Tuesday, September 25, 2018

"परख "

"परख "

 दीदी ...वो सुधा मास्टरानी ..उसे देखने चला है ..दीदी बहुत तेज लडकी है बहुत पटर पटर करती है और तमीज ..बिल्कुल भी नही.. रजनी की बात सुनकर सुषमा परेशान हो उठी कयोकि बेटा मोहन जोकि 35पार कर चुका था सिर्फ उसीसे प्यार करता था मगर उसने साफ कहा था मां एकबार सुधा से मिललो ..तुम्हें भी पसंद आएगी और अगर आपने ना कहा तो मेरी भी ना होगी कयोकि आपका मन तोडकर मे शादी नही करूंगा.. पर रजनी ने जो कहा ...कही आकर उसने मां बेटों मे लडाई शुरू करवा दी तो ..कह रही है तेज लडकी है लडाकू ..आखिर सुषमा और रजनी सुधा के घर पहुंची तो मां बाबूजी थे सुधा स्कूल से लौटी नही थी कुछ देर बाद आई तो पसीने से लथपथ ..नमस्ते कहकर अंदर चली गई रजनी फुसफुसाई -हूं... घमंडी ..देखा ..मगर दो मिनट मे ही बाहर आई एक बोतल पानी और कटोरी मे मीठा लेकर और अपनी मां से बोली -मम्मी ..बाहर रिक्शेवाला खडा है उसे दे दीजिए फिर सुषमा से सोरी कहा और बताया स्कूल मे बच्चो के भविष्य को लेकर मीटिंग थी इसीलिए लेट हो गई खैर सुषमा ने बातचीत शुरू की तो हर बात का जबाब बडी शालीनता से दिया साथ ही रजनी और सुषमा की मेजबानी खुद करती रही ..मगर रजनी ने जो कहा वही दिमाग मे था तभी रजनी बोली -जी..एक दो दिन मे जबाब देते है सुधा और उसके माता पिता नम्रता से बोले -जी ..मगर तभी सुषमा ने कहा - नही ...बहनजी भाईसाहब ..जबाब अभी ही सुन लीजिए मुझे बेटी पसंद है और रिश्ता पक्का ...जल्दी ही मुहूर्त निकलवाकर आउंगी ..कहकर मुसकुराते चल दी सुधा ने मां कहकर पैर छू लिए..।बाहर आकर रजनी बोली -दीदी ये कया किया ..आप भूल कर रही हो आपको लडकी की परख नही है ..सुषमा मुसकुराई और बोली -बहु ...रजनी तुम मायने समझती हो इसके....बहु वो जो अपने माता पिता का मान करें गरीब इंसान से भेदभाव ना कर उसका सम्मान करें ....अपने पराए का अहम ना जिसमें ....और ये सब गुण उस बेटी मे है तुम देखना वो हमारे घर को स्वर्ग बनाएगी .....तुमने देखा नही शायद हमारी मेजबानी के साथ उस रिक्शेवाला का मान किया और अपने माता पिता का सम्मान और संस्कार को जगजाहिर किया मैने उसे स्वीकार कर लिया एक बेटी की तरह और उसने भी मुझे मां की तरह ..ऐसे हम दोनों ने अपने रिश्ते की परख कर ली ...रजनी शर्मिंदा सी चुपचाप रह गई ..

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