूसरी
तरफ से आवाज़ आई.प्रेरणा
की जैसे दुनिया ही ख़तम हो गयी
थी,
जीने
की वजह नही बची थी जैसे कोई.
जिसको
पाने के लिए वो मरी जा रहीथी
अब वो खुद मर चुका था."जानती
हूँ कि तुम उसको बहुत चाहती
थी इसलिए सोचा के मैं खुद ही
बता दूँ"
असमा
की आवाज़ आईथोड़ी देर तक उसने
असमा से बात की औरफोन रख कर
फूट फूट कर रो पड़ी.
जाने
वो कब तक यूँ ही बैठी रोती रही
. वक़्त
का कोई अंदाज़ा ही नही रहा.दरवाज़े
पर अचानक हुई दस्तक से वो उठी
और गेट तक आई."कौन?"
उसने
पुछा तो बाहर से कोई आवाज़ नही
आई"कौन
है?"
उसने
फिर पुछादरवाज़े के दूसरी
तरफ से ऐसी बदबू आ रही थी जैसी
किसी जानवर के मर जाने के बाद
हवा में फेल जाती है."कौन
है?"
उसने
फिर से पुछा"मैं
हूँ,
अकरम.
मैं
तुम्हारे पास आ गया हूँ प्रेरणा"
दूसरी
तरफ से ऐसी आवाज़ आई जैसे कोई
बड़ी मुश्किल से बोल पा रहा
हो. 
उस
रात को गुज़रे एक हफ़्ता हो
चुका था जब तीनो बहनो ने मिलकर
उस टोटके को अंजाम दिया था और
तबसे ही.साक्षी
पूरी कोशिश कर रही थी के उस
रात को भूल जाए.उस
रात जो हुआ था वो सोच सोच कर
ही जैसे उसे शरम आ जाती थी.
वो
एक पढ़ी लिखी औरत थी पर फिर भी
अपनी बहेन की बातों में आकर
जाने कैसे वो इस सब तन्त्र
मन्त्र के चक्कर में पड़ गयी.और
सबसे बड़ी बात जो उसको परेशान
कर रही थी वो थी के उसने एक बार
फिर अपनी बेहेनो के साथ लेज़्बीयन
रीलेशन कायम किया था.उसकी
शादी से पहले एक रात जब वो
प्रेरणा के साथ एक पार्टी से
लौटी तोदोनो बहने पूरी तरह
नशे में थी.
अपने
माँ बाप की नज़र बचाकर वो चुप
चाप अपने कमरे में घुसी और
साक्षी फ़ौरन ही सो गयी थी.आधी
रात जब प्रेरणा उसके बिस्तर
में घुसी तो साक्षी की आँख
खुली थी और वोपहली रात थी जब
दोनो बहनो ने आपस मेंजिस्मानी
रिश्ता बनाया था.
सुबह
साक्षी ने रो रोकर बुरा हाल
कर लिया था और तब प्रेरणा ने
उससे वादा किया था के वो इस
बारे में किसी से कुच्छ नही
कहेगी और फिर ऐसा कभी नही
होगा.पर
उसका वादा ग़लत निकला.
ऐसा
फिर हुआ था उस रात और इस बार
उन दोनो के साथ उस पाप में महक
भी शामिल थी.साक्षी
ने फ़ौरन अपने दिमाग़ से ख्याल
झटका और घर के काम में लग गयी.सूरज
से उसकी शादी को 2
साल
हो चुके थे.
उसका
पति एक हॅंडसम आदमी थी और
एकप्राइवेट फर्म में बतौर
इंजिनियर काम करता था.
इस
बात से कहीं बढ़ कर जिस बात की
उसे खुशी थी वो ये थी के सूरज
एक नेक आदमी था,
दिल
का साफ.
हमेशा
खुश रहने वाला इंसान जो उसको
खुश रखना भी अच्छी तरह जानता
था.उसने
अपने पति को अपनी गुज़री ज़िंदगी
के बारे में सब कुच्छ बताया
था,
सिवाय
उस रात के जब वो और प्रेरणासाथ
सोई थे.
"क्यूँ
क्यूँ क्यूँ"
उसने
फिर दिल ही दिल में अपने आपको
कोसा "क्यूँ
मैं दीदी की बातों में आ गयी"जब
उसने पहली बार प्रेरणा के बताए
टोटके के बारे में सुना था तो
फ़ौरन इनकार कर दिया था और
उसकीसबसे बड़ी वजह थी के उसको
ऐसा कुच्छ नही चाहिए था जिसके
लिए उसे तन्त्र मन्त्र जैसी
बकवास बातों का सहारा लेना
पड़े.दूसरी
हैरत उसको तब हुई जब ये पता
चला के उसकी मनझली बहेन महक
भी प्रेरणा का साथ दे रही
है.बड़े
दिन तक दोनो बड़ी बहने मिलकर
साक्षी को मनाने की कोशिश करते
रहे और वो लगातार इनकार करती
रही पर फिर मजबूर होकर उसने
घुटने टेक दिए और इसबात की वजह
थी के वो अपनी बहनो से बहुत
प्यार करती थी.वो
ये सोचकर गयी थी के सब कुच्छ
वैसाही होगा जैसा उसने फ़िल्मो
में देखा है.
तंत्र
मन्त्र का जाप,
मुर्गी
की बलि और ऐसा ही और कुच्छ भी.
इसके
अलावा प्रेरणा और महक ने उसको
कुच्छ नही बताया था और साक्षी
को दूर दूर तक कोई अंदाज़ा भी
नही था के इससे ज़्यादा कुच्छ
और भी हो सकता है.पर
ऐसा हुआ.उस
रात ही प्रेरणा ने उसको बताया
था के पूरे टोटके के दौरान
तीनो बहनो कोपूरी तरह से नंगी
रहना है.
ये
टोटका तभी काम करता है जब इंसान
उसी हालत में जिस हालत में वो
पैदा हुआ था.
साक्षी
ने तब भी बहुत हल्ला मचाया
थापर फिर आख़िर मान गयी थी.पर
यूँ तीनो बहनो का एक दूसरे के
नज़दीक आना?
ये
उसने नही सोचा था और ना ही उसको
बताया गया था.जो
बात उसको सबसे ज़्यादा परेशान
कर रही थी वो ये थी के उस खेल
में उसने भी बराबर का हिस्सा
लिया था और उसे मज़ा भी आया
था.
ये
सोच सोच कर ही वो जैसे शरम से
गढ़ जाती थी.
पर बात यहीं ख़तम नही हुई थी. उस रात का असर अब भी उसके दिमाग़ पर था और यही वजह थी के पिच्छले 2 हफ़्तो में जब भी सूरज उसके करीब आता, उसको छुता,रात को बिस्तर पर उससे प्यार करता, उसके नंगे शरीर पर हाथ फिराता तो उसके दिमाग़ में फ़ौरन प्रेरणा आ जाती.फ़ौरन वो सोचने लगती के किस तरफ प्रेरणा उसके जिस्म से खेल रही थी."ओह गॉड !!!" उसने अपने दिमाग़ से ये ख्याल झटके और घड़ी पर नज़र डाली.रात के 9 बज रहे थे. उसका पूरा दिन यूँ ही ख्यालों में गुज़र गया था.आम तौर पर सूरज 6 बजे तक लौट आता था पर कभी कभी लेट भी हो जाता था. और कई बार तो ऐसा होता था के वो खाना खाकर सो जाती थी और सूरज रात को देर से आके चुप चाप उसकी बगल में लेट जाता था."आज फिर से लेट और फोन करके बताया भी नही" उसने दिल ही दिल में सोचा और खाना बनाकर अकेले ही खाया.रात को फोन की घंटी बजने पर उसकी आँखखुली. बगल में देखा तो सूरज अब तक लौटा नही था. घड़ी देखी तो 1 बज रहा था."हेलो" फोन उठा कर उसने कहा"हेलो मॅ'म" दूसरी तरफ से आवाज़ आई"मैं एम&एस कन्स्ट्रक्षन्स से बोल रहा हूँ""हांजी कहिए" ये वही कंपनी थी जहाँ उसका पति चीफ इंजिनियर था"आइ आम सॉरी टू टेल यू मॅ'म बट देर हॅज़ बीन अन आक्सिडेंट"सुनकर साक्षी का दिल धड़क गया."कैसा आक्सिडेंट?" उसने फ़ौरन सवाल किया "मेरे पति कहाँ हैं?"थोड़ी देर के लिए फोन पर खामोशी च्छागयी. वो कुच्छ मिनिट भी साक्षी को जैसे कई साल लगने लगे."वेर ईज़ माइ हज़्बेंड?" वो जैसे चिल्ला पड़ी"आइ आम सॉरी मॅ'म पर एक अंडर कन्स्ट्रक्षन बिल्डिंग कोलॅप्स हो गयी. आपके पति को काफ़ी चोट आई थी और वो बच नही पाए"साक्षी की पूरी दुनिया जैसे गोल गोल घूमने लगी."कंपनी की तरफ से हम इस दुखद पल में आपके साथ हैं. कंपनी के मालिक आपको 10 लाख रुपए बतौर कॉंपेन्सेशन देने को तैय्यार हैं" देखा दोस्तो कई बार जब हम किस्मत से ज़्यादा माँगते है तो उसका अंजाम ऐसा ही होता है दोस्तोकहानी कैसी लगी ज़रूर बताना।
 
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