अँधेरा-02

अंधेरा । बङा ही अजीव और रहस्यमय होता है ये अंधेरा । बहुत सारे रहस्यों को अपने काले आवरण में समेटे जब अंधेरे का साम्राज्य कायम होता है । तो अच्छे से अच्छा इंसान भी अपने आप में सिमट कर ही रह जाता है । और जहाँ का तहाँ रुक जाता है । मानों समय का पहिया ही रुक गया हो ।
संध्या ढल चुकी थी । रजनी जवान हो रही थी । निशा के लगभग बारह बजने वाले थे । पर राजवीर कौर की आँखों से नींद उङ सी चुकी थी । वह बारबार बिस्तर पर करवट बदल रही थी । बाहर कोई कुत्ता दुखी आवाज में हूऊऊ..ऊऽऽऽ करता हुआ बारबार रो रहा था । उसकी ये रहस्यमय आवाज राजवीर के दिल को चाक सी कर देती थी । उसने किसी से सुना था । कुत्ते को प्रेत या यमदूत दिखाई देते हैं । तब वह अजीव सी दुखी आवाज में रोता है । और आज कोई कुत्ता बारबार रो रहा था ।
ये भी हो सकता था । उसने सोचा । मैंने आज ही सुना हो । ये अक्सर ही रोता हो । पर आज उसका ध्यान जा रहा हो । कुत्ता जैसे ही हूऊऊ करना बन्द करता । वह सोचती । अभी फ़िर रोयेगा । और वास्तव में कुत्ता कुछ देर बाद ही फ़िर रोने लगता था ।
उसने एक निगाह बगल में सोयी जस्सी पर डाली । और बैचेनी से उठ गयी । उसने फ़्रिज से एक ठण्डी बोतल निकाली । और गटागट पी गयी । तब उसे कुछ राहत सी महसूस हुयी ।
राजबीर कौर जस्सी का माँ थी । उसकी उमर अभी 40 साल थी । और उसके सेक्सी बदन का साइज 37-33-39 था । उसका कद 5 फ़ीट 7 इंच था । वह लम्बी चौडी बहुत ही खूबसूरत औरत थी । और बहुत बन सवर कर रहती थी । वह हमेशा महंगे फ़ैशनेबल सूट पहनती थी । जो उसके बेमिसाल सौन्दर्य में चार चाँद लगाते थे ।
राजबीर की नयी जवानी में 18 साल की उमर में ही शादी हो जाने के कारण वो अभी भी जवान ही लगती थी । अभी 40 साल की राजवीर 30 से ज्यादा नहीं लगती थी । और अब तो बेटी भी जवान हो चुकी थी । लेकिन अक्सर पराये मर्दों को समझ में नही आता कि माँ या बेटी में किसको देखे । हरामी किस्म के लोग माँ और बेटी को देख देखकर मन ही मन आँहे भरते थे ।
जब भी दोनों माँ बेटी किसी शादी । पार्टी । बाजार । किसी के घर । या सडक पर निकलती थी । तो उन्हें देखने वाले मन ही मन आँहें भर कर रह जाते थे । लेकिन जस्सी के बाप के डर के कारण उन्हें कोई अश्लील टिप्पणी नहीं कर पाते थे । पर जो अनजान थे । वो जस्सी और राजवीर के बेहद सुन्दर चेहरों और उठते गिरते नितम्बों की
मदमस्त चाल को देखकर टिप्पणी करने से बाज नहीं आते । जिसे अक्सर वे दोनों ऐसे नजर अन्दाज कर देती थी । जैसे कुछ हुआ ही न हो । पर मन ही मन अपनी सुन्दरता और जवानी पर नाज करती हुयी इठलाती थीं ।
राजवीर चलते हुये उस कमरे में आयी । जहाँ बेड पर पसरा हुआ उसका पति मनदीप सिंह सो रहा था । कैसा अजीव आदमी था । बेटी की हालत से बेफ़िक्र मस्ती में सो रहा था । या कहिये । रोज पीने वाली दारू के नशे में था । उसका तगङा महाकाय शरीर बिस्तर पर फ़ैल सा गया था ।
राजवीर धीरे से उसके पास बैठ गयी । और उसे थपथपा कर जगाने की कोशिश करने लगी । हूँ ऊँ हूँ..करता हुआ मनदीप पहले तो मानों जागने को तैयार ही नहीं था । फ़िर वह जाग गया । शायद वह कल की बात भूल सा चुका था । इसलिये उसने राजवीर को अभिसार आमन्त्रण हेतु आयी नायिका ही समझा । उसने राजवीर को अपने सीने पर गिरा लिया । और उसके स्तनों को सहलाने लगा । राजवीर हैरान रह गयी । उसे यकायक कोई बात नहीं सूझी । वह जस्सी के बारे में बात करने आयी थी । पर पति का यह रुख देखकर हैरान रह गयी ।
वास्तव में मनदीप अभी भी नशे की खुमारी में था । नियमित पीने वाले को पीने का बहाना चाहिये । खुशी हो गम । वे दोनों हालत में ही पीते हैं । सो मनदीप ने उस शाम को भी पी थी । उसने राजवीर को बोलने का कोई मौका ही नहीं दिया । और नाइटी सरकाकर उसके उरोंजो को खोल लिया । ब्रा रहित उसके दूधिया गोरे उरोज मनदीप को बहकाने लगे ।
किसी भी टेंशन में कामवासना भी शराब के नशे की तरह गम दूर करने वाली ही होती है । सो कोई आश्चर्य नहीं था । पति के मजबूत हाथ का अपने स्तनों पर दबाब महसूस करती हुयी राजवीर भी जस्सी के बारे में उस समय लगभग भूल ही गयी । और उत्तेजित होने लगी । मनदीप के बहकते हाथ उसके विशाल नितम्बों पर गये । और फ़िर उसने राजवीर को अपने ऊपर खींच लिया ।
तब उसने अपनी नाईटी उतार दी । और मनदीप को पूरी तरह सहयोग करने लगी । बङी प्रभावी होती है ये कामवासना भी । सामना मुर्दा रखा होने पर भी जाग सकती है । स्त्री और पुरुष का एकान्तमय सामीप्य इसको तुरन्त भङकाने वाला सावित होता है । सो राजवीर तुरन्त बिस्तर पर झुक गयी । और मनदीप उसके पीछे से सट गया । अपने अन्दर वह मनदीप का प्रवेश महसूस करने लगी । वह अभी भी दम खम वाला इंसान था । सो राजवीर के मुँह से आह निकल गयी । फ़िर वह मानों झूले में झूलती हुयी ऊपर नीचे होने लगी । सारे पंजावी मर्द ही अप्राकृतिकता के शौकीन थे । गुदा मैथुन के दीवाने थे । और उनके इसी विपरीत मार्गी शौक के चलते सभी औरतों की भी वैसी ही आदत बन गयी थी ।
उसके मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी । और शरीर में गर्म दृव्य सा महसूस हुआ । फ़िर वह आनन्द से कराहने लगी । मनदीप भी निढाल हुआ सा उसके पास ही लुढक गया ।
राजवीर ने कपङे पहनने की कोई कोशिश नहीं की । और मनदीप के सहज होने का इंतजार करने लगी ।
- मुझे बङी फ़िक्र हो रही है । वह गौर से मनदीप के चेहरे को देखते हुये बोली - पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ । लङकी जवान है ।
मनदीप को तुरन्त कोई बात न सूझी । जस्सी यकायक बाजार में चक्कर खाकर गिर गयी थी । और जैसे तैसे लोगों ने उसे घर तक पहुँचाया था । घर तक आते आते उसकी हालत में थोङा सुधार सा नजर आने लगा था । पर वह इससे ज्यादा कुछ न बता सकी कि अचानक ही उसे चक्कर सा आ गया था । और वह गिर गयी । डाक्टर ने उसका चेकअप किया । और फ़ौरी तौर पर किसी गम्भीर परेशानी से इंकार किया । उसके कुछ मेडिकल टेस्ट भी कराये गये । जिनकी रिपोर्ट अभी मिलनी थी ।
करीब शाम होते होते जस्सी की हालत काफ़ी सुधर गयी । पर वह कमजोरी सी महसूस कर रही थी । जैसे उसके शरीर का रस सा निचोङ लिया गया हो ।
- पर मुझे तो । मनदीप बोला - फ़िक्र जैसी कोई बात नहीं लगती । शरीर है । इसमें कभी कभी ऐसी परेशानियाँ हो जाना आम बात है ।
दरअसल राजवीर जो कहना चाहती थी । वो कह नहीं पा रही थी । उसे लग रहा था । मनदीप पता नहीं क्या सोचने लगे ।
मनदीप सिंह जस्सी का बाप था । सब उसे बराङ साहब बोलते थे । उसकी उमर 45 साल थी । और उसका कद 5 फ़ीट 11 इंच और शरीर बहुत मजबूत था । वह हमेशा कुर्ता पजामा पहनता था ।
मनदीप सिंह बेहद अहंकारी आदमी था । उसे अपने अमीर होने का बहुत अहम था । जिसके चलते वो दूसरों को हमेशा नीचा ही समझता था । वह पगडी बाँधता था । और उसके चेहरे पर बङी बङी दाङी मूँछे थी । मनदीप रोज ही शराब पीता था । और मुर्गा चिकन खाने का बहुत शौकीन था ।
वैसे जस्सी और उसके माँ बाप कभी कभी गुरुद्वारा जाते थे । लेकिन फ़िर भी मनदीप नास्तिक ही था । इसके विपरीत राजवीर काम चलाऊ धार्मिक थी । जस्सी न आस्तिक थी । और न ही नास्तिक । वो बस अपनी मदमस्त जवानी में मस्त थी ।
- सुनो जी । अचानक राजवीर अजीव से स्वर में बोली - ऐसा तो नहीं । कहीं ये भूत प्रेत का चक्कर हो ?
मनदीप ने उसकी तरफ़ ऐसे देखा । जैसे वह पागल हो गयी हो । दुनियाँ 21 वीं सदी में आ गयी । पर इन औरतों और जाहिल लोगों के दिमाग से सदियों पुराने भूत प्रेत के झूठे ख्याल नहीं गये ।
वह उठकर तकिये के सहारे बैठ गया । और उसने राजवीर को अपनी गोद में गिरा लिया । फ़िर उसकी तरफ़ देखता हुआ बोला - कैसे होते हैं भूत प्रेत ? तूने आज तक देखे हैं । तुझे पता है । सिख लोग भूत प्रेत को बिलकुल नहीं मानते । ये सब जाहिल गंवारों की बातें हैं । भूत प्रेत । आज तक किसी ने देखा है । भूत प्रेत को ।
फ़िर उसने मानों मूड सा खराब होने का अनुभव करते हुये राजवीर के स्तनों को सहला दिया । मानों उसका ध्यान इस फ़ालतू की बकबास से हटाने की कोशिश कर रहा हो । लेकिन राजवीर के दिलोदिमाग में कुछ अलग ही उधेङबुन चल रही थी । जिसे वह मनदीप को बता नहीं पा रही थी । फ़िर उसने सोचा । अभी मनदीप से बात करना बेकार है । शायद वह सीरियस नहीं है । इसलिये फ़िर कभी दूसरे मूड में बात करेगी । यही सोचते हुये उसने मनदीप का हाथ अपने स्तनों से हटाया । और कपङे ठीक करके बाहर निकल गयी ।
जस्सी दीन दुनियाँ से बेखबर सो रही थी । पर राजवीर की आँखों में नींद नहीं थी । वह रह रहकर करबटें बदल रही थी ।
कोई चार दिन बाद । दोपहर के समय करम कौर राजवीर के घर पहुँची । राजवीर ने उसे खास फ़ोन करके बुलाया था । उसकी गोद में एक छोटा सा दूध पीता बच्चा था । वह एक हसीन और जवानी से भरपूर लदी हुयी मादक बनाबट वाली औरत थी । भरपूर औरत ।
करम कौर गरेवाल जबर जंग सिंह की विधवा थी । और राजवीर की खास सहेली थी । उसका फ़िगर 37-33-40 था । और उसका कद 5 फ़ीट 9 इंच था । वह गुदा मैथुन की बहुत शौकीन थी । और ऐसे कामोत्तेजक क्षणों में वह स्वर्गिक आनन्द महसूस करती थी । उसके विशाल और अति उत्तेजक नितम्बों की बनावट अच्छे अच्छों की नीयत खराब कर देती थी । और तब वे हर संभव उसे पाने का प्रयत्न करते थे ।




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