वास्तविकता
ये थी कि प्रसून अपनी पर्सनालिटी
और योग मजबूरियों के चलते कई
बार ऐसी स्थितियों में फ़ँस
चुका था । इस लङकी को कोपरेट
करना उसके लिये आवश्यक था ।
तब वह जस्सी पर फ़ुल एक्सपेरीमेंट
कर सकता था । इस लङकी का जस्सी
के साथ होना उसे तमाम शकों से
दूर रखता था । दूसरे ये जस्सी
के बारे में वह सब बता सकती थी
। जो शायद उसके माँ बाप या दूसरा
कोई और नहीं बता सकता था ।
इसके साथ ही जस्सी को जिस अटकाव बिन्दु से पार कराने के लिये उसने अभी अभी लोंग किस आदि किया था । उससे वह हल्की उत्तेजना भी महसूस कर रहा था । आखिर वह भी योगी से पहले एक इंसान था । उसके द्वारा कोई विरोध न करने पर चिकन वाली ने इसे उसकी मौन स्वीकृति समझा था । और वह पूरी बेतकल्लुफ़ी से उसकी टांगों के मध्य हाथ चला रही थी । उसने उसकी पेंट ऊपर से भी खोल दी । और जांघिये में हाथ ले गयी । उसकी सहूलियत के लिये प्रसून समकोण से अधिक कोण हो गया था । और उसने पैरों को फ़ैला लिया था ।
गगन को जैसे विश्वास नहीं हो रहा था कि ये क्षण उसके साथ ही घट रहे हैं । पर उसे हैरत भी हो रही थी । बीस मिनट से अधिक हो गये थे । प्रसून धीमी स्पीड में ड्राइव कर रहा था । पर न तो उसका घर ही आया था । और न ही प्रसून में कोई उत्तेजना पैदा हो रही थी । पर उसे नहीं पता था । गाङी विपरीत दिशा में जा रही थी । और प्रसून समता भाव का प्रयोग दुहराता हुआ योग में स्थित था । गगन की हालत खराब होने लगी । और वह सिसकती हुयी प्लीज प्रसून जी प्लीज सून करने लगी ।
तब उसने गाङी रोक दी । और गगन को सीट पर झुका दिया । उसके कठोर स्पर्श का अहसास होते ही उसकी आँखें बन्द हो गयी । एक पीङा भरी गर्माहट उसके अन्दर समाती जा रही थी । और फ़िर वह मीठे दर्द का अहसास करने लगी । वह दर्द जिसे पाने के लिये हर औरत तङपती है । वह अहसास जिसका रोमांच हर औरत के रोम रोम में समाया होता है ।
- क्या ? जस्सी उछलकर बोली - क्या सच में उसने मेरे साथ ऐसा किया था ।
उसके दरबाजे के समीप आ चुकी करम कौर के एकदम से कान खङे हो गये । शाम के चार बजे थे । वह राजवीर से मिलने आयी थी । पर सतीश से पता चला कि राजवीर बराङ साहब के साथ बाजार गयी हुयी थी । तब वह जस्सी के पास बैठने उसके कमरे की तरफ़ चली आयी थी । लेकिन कमरे में घुसने से पहले ही उसके कानों में गगन की आवाज पङी । और वह वहीं छुपकर सुनने लगी ।
- हाँ यार । गगन मगन सी होती हुयी बोली - पर तू भी साली ना । एकदम बेबकूफ़ ही है । एंजाय के टाइम सो जाती है । पता नहीं बेहोश हो जाती है । पता नहीं क्या हो जाता है तुझे । पूरा थर्टी मिनट उसने तुझे बिना ब्रेक किस किया । इधर का तो । उसने उसके स्तनों से इशारा किया - पूरा रस ही निचोङ दिया सालिआ ने । ओह गाड ! काश मुझे उस वक्त वह सब शूट करने की अक्ल आ गयी होती । क्या यादगार लम्हे थे ।
- फ़िर । जस्सी अपनी बङी बङी ग्रीन आँखें आश्चर्य से गोल गोल घुमाती हुयी बोली - फ़िर । फ़िर क्या किया ।
उन क्षणों को याद कर रोमांचित सी हुयी गगन नमक मिर्च लगाकर उसे सब बताती चली गयी । खासतौर से उसकी पौरुष क्षमता विशालता का उसने आदतानुसार अतिश्योक्ति वर्णन किया । जस्सी के सुन्दर चेहरे पर लज्जा और शर्म की लाली सी फ़ैलती चली गयी । अपने मधुर ख्यालों में वह अपने प्रेमी प्रियतम प्रसून के साथ किसी सुन्दर परी की तरह नीले अनन्त आकाश में उङती ही चली गयी ।
पर करम कौर पर इस आँखों देखे हाल सुनने का अलग ही असर हुआ । एक लस्टी पूर्ण पुरुष । और वह कामनाओं की भूखी एक औरत । स्वाभाविक ही उसने सोचा । क्या प्रसून उसकी तरफ़ आकर्षित हो सकता है । जरूर हो सकता है । वर्णन के अनुसार वह वाकई अनुभवी था । और ऐसे आदमी को तृप्त करना इन अनाङी लङकियों का वश नहीं था । जो इस खेल की सही ए बी सी डी भी नहीं जानती थी । उसको तृप्ति के चरम पर पहुँचाने के लिये करम कौर ही दम खम वाली थी । सेक्सी थी । अनुभवी थी । और हर तरह से पूरी औरत थी ।
वह दबे पाँव हाल में पहुँची । जहाँ सोफ़े पर अधलेटा सा प्रसून टीवी देख रहा था । उस पर निगाह पङते ही करमकौर अन्दर से दृवित सी होने लगी । क्या पर्सनालिटी थी लङके की । जैसे माइकल जैक्सन हेल्दी हो गया हो । करमकौर की आहट मिलते ही प्रसून उसकी तरफ़ आकर्षित होकर औपचारिक भाव से मुस्कराया । और बङी मधुरता से शालीनता से संक्षिप्त में बैठिये बोला ।
करमकौर को लगा । इसके सामने बैठने मात्र से ही वह नियन्त्रण खो देगी । लङकियों से लाइव कमेंटरी सुनकर पहले ही उसका बुरा हाल था । फ़िर प्रसून की मोहिनी मुस्कराहट और सम्मोहिनी दृष्टि से वह भावित होकर पानी पानी होने लगी । उसके अन्दर की पूर्ण औरत की मानों एक दृष्टि में ही धज्जियाँ उङ गयी । अब वह क्या चरित्र करे । अब तो वह सीधा सीधा कहना चाहती थी । प्लीज एक बार मुझे भी जिन्दगी में यह यादगार सुख दे दो । जन्म जन्म को तुम्हारी गुलाम हो जाऊँगी । तुम्हारे तलवे चाटूँगी ।
प्रसून किसी इंगलिश चैनल पर एक अजीव सी बोरिंग जैविक सरंचना पर डाक्यूमेंटरी देख रहा था । और उसने करमकौर पर दोबारा दृष्टि तक नहीं डाली थी । इससे करमकौर मन ही मन कसमसा रही थी । उसने बङे गौर से टीवी में चल रहे दृश्य को समझने मन लगाने की कोशिश की । पर उसको डाक्यूमेंटरी समझना तो दूर । वह क्या और किसका दृश्य है । यह तक समझ में नहीं आ रहा था । स्क्रीन पर एक मिनट देखना मुश्किल हो रहा था । और वह बेबकूफ़ इस तन्मयता से देख रहा था । मानों कैटरीना कैफ़ सेक्सी डांस कर रही हो ।
वह समझ गयी । यदि वह एक घण्टा भी वहाँ बैठी रहती । तो भी प्रसून उसकी तरफ़ ध्यान देने वाला नहीं था । सो यदि उसे मौके का फ़ायदा उठाना था । तो उसे ही कुछ करना था । उसने बैचेनी से पहलू बदला ।
और बोली - एक्सक्यूज मी । प्रसून जी ! मैं आपको डिस्टर्ब तो नहीं कर रही । ऐसा हो तो मैं फ़िर चली जाऊँ । एक्चुअली मुझे जस्सी के बारे में बङी फ़िक्र है । उसकी कुछ जिज्ञासा सी थी । प्लीज डोंट माइण्ड ।
वह मानों सोते से जागा । और तुरन्त उसकी तरफ़ आकर्षित सा हुआ । वास्तव में यह उसकी असभ्यता थी । एक महिला उसके पास बैठी थी । और वह उसे उपेक्षित कर रहा था ।
- नो नो । वह अफ़सोस सा करता हुआ बोला - इनफ़ेक्ट गलती मेरी ही थी । असल में जो मैं देख रहा था । वह बीच में था । इसलिये मैं आपको कंपनी नहीं दे पा रहा था । पर चलो । अब वह कम्पलीट हो गया । हाँ आप बोलिये ना ।
करमकौर की बाँछे खिल गयी । इसी पल का तो उसे इन्तजार था । और समय उसके पास बिलकुल नहीं था । कभी भी राजवीर आ सकती थी । जस्सी गगन आ सकती थी । कोई और भी आ सकता था । समय कभी रुकता नहीं । किसी का इन्तजार नहीं करता । और तब समय का लाभ न उठाने वाले बेबकूफ़ ही होते हैं । और वह बेबकूफ़ नहीं होना चाहती थी । कभी नहीं ।
उसने अन्दर ही अन्दर चुपके से अपने गोद के बच्चे को चुटकी भरी । जिससे पीङित हुआ सा वह रोने लगा । तब वह उसे चुप कराने लगी । और फ़िर उसने वही किया । जिसके लिये उसने यह किया ।
प्रसून को अनदेखा सा करते हुये उसने अपना विशाल स्तन खोला । और बच्चे को हिलाते डुलाते हुये वह अपने नग्न गोल स्तन की झलक देर तक उसे दिखाती रही । और फ़िर बच्चे को स्तनपान कराने लगी ।
संभवत हर स्त्री को ऐसा ही लगता है कि उसकी कामुक भाव भंगिमा उस पुरुष के सामने पहली ही बार घटित हो रही है । जिसकी वह अभिसारी नायिका बनने हेतु बेताब है । और वह अपनी ऐसी काम अदा से उसे घायल करके ही छोङेगी । तब पुरुष को उसका प्रणय प्रस्ताव मजबूरन स्वीकार करना ही होगा ।
उसकी ऐसी चेष्टा ने प्रसून को उन तमाम योग स्त्रियों की याद दिला दी । जो पहले कभी उसके अनुभव में आयी थीं
। वह अच्छी तरह जानता था । यदि उसने देखा नहीं । उसे अनदेखा करता रहा । तो वह बराबर प्रयास करती रहेगी । और व्यर्थ का समय खराब करेगी । औरत की नस नस से वाकिफ़ उस सबल योगी ने आश्चर्य और प्रशंसा के मिश्रित भावों से तब तक उसके स्तन से निगाह नहीं हटाई । जब तक उसने प्रसून को निगाह मिलाकर ऐसा करते देख नहीं लिया । तब उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव आये । और नारीत्व सौन्दर्य का गरिमा बोध भी ।- काफ़ी सुन्दर हैं आप । वह मधुर स्वर में उसे और भी संतुष्ट करता हुआ बोला - ईश्वर ने आपको फ़ुरसत से बनाया है । और सब कुछ भरपूर रूप से दिया है ।
- थैंक्स । वह शर्माकर बोली - पर हीरे की परख सिर्फ़ जौहरी ही जानता है । वही उसकी सही कीमत भी समझता है । आई थिंक । औरत को हरेक कोई नहीं समझ सकता । वह काँच के समान नाजुक होती है । यू नो ।
वास्तव में करम कौर का अपने आप से नियन्त्रण हट गया । उसे अपने भीतर अजीव सी चिपचिपाहट महसूस हुयी । वह पिघलती हुयी सी बहने लगी । क्या पुरुष था । अनोखा और कल्पना से परे । अभी उसने उँगली से भी नहीं छुआ था । और वह भावित होकर पहाङी दरार से फ़ूटते वेगवान झरने की तरह बह गयी थी । ओह गाड ! कोई योग पुरुष ऐसा भी हो सकता है । यदि कोई उसे मुँहजवानी बताता । तो उसे कभी विश्वास ही नहीं होता । पर स्वयँ के अनुभव को भला वह कैसे नकार सकती थी । अब उसे यह बहाना भी नहीं सूझ रहा था कि वह प्रसून से क्या और कैसे बात करे ।
- मैंने वो । तब अनुभवी योगी स्वयँ ही उसकी मनोदशा जानकर बोला - वो ..राजवीर जी द्वारा शूट किये जस्सी जी के वीडियो क्लिप देखे । बट मुझे ताज्जुब इस बात का है कि अकार्डिंग टू राजबीर जी सेम ऐसा ही अनुभव आपको भी हुआ । ये बङी ही अजीव बात है । और वह यानी जस्सी जी इसको आधा अधूरा ही बता पाती है । जबकि आप पूरा और ज्यों का त्यों बताती हैं । वैसे वह सब मैं सुन चुका हूँ । पर प्लीज आप कुछ और न समझें । तो मुझे फ़िर से एक बार बतायें ।
करम कौर के मानों सब अरमानों पर पानी फ़िर गया । वह सिर्फ़ और सिर्फ़ अभी वही सब चाहती थी । जो गगन बता रही थी । पर एकदम ऐसा वह कह भी कैसे सकती थी । तब उसने भी गगन की तरह नमक मिर्च लगाकर उस मैटर का पूरा पूरा फ़ायदा उठाने का निश्चय किया ।
उसने एक निगाह आसपास डाली । अभी कोई नहीं था । वासना वैसे भी मनुष्य को अंधा ही कर देती है । तब यदि कोई होता भी है । तो भी नजर नहीं आता । उसे ख्याल आया । उस चक्रवात में वह एकदम नंगी भाग रही थी । और मूसलाधार पानी बरस रहा था । यहाँ वह स्वयँ खुल जाना चाहती थी । उसके प्यार की बारिश में नहाना चाहती थी । और खुद को वैसा ही आजाद महसूस करना चाहती थी । एक पूर्ण पुरुष को पाने के लिये औरत का भावनात्मक और देहात्मक पूर्ण नग्न होना आवश्यक ही है । तभी वह रीझता है । उसने अपने बच्चे को घुमाया । और दूसरा स्तन भी खोल लिया । अब उसके दोनों उरोज उसके सामने थे । और वह ऐसा प्रदर्शित कर रही थी । जैसे इस तरफ़ उसका ध्यान ही नहीं है । उसे नहीं पता था । गगन और जस्सी भी उसी तरह उसको छिपकर देख रहीं है । जैसे वह उनको सुन रही थी । पर प्रसून एकदम शान्त था । और उसके बोलने की प्रतीक्षा कर रहा था ।
- अरे प्रसून जी ! वह आँखें चौङी करके बोली - अभी क्या बोलूँ । एक तो मेरे को शर्म सी आती है । आप भी सोचोगे कि ये लेडी कैसे बोल रही है । पर डाक्टर से कुछ भी छुपाना नहीं चाहिये । जिस तरह एक अच्छी सफ़ल समर्पित प्रेमिका को प्रेमी के सामने शर्म छोङकर नंगा होना ही पङता है । उसी तरह रोग ठीक कराना हो । तो डाक्टर के सामने भी नंगा होना ही पङता है । आप समझ रहे हो ना । मैं क्या कह रही हूँ । सो प्लीज । मैं आपको कोई बात संकेत में ना बताकर ज्यों की त्यों बताती हूँ ।
इसके साथ ही जस्सी को जिस अटकाव बिन्दु से पार कराने के लिये उसने अभी अभी लोंग किस आदि किया था । उससे वह हल्की उत्तेजना भी महसूस कर रहा था । आखिर वह भी योगी से पहले एक इंसान था । उसके द्वारा कोई विरोध न करने पर चिकन वाली ने इसे उसकी मौन स्वीकृति समझा था । और वह पूरी बेतकल्लुफ़ी से उसकी टांगों के मध्य हाथ चला रही थी । उसने उसकी पेंट ऊपर से भी खोल दी । और जांघिये में हाथ ले गयी । उसकी सहूलियत के लिये प्रसून समकोण से अधिक कोण हो गया था । और उसने पैरों को फ़ैला लिया था ।
गगन को जैसे विश्वास नहीं हो रहा था कि ये क्षण उसके साथ ही घट रहे हैं । पर उसे हैरत भी हो रही थी । बीस मिनट से अधिक हो गये थे । प्रसून धीमी स्पीड में ड्राइव कर रहा था । पर न तो उसका घर ही आया था । और न ही प्रसून में कोई उत्तेजना पैदा हो रही थी । पर उसे नहीं पता था । गाङी विपरीत दिशा में जा रही थी । और प्रसून समता भाव का प्रयोग दुहराता हुआ योग में स्थित था । गगन की हालत खराब होने लगी । और वह सिसकती हुयी प्लीज प्रसून जी प्लीज सून करने लगी ।
तब उसने गाङी रोक दी । और गगन को सीट पर झुका दिया । उसके कठोर स्पर्श का अहसास होते ही उसकी आँखें बन्द हो गयी । एक पीङा भरी गर्माहट उसके अन्दर समाती जा रही थी । और फ़िर वह मीठे दर्द का अहसास करने लगी । वह दर्द जिसे पाने के लिये हर औरत तङपती है । वह अहसास जिसका रोमांच हर औरत के रोम रोम में समाया होता है ।
- क्या ? जस्सी उछलकर बोली - क्या सच में उसने मेरे साथ ऐसा किया था ।
उसके दरबाजे के समीप आ चुकी करम कौर के एकदम से कान खङे हो गये । शाम के चार बजे थे । वह राजवीर से मिलने आयी थी । पर सतीश से पता चला कि राजवीर बराङ साहब के साथ बाजार गयी हुयी थी । तब वह जस्सी के पास बैठने उसके कमरे की तरफ़ चली आयी थी । लेकिन कमरे में घुसने से पहले ही उसके कानों में गगन की आवाज पङी । और वह वहीं छुपकर सुनने लगी ।
- हाँ यार । गगन मगन सी होती हुयी बोली - पर तू भी साली ना । एकदम बेबकूफ़ ही है । एंजाय के टाइम सो जाती है । पता नहीं बेहोश हो जाती है । पता नहीं क्या हो जाता है तुझे । पूरा थर्टी मिनट उसने तुझे बिना ब्रेक किस किया । इधर का तो । उसने उसके स्तनों से इशारा किया - पूरा रस ही निचोङ दिया सालिआ ने । ओह गाड ! काश मुझे उस वक्त वह सब शूट करने की अक्ल आ गयी होती । क्या यादगार लम्हे थे ।
- फ़िर । जस्सी अपनी बङी बङी ग्रीन आँखें आश्चर्य से गोल गोल घुमाती हुयी बोली - फ़िर । फ़िर क्या किया ।
उन क्षणों को याद कर रोमांचित सी हुयी गगन नमक मिर्च लगाकर उसे सब बताती चली गयी । खासतौर से उसकी पौरुष क्षमता विशालता का उसने आदतानुसार अतिश्योक्ति वर्णन किया । जस्सी के सुन्दर चेहरे पर लज्जा और शर्म की लाली सी फ़ैलती चली गयी । अपने मधुर ख्यालों में वह अपने प्रेमी प्रियतम प्रसून के साथ किसी सुन्दर परी की तरह नीले अनन्त आकाश में उङती ही चली गयी ।
पर करम कौर पर इस आँखों देखे हाल सुनने का अलग ही असर हुआ । एक लस्टी पूर्ण पुरुष । और वह कामनाओं की भूखी एक औरत । स्वाभाविक ही उसने सोचा । क्या प्रसून उसकी तरफ़ आकर्षित हो सकता है । जरूर हो सकता है । वर्णन के अनुसार वह वाकई अनुभवी था । और ऐसे आदमी को तृप्त करना इन अनाङी लङकियों का वश नहीं था । जो इस खेल की सही ए बी सी डी भी नहीं जानती थी । उसको तृप्ति के चरम पर पहुँचाने के लिये करम कौर ही दम खम वाली थी । सेक्सी थी । अनुभवी थी । और हर तरह से पूरी औरत थी ।
वह दबे पाँव हाल में पहुँची । जहाँ सोफ़े पर अधलेटा सा प्रसून टीवी देख रहा था । उस पर निगाह पङते ही करमकौर अन्दर से दृवित सी होने लगी । क्या पर्सनालिटी थी लङके की । जैसे माइकल जैक्सन हेल्दी हो गया हो । करमकौर की आहट मिलते ही प्रसून उसकी तरफ़ आकर्षित होकर औपचारिक भाव से मुस्कराया । और बङी मधुरता से शालीनता से संक्षिप्त में बैठिये बोला ।
करमकौर को लगा । इसके सामने बैठने मात्र से ही वह नियन्त्रण खो देगी । लङकियों से लाइव कमेंटरी सुनकर पहले ही उसका बुरा हाल था । फ़िर प्रसून की मोहिनी मुस्कराहट और सम्मोहिनी दृष्टि से वह भावित होकर पानी पानी होने लगी । उसके अन्दर की पूर्ण औरत की मानों एक दृष्टि में ही धज्जियाँ उङ गयी । अब वह क्या चरित्र करे । अब तो वह सीधा सीधा कहना चाहती थी । प्लीज एक बार मुझे भी जिन्दगी में यह यादगार सुख दे दो । जन्म जन्म को तुम्हारी गुलाम हो जाऊँगी । तुम्हारे तलवे चाटूँगी ।
प्रसून किसी इंगलिश चैनल पर एक अजीव सी बोरिंग जैविक सरंचना पर डाक्यूमेंटरी देख रहा था । और उसने करमकौर पर दोबारा दृष्टि तक नहीं डाली थी । इससे करमकौर मन ही मन कसमसा रही थी । उसने बङे गौर से टीवी में चल रहे दृश्य को समझने मन लगाने की कोशिश की । पर उसको डाक्यूमेंटरी समझना तो दूर । वह क्या और किसका दृश्य है । यह तक समझ में नहीं आ रहा था । स्क्रीन पर एक मिनट देखना मुश्किल हो रहा था । और वह बेबकूफ़ इस तन्मयता से देख रहा था । मानों कैटरीना कैफ़ सेक्सी डांस कर रही हो ।
वह समझ गयी । यदि वह एक घण्टा भी वहाँ बैठी रहती । तो भी प्रसून उसकी तरफ़ ध्यान देने वाला नहीं था । सो यदि उसे मौके का फ़ायदा उठाना था । तो उसे ही कुछ करना था । उसने बैचेनी से पहलू बदला ।
और बोली - एक्सक्यूज मी । प्रसून जी ! मैं आपको डिस्टर्ब तो नहीं कर रही । ऐसा हो तो मैं फ़िर चली जाऊँ । एक्चुअली मुझे जस्सी के बारे में बङी फ़िक्र है । उसकी कुछ जिज्ञासा सी थी । प्लीज डोंट माइण्ड ।
वह मानों सोते से जागा । और तुरन्त उसकी तरफ़ आकर्षित सा हुआ । वास्तव में यह उसकी असभ्यता थी । एक महिला उसके पास बैठी थी । और वह उसे उपेक्षित कर रहा था ।
- नो नो । वह अफ़सोस सा करता हुआ बोला - इनफ़ेक्ट गलती मेरी ही थी । असल में जो मैं देख रहा था । वह बीच में था । इसलिये मैं आपको कंपनी नहीं दे पा रहा था । पर चलो । अब वह कम्पलीट हो गया । हाँ आप बोलिये ना ।
करमकौर की बाँछे खिल गयी । इसी पल का तो उसे इन्तजार था । और समय उसके पास बिलकुल नहीं था । कभी भी राजवीर आ सकती थी । जस्सी गगन आ सकती थी । कोई और भी आ सकता था । समय कभी रुकता नहीं । किसी का इन्तजार नहीं करता । और तब समय का लाभ न उठाने वाले बेबकूफ़ ही होते हैं । और वह बेबकूफ़ नहीं होना चाहती थी । कभी नहीं ।
उसने अन्दर ही अन्दर चुपके से अपने गोद के बच्चे को चुटकी भरी । जिससे पीङित हुआ सा वह रोने लगा । तब वह उसे चुप कराने लगी । और फ़िर उसने वही किया । जिसके लिये उसने यह किया ।
प्रसून को अनदेखा सा करते हुये उसने अपना विशाल स्तन खोला । और बच्चे को हिलाते डुलाते हुये वह अपने नग्न गोल स्तन की झलक देर तक उसे दिखाती रही । और फ़िर बच्चे को स्तनपान कराने लगी ।
संभवत हर स्त्री को ऐसा ही लगता है कि उसकी कामुक भाव भंगिमा उस पुरुष के सामने पहली ही बार घटित हो रही है । जिसकी वह अभिसारी नायिका बनने हेतु बेताब है । और वह अपनी ऐसी काम अदा से उसे घायल करके ही छोङेगी । तब पुरुष को उसका प्रणय प्रस्ताव मजबूरन स्वीकार करना ही होगा ।
उसकी ऐसी चेष्टा ने प्रसून को उन तमाम योग स्त्रियों की याद दिला दी । जो पहले कभी उसके अनुभव में आयी थीं
। वह अच्छी तरह जानता था । यदि उसने देखा नहीं । उसे अनदेखा करता रहा । तो वह बराबर प्रयास करती रहेगी । और व्यर्थ का समय खराब करेगी । औरत की नस नस से वाकिफ़ उस सबल योगी ने आश्चर्य और प्रशंसा के मिश्रित भावों से तब तक उसके स्तन से निगाह नहीं हटाई । जब तक उसने प्रसून को निगाह मिलाकर ऐसा करते देख नहीं लिया । तब उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव आये । और नारीत्व सौन्दर्य का गरिमा बोध भी ।- काफ़ी सुन्दर हैं आप । वह मधुर स्वर में उसे और भी संतुष्ट करता हुआ बोला - ईश्वर ने आपको फ़ुरसत से बनाया है । और सब कुछ भरपूर रूप से दिया है ।
- थैंक्स । वह शर्माकर बोली - पर हीरे की परख सिर्फ़ जौहरी ही जानता है । वही उसकी सही कीमत भी समझता है । आई थिंक । औरत को हरेक कोई नहीं समझ सकता । वह काँच के समान नाजुक होती है । यू नो ।
वास्तव में करम कौर का अपने आप से नियन्त्रण हट गया । उसे अपने भीतर अजीव सी चिपचिपाहट महसूस हुयी । वह पिघलती हुयी सी बहने लगी । क्या पुरुष था । अनोखा और कल्पना से परे । अभी उसने उँगली से भी नहीं छुआ था । और वह भावित होकर पहाङी दरार से फ़ूटते वेगवान झरने की तरह बह गयी थी । ओह गाड ! कोई योग पुरुष ऐसा भी हो सकता है । यदि कोई उसे मुँहजवानी बताता । तो उसे कभी विश्वास ही नहीं होता । पर स्वयँ के अनुभव को भला वह कैसे नकार सकती थी । अब उसे यह बहाना भी नहीं सूझ रहा था कि वह प्रसून से क्या और कैसे बात करे ।
- मैंने वो । तब अनुभवी योगी स्वयँ ही उसकी मनोदशा जानकर बोला - वो ..राजवीर जी द्वारा शूट किये जस्सी जी के वीडियो क्लिप देखे । बट मुझे ताज्जुब इस बात का है कि अकार्डिंग टू राजबीर जी सेम ऐसा ही अनुभव आपको भी हुआ । ये बङी ही अजीव बात है । और वह यानी जस्सी जी इसको आधा अधूरा ही बता पाती है । जबकि आप पूरा और ज्यों का त्यों बताती हैं । वैसे वह सब मैं सुन चुका हूँ । पर प्लीज आप कुछ और न समझें । तो मुझे फ़िर से एक बार बतायें ।
करम कौर के मानों सब अरमानों पर पानी फ़िर गया । वह सिर्फ़ और सिर्फ़ अभी वही सब चाहती थी । जो गगन बता रही थी । पर एकदम ऐसा वह कह भी कैसे सकती थी । तब उसने भी गगन की तरह नमक मिर्च लगाकर उस मैटर का पूरा पूरा फ़ायदा उठाने का निश्चय किया ।
उसने एक निगाह आसपास डाली । अभी कोई नहीं था । वासना वैसे भी मनुष्य को अंधा ही कर देती है । तब यदि कोई होता भी है । तो भी नजर नहीं आता । उसे ख्याल आया । उस चक्रवात में वह एकदम नंगी भाग रही थी । और मूसलाधार पानी बरस रहा था । यहाँ वह स्वयँ खुल जाना चाहती थी । उसके प्यार की बारिश में नहाना चाहती थी । और खुद को वैसा ही आजाद महसूस करना चाहती थी । एक पूर्ण पुरुष को पाने के लिये औरत का भावनात्मक और देहात्मक पूर्ण नग्न होना आवश्यक ही है । तभी वह रीझता है । उसने अपने बच्चे को घुमाया । और दूसरा स्तन भी खोल लिया । अब उसके दोनों उरोज उसके सामने थे । और वह ऐसा प्रदर्शित कर रही थी । जैसे इस तरफ़ उसका ध्यान ही नहीं है । उसे नहीं पता था । गगन और जस्सी भी उसी तरह उसको छिपकर देख रहीं है । जैसे वह उनको सुन रही थी । पर प्रसून एकदम शान्त था । और उसके बोलने की प्रतीक्षा कर रहा था ।
- अरे प्रसून जी ! वह आँखें चौङी करके बोली - अभी क्या बोलूँ । एक तो मेरे को शर्म सी आती है । आप भी सोचोगे कि ये लेडी कैसे बोल रही है । पर डाक्टर से कुछ भी छुपाना नहीं चाहिये । जिस तरह एक अच्छी सफ़ल समर्पित प्रेमिका को प्रेमी के सामने शर्म छोङकर नंगा होना ही पङता है । उसी तरह रोग ठीक कराना हो । तो डाक्टर के सामने भी नंगा होना ही पङता है । आप समझ रहे हो ना । मैं क्या कह रही हूँ । सो प्लीज । मैं आपको कोई बात संकेत में ना बताकर ज्यों की त्यों बताती हूँ ।
 
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