Wednesday, August 22, 2018

मायावी गणित


मायावी गणित

'टन टन टन! स्कूल की घण्टी तीन बार बजी और रामू को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके दिल पर किसी ने तीन बार हथौड़े से वार कर दिया। चौथा पीरियड शुरू होगया था और ये पीरियड उसे किसी राक्षसके भोजन की तरह लगता था। किसी तरह खत्म ही नहीं होता था। उसे गणित और गणित के अग्रवाल सर दोनों से चिढ़ थी। और चौथा पीरियड उन्हीं का होता था।
उसने अपने मन को उम्मीद बंधाई कि शायद आज अग्रवाल सर न आये हों। किसी एक्सीडेन्ट में उनकी टांग टूट गयी हो। आजकल के ट्रेफिक का कोई भरोसा तो है नहीं।
लेकिन ट्रेफिक वाकई भरोसेमन्द नहीं है। क्योंकि अग्रवाल सर अपनी दोनों टांगों की पूरी मजबूती के साथ क्लास में दाखिल हो रहे थे। चेहरे पर चढ़ा मोटा चश्मा उन्हें और खुंखार बना रहाथा।
आने के साथ ही उन्होंने बोर्ड पर दो रेखाएं खींच दीं और एक लड़के को खड़ा किया, ''अनिल, तुम बताओ ये क्या है?

अनिल खड़ा हुआ, ''सर, ये दो समान्तर रेखायें हैं।
''शाबाश। बैठ जाओ। गगन, तुम समान्तर रेखाओं की कोई एक विशेषता बताओ।
''सर, समान्तर रेखाएं आपस में कभी नहीं मिलतीं। गगन ने तुरन्त जवाब दिया। उसकी गणित का लोहा तो अच्छे अच्छे मानते थे।
''गुड। तुम भी बैठ जाओ। रामकुमार, अब तुम खड़े हो।
''लो, आ गयी शामत।" किसी तरह उसने अपनीटांगों पर जोर दिया। पूरी क्लास का सर उसकी तरफ घूम गया था।
''बताओ, समान्तर रेखाएं आपस में क्योंनहीं मिलतीं ?" अग्रवाल सर ने सवाल जड़ा और उसका दिमाग घूम गया। उन दोनों से तो इतने आसान सवाल और मुझसे इतना टेढ़ा।
''सर, रेखाएं स्त्रीलिंग होती हैं। औरसित्रयों की विशेषता यही होती है कि वो ससुरी आपस में मिल बैठकर नहीं रह सकतीं। आखिरकार उसे एक धांसू जवाब सूझ ही गया।
दूसरे ही पल पूरी क्लास में एक ठहाका पड़ा और वह बौखला कर चारों तरफ देखने लगा। क्या उसके मुंह से कुछ गलत निकल गया था?
''अबे घोंघाबसंत की औलाद, पूरी दुनियासुधर जायेगी लेकिन तू नहीं सुधरेगा ।चल इधर किनारे आ। दूसरे ही पल उसका कान अग्रवाल सर की मुटठी में था। किनारे पहुंचकर पहले तो उस खड़ूस ने दो तीन थप्पड़ जमाये फिर मुर्गा बन जाने का आर्डर दे दिया।
-------


सड़क पर पैडिल मारते हुए रामकुमार उर्फ रामू आज कुछ ज्यादा ही विचलित था। उसे एहसास हो गया था कि गणित जीवनभर उसके पल्ले नहीं पड़ेगी। और गणित के बिना जीवन ही बेकार था। यही सबक रोज उसके माँ बाप और टीचर्स दिया करते थे।
सो उसने अपना जीवन समाप्त करने का निश्चय किया। उसके रास्ते में एक छोटा सा जंगल पड़ता था। उसके अंदर एक गहरा तालाब है, ये भी उसे पता था। उसने अपनी साइकिल सड़क से नीचे उतार दी। अब वह उस गहरे तालाब की ओर जा रहाथा। चूंकि उसने तैरना सीखा नहीं था, इसलिए वह आसानी से डूबकर मर जायेगा यही विचार आया उसके मन में।
जल्दी ही उसकी साइकिल तालाब के किनारे पहुंच गयी। उसने स्पीड तेज करदी। वह साइकिल के साथ ही पानी में घुसजाना चाहता था।
अचानक उसे लगा, पीछे से किसी ने उसकी साइकिल रोक ली है। उसने घूमकर देखना चाहा, लेकिन उसी समय उसकी गर्दन भी किसी ने पकड़ ली। कोई उसकी गर्दन दबा रहा था। धीरे धीरे उसपर बेहोशी छा गयी।

  01            02            03            04            05
  06            07            08            09            10
11            12            13            14

--समाप्त--





credit- hindivichar, google

No comments:

Post a Comment

Featured Post

सिंह और गाय

  एक गाय घास चरने के लिए एक जंगल में चली गई। शाम ढलने के करीब थी। उसने देखा कि एक बाघ उसकी तरफ दबे पांव बढ़ रहा है। वह डर के मारे इधर-उधर भा...